जयपुर। राजस्थान में जयपुर जिले के बस्सी उपखण्ड स्थित ग्राम पंचायत पड़ासौली में गरीबों की रोटी पर डाका मारने का खेल 7 साल से अनवरत चलता रहा। इन 7 सालों के अंतराल में न केवल डीएसओ बल्कि तत्कालिन प्रवत्र्तन निरीक्षक, सहकारी समिति मैनेजर, ग्राम पंचायत सरपंच और उचित मूल्य की दुकान से राशन के वितरण कार्य में लगे सुशील कुमार मीणा व रामप्यारी देवी इस बंदरबांट में शामिल रहे।

हालांकि विधानसभा आदेशों पर जांच के बाद अपने चहेतों को बचाने की गरज से रसद विभाग ने महज रामप्यारी देवी व सुशील कुमार मीणा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। लेकिन यह एफआईआर ठोस तत्थ्यों के आधार पर दर्ज नहीं कराई गई। यही वजह रही कि दर्ज एफआईआर के आधार पर सुशील कुमार मीणा की गिरफ्तारी हुई और उसे अगले ही दिन जमानत मिल गई।

-इनकी भूमिका कौन जांचे
ग्राम पंचायत पड़ासौली में राशन की दुकान से गरीबों के हक को जमकर लूटा गया। वहीं मामले में जिम्मेदार अधिकारियों को बचाने के मामले में कार्यवाही को लेकर विभाग बगले ही झांकता रहा। दस्तावेजों के अनुसार राशन डीलर व मूल अनुज्ञापत्र धारी राधेश्याम शर्मा की 31 मई 2010 को मृत्यु हो गई। इसके बाद सालभर की अवधि तक मृतक के हस्ताक्षरों से राशन सामग्री का सहकारी समिति से उठान होता रहा, तो विभाग से सूचनाओं का आदान प्रदान भी हुआ। जिसको खुद विभाग के तत्कालिन डीएसओ, प्रवत्र्तन निरीक्षक व सहकारी समिति के मैनेजर ने तस्दीक किया। मिलीभगत के इस खेल में इनकी भूमिका व दस्तावेजों को जांचकर्ताओं ने जांच का हिस्सा नहीं बनाया। विभाग को अंदेशा है कि यदि इस मामले में अलग से जांच हो गई तो उन पर गाज गिरना तय है। यही वजह है कि वे इस मामले में अब मौन ही है।

-उड़ाई नियमों की धज्जियां, निलंबन के बाद भी बांटा राशन
ग्राम पंचायत पड़ासौली में राशन डीलर के यहां वितरण के कार्य में लगे वर्तमान सरपंच रेखा मीणा के जेठ सुशील कुमार मीणा की दबंगई देखने को मिली। जो जिला रसद अधिकारी (डीएसओ) जयपुर द्वितीय ने जब 25 अप्रैल 2017 को रामप्यारी देवी का अनुज्ञा पत्र पुन: निलंबित करने उपरांत भी राशन वितरण करता रहा। इस बात को खुद जांच रिपोर्ट में जांचकर्ता ने स्वीकारा। रिपोर्ट में स्पष्ट रुप से बयां किया गया कि सुशील कुमार मीणा द्वारा विभागीय कानून और नियमों की खुली अवहेलना करते हुए 25 अप्रैल से 13 मई की अवधि के बीच राशन वितरण किया। इस अवधि में भी सुशील कुमार मीणा ने उपभोक्ताओं को राशन सामग्री कम वितरित की, जबकि उनके मोबाइल पर मैसेज अधिक मात्रा का आया। जांच में यह भी स्वीकारा गया कि राशन सामग्री वास्तव में उपभोक्ताओं कम दी गई और इंद्राज अधिक का हुआ। निलंबन की अवधि में 192.07 क्विंटल गेंहू, 313 क्विंटल चीनी और 800 लीटर केरोसीन का वितरण अवैध रुप से किया गया।

-गरीबों का राशन डकार रहा सरपंच का परिवार
एक ओर पंचायत के जरुरतमंद अपने हक के राशन के लिए तरसते रहे। वहीं दूसरी ओर सरपंच रेखा मीणा व सुशील कुमार का पूरा गरीबों के राशन में सेंधमारी करता रहा। नियमानुसार टैक्स अदाकर्ता, सरकारी कर्मचारी, रसोई गैस उपभोक्ता, 2 हजार वर्गगज से अधिक का भूखंड/जमीन मालिक व उसकी संतानों को विभाग राशन सामग्री लेने के लिए पात्र नहीं मानता। सरपंच रेखा मीणा के ससुर रामनारायण मीणा सरकारी स्कूल से व्याख्याता के पद से सेवानिवृत्त हुए तो वे टैक्स अदा करते हैं। जबकि सरपंच के पति बालकृष्ण मीणा दिल्ली स्थित एक सरकारी स्कूल में ग्रेड द्वितीय के अध्यापक हैं। इसी तरह उनके पास अच्छी खासी जमीन है। इतना कुछ होने के बाद भी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सुशील कुमार मीणा ने अपने पिता रामनारायण मीणा के राशन कार्ड के जरिए गेंहू व केरोसीन की सप्लाई कर दी। इसी तरह छोटे भाई व सरपंच पति बालकृष्ण व अपने दादा रामेश्वर प्रसाद को अनुचित लाभ दिया। जबकि कायदे से स्वयं सुशील कुमार मीणा भी राशन की दुकान से राशन सामग्री नहीं ले सकता है।

-सरपंच ने किया पद का दुरुपयोग
एक ओर जहां वंचितों को राशन सामग्री का पूरा वितरण नहीं हो पाया। वहीं पंचायत सरपंच रेखा मीणा ने पद का दुरुपयोग करते हुए रामप्यारी देवी के निलंबित किए अनुज्ञापत्र को पुन: बहाल करने के लिए रसद विभाग से पत्र व्यहार किया। इस पत्र व्यवहार को जांच के लिए गई उच्चस्तरीय टीम ने गलत माना। टीम ने जांच मे लिखा कि सरपंच रेखा मीणा ने डीएसओ कार्यालय को झूठे तथ्य पेश कर लेटरपेड के जरिए डीएसओ कार्यालय को लिखकर गुमराह किया है। साथ ही राशन वितरण का दुरुपयोग कराने में भूमिका अदा की है। जो पद का दुरुपयोग है।

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