Solar, Dungarpur

-अब होगा ‘स्वच्छ डूंगरपुर’ के साथ ‘सोलर डूंगरपुर’

जयपुर। राज्य सरकार के राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद् के माध्यम से कौशल विकास करने के सपने को साकार रूप प्रदान किया है जनजाति जिले डूंगरपुर के ‘दुर्गा संयंत्र’ ने। ‘दुर्गा संयंत्र’ से न केवल स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने अपने कौशल का विकास किया वरन् राष्ट्रीय स्तर तक नवाचार के लिए प्रधानमंत्री एक्सीलेंस अवार्ड प्राप्त कर जिले की पहचान स्थापित की और अब अपने हुनर से ओरों का घर भी रोशन कर रही है।

राज्य सरकार व जिला प्रशासन-डूंगरपुर ने राजीविका (राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद) के क्लस्टर स्तर महासंघों (सीएलएफ) के साथ साझेदारी व आईआईटी बॉम्बे के मार्गदर्शन से जिले के दूरदराज के क्षेत्रों में बिजली से वंचित लोगों के लिए वो कर दिखाया है, जो अद्भूत और अनूठा है। रात्रि झौंथरी के तला फला में चारों ओर पसरे घनघोर अंधेरे के बीच दुधिया रोशनी में नहाया एकमात्र घर ग्रामवासियों के साथ-साथ प्रशासन से पहुंचे लोगों के लिए भी आकर्षण और उत्सुकता का केन्द्र बन गया।

मौका था राज्य सरकार के कौशल विकास कार्यक्रम के माध्यम से जनजाति क्षेत्र में पूर्ण महिला स्वामित्व वाले स्थापित ‘दुर्गा’ संयंत्र की महिला इंजीनियर्स द्वारा आईआईटी बॉम्बे के मार्गदर्शन और जिला प्रशासन के सहयोग से डूंगरपुर में ही बनाये गये सोलर सिस्टम के शुभारंभ अवसर का। गहरे अंधरे में दुर्गम रास्ते को पार कर पहुंचे जिला कलक्टर एवं उपखण्ड अधिकारी ने जब सोलर सिस्टम का शुभारंभ किया तो दुधिया रोशनी की चकाचौंध से परिवारजन के साथ ही वहां उपस्थित समस्त लोगों के चेहरे चमक गये।

इस अवसर पर परिवार के मुखिया रणछोड ने बताया कि ‘मुझे सोलर सखी के माध्यम से सोलर सिस्टम के बारें में जानकारी मिली जिसमें डूंगरपुर में स्वयं सहायता समूह के महिला स्वामित्व द्वारा स्थापित ‘दुर्गा संयंत्र’ के द्वारा बने नौ हजार नौ सौ रुपये में सोलर सिस्टम से चौबीसों घंटे बिजली मिलती है तथा कोई बिल भी नहीं आता, तो मुझमें उत्सुकता जगी। मैंने इसके बारें में ओर अधिक जानकारी ली जिस पर मुझे बताया गया कि तीन प्रकार के सोलर सिस्टम है जिसमें नौ हजार नौ सौ रुपये वाले सिस्टम में सोलर पैनल, बैटरी, पांच बल्ब होते हैं और इससे एक साथ पांच बल्ब जल सकते हैं तथा दो मोबाईल चार्ज हो सकते हैं। यह सुनकर मैंने निर्णय लिया कि मुझे सोलर सिस्टम लगवाना है। सिस्टम लगवाने के बाद दस दिन तक इसका उपयोग किया और देखा कि निर्बाध रूप से बिजली आ रही है तब मैंने फैसला किया कि सोलर सिस्टम का ही उपयोग करना है। ’’

जिला कलक्टर ने भी किया मोबाइल चार्ज ः
इस अवसर पर जिला कलक्टर ने पांच बल्बों की दुधिया रोशनी में नहाये रणछोड के घर को देखकर अत्यन्त प्रसन्नता व्यक्त की । इस मौके पर उन्होंने सॉकेट में लगे चार्जर से अपना स्वयं का मोबाइल लगाकर देखा, मोबाइल को चार्ज होते देखकर उनके चेहरे पर भी खुशी और प्रसन्नता आ गई।

‘दुर्गा का काम सराहनीय’ ः
इस मौके पर जिला कलक्टर ने वहां उपस्थित ग्रामवासियों को राज्य सरकार, राजीविका, जिला प्रशासन, नगरपरिषद्, आईआईटी बॉम्बे के सहयोग से डूंगरपुर की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा सोलर लैंप से लेकर सोलर पैंनल व सोलर सिस्टम तक के सफ़र के बारें में बताया। उन्होंने कहा कि जनजाति महिलाओं द्वारा किया जा रहा यह कार्य अत्यन्त ही सराहनीय है जिसने देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

‘स्वच्छ डूंगरपुर-सोलर डूंगरपुर’ ः
जिला कलक्टर ने से कहा कि स्वच्छता और सोलर दोनों ही क्षेत्रों में डूंगरपुर जिले ने अलग पहचान स्थापित की है। अब हम सब मिलकर जिले को ‘स्वच्छ डूंगरपुर’ के साथ-साथ ‘सोलर डूंगरपुर’ बनाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने इस अवसर पर सौर ऊर्जा के महत्व, ऊर्जा के क्षेत्र में स्वच्छता के बारें में विस्तारपूर्वक ग्रामीणों को जानकारी दी ।

चमक उठे चेहरे ः
सोलर ऊर्जा से रोशन बल्बों की दुधिया रोशनी में नहाये अपने घर को देखकर रणछोड के साथ ही पूरे परिवार के लोगों के चेहरे प्रसन्नता से चमक गये। इसके साथ ही वहां उपस्थित प्रशासन, दुर्गा संयंत्र के अधिकारी, कर्मचारी, सोलर सखियों और ग्रामवासियों के चेहरे भी खिल उठे। रणछोड की खुशी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता था कि वह अपनी बात कहते हुए भी अत्यन्त गद्गद् हो रहा था।

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