High Court

जयपुर। प्रदेश में नदियों के बहाव क्षेत्र से अतिक्रमण नहीं हटाने पर राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश एम.एन. भंडारी और न्यायाधीश डी.सी. सोमानी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की लचर कार्यवाही पर नाराजगी जताते हुए वन, पंचायती राज, जल संसाधन, यूडीएच, राजस्व, पीएचईडी, विधि, उद्योग और खान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड के चेयरमैन एवं दौसा के जिला कलक्टर को मंगलवार को तलब किया है। हाईकोर्ट के आदेश पर ये सभी अफसर मंगलवार दोपहर में हाजिर हुए और स्पष्टीकरण पेश किया।

जमवारामगढ़ बांध में अतिक्रमण को लेकर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान सहित अन्य याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े विभागों की लचर कार्रवाई पर तल्ख टिप्पणी की है। मौखिक रूप से कोर्ट ने कहा कि एसटीपी और ईटीपी प्लांट कम क्षमता के लगाए जाते हैं, जिससे ना केवल बदबू फैलती है, बल्कि भूजल व पानी भी दूषित हो रहा है। मामले की सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य ए के भार्गव और विरेंद्र डांगी ने हाईकोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने 2012 से कई बार राज्य सरकार को रामगढ़ बांध सहित अन्य जल स्त्रोतों के संरक्षण के आदेश दिए हैं, लेकिन अब तक उनकी पालना नहीं हुई।

हाईकोर्ट ने 22 जुलाई 2016 को भी रामगढ़ बांध से अतिक्रमण हटाने को लेकर राज्य सरकार को रोडमेप पेश करने, जेडीए और निगम से अतिक्रमण व एसटीपी के संबंध में रिपोर्ट पेश करने तथा प्रदूषण बोर्ड से नियम विरुद्ध चल रही औद्योगिक इकाइयों के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन आदेश की अब तक पालना रिपोर्ट पेश नहीं हुई। पूछने पर सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदूषण बोर्ड ने 35 मामलों में निचली कोर्ट में परिवाद पेश किए हैं। इन मामलों की जल्दी सुनवाई के लिए निर्देश जारी किए जाए।

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