-नवरस में विजयदान देथा की कहानियांे का हुआ वाचन
जयपुर। जवाहर कला केंद्र में चल रहे परफाॅर्मिंग आट्र्स फेस्टिवल ‘नवरस‘ में आज पांचवे दिन बिज्जी के नाम से मषहूर राजस्थान के प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, विजयदान देथा की कहानियांे का वाचन किया गया। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा सेे स्नातक, इप्षिता चक्रवर्ती व अजीत सिंह पालावत द्वारा देथा की ‘केंचुली‘ व ‘मूंजी सूरमा‘ कहानियों का दिलचस्प तरीके से वाचन किया गया।
बुक रीडिंग में ‘बिज्जी का हफ्ता‘ से ली गई इन दो कहानियां में प्रथम कहानी ‘केंचुली‘ में भोजा लाछी की सुदंरता से मंत्रमुग्ध हो जाता है। लाछी अपने पति गुज्जर को भोजा की ओछी हरकतें दिखाने का प्रयास करती है लेकिन वह भोजा की हरकतों को नजरअंदाज करता है और भोजा की बनावटी व चतुराईपूर्वक बनाई गई कहानियों पर विष्वास करता रहता है और बेवकूफी के लिए लाछी को डाटता है। कुछ समय बाद बाद लाछी अपने खेत में एक सांप को (केंचुली) को निकालने की कोशिश करते हुए देखती है। यह घटना देखकर लाछी को अहसास होता है कि सामाजिक बंधन रूपी ‘केंचुली‘ से मुक्त होकर ही व्यक्ति को सच्चे अर्थों में आजादी मिलती है।
दूसरी कहानी ‘मूंजी सूरमा‘ एक सेठ की कहानी है जो कि काफी कंजूस होता है। इसमें देवी लक्ष्मी कंजूस सेठ की विभिन्न प्रकार से परीक्षा लेती है और लेकिन सेठ अपनी मूंजी स्वभाव को नहीं छोडता। आखिरकार, देवी लक्ष्मी सेठ से बेहद प्रसन्न होती है और उसे वरदान मांगने को कहती है।
इससे पूर्व दिन में ’मीट द आर्टिस्ट’ सैषन में निर्देशक अभिषेक मजूमदार व ‘कौमुदी‘ नाटक की उनकी टीम दर्षकों से रूबरू हुई। मजूमदार ने नाटक में संवाद को प्रभावशाली बनाने की प्रक्रिया के बारे में बताया। नाटक के विभिन्न दृश्यों में निर्देषक के दृष्टिकोण के अतिरिक्त उसके लेखन को विभिन्न तरीकों से दर्षाने की विषिष्टता अत्यंत उल्लेखनीय थी। नाटक को प्रभावशाली बनाने की प्रक्रिया में कलाकार स्वयं शामिल होते थे और निर्देशक द्वारा एक ही दृश्य को बार-बार रिपीट किया जाता था, जिससे नाटक की विषयवस्तु की आगे बढ़ाया जा सका और दृश्यों के प्रस्तुतिकरण को और बेहतर बनाया गया।

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