नई दिल्ली। देश की राजनीति भी क्या-क्या रंग दिखाती है कब क्या हो जाए पता नहीं। अभी कल ही की तो बात है तमिलनाडूु में आईएडीएमके के दोनों गुटों में समझौता हो गया था। और दोनों का विलय हो गया था। सबकुछ अच्छा चल रहा था। आज फिर राजनीति ने अपना एक अलग रंग दिखाया और रंग में भंग डालते हुए तमिलनाडु सरकार को ­ाटका दे दिया। यही है भारत की राजनीति यहां हर नेता,सांसद,विधायक महत्वकांक्षी है। कोई किसी के नीचे काम करना पसन्द नहीं करता सब आगे बढ़ कर नेतृत्व करना चाहते हैं। यही कारण है कि तमिलनाडु की सियासत में एक बार फिर से तूफान आ गया है। मुख्यमंत्री पलानीसामी को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर दिनाकरण गुट के 19 विधायकों के सरकार से समर्थन वापस लेने की खबर आ रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार में 19 विधायकों ने बगावत कर दिनाकरण के खेमे में शामिल होकर सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।

सोमवार को आईएडीएमके के दोनों धड़ों (पन्नीरसेल्वम और पलानीस्वामी गुट) के हाथ मिलाते की घोषणा के बाद टीटीवी दिनाकरण ने अपने गुट के 19 विधायकों के समर्थन के साथ राज्य के राज्यपाल सीएच विद्यासागर राव से मुलाकात कर तमिलानाडु के मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी को पद से हटाने की मांग की है। राज्यपाल के पास पहुंचकर दिनाकरण गुट के विधायकों ने कहा कि मुख्यमंत्री के. पलानीस्वामी जनता का विश्वास खो चुके हैं। मामले में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के बेटे और डीएमके नेता एमके स्टालिन ने कहा है कि मेरी जानकारी में 3 और एआईडीएमके के विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है। इसके बाद विधायकों की कुल संख्या 22 हो जाती है। इसलिए हम विश्वास मत की मांग करते हैं। इसके अलावा एआईएडीएमके के विधायक थंगा तमिल सेल्वन ने कहा कि हमें तमिलनाडु सीएम पलानीस्वामी पर भरोसा नहीं है। इसलिए हम उनके खिलाफ विश्वास मत चाहते हैं। यह बात हमने राज्यपाल से मिलकर बता दी है।

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