जयपुर, राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि वह शहर के महिला एवं शिशु अस्पतालों की अव्यवस्थाओं को दूर करने के संबंध में पेश सुझावों को अमल में लाए। इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश केएस झवेरी और न्यायाधीश वीके व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश सुमन की ओर से दायर जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता और राज्य सरकार की ओर से शहर के दोनों जनाना अस्पतालों के साथ-साथ गणगौरी बाजार व जेके लॉन अस्पताल की संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट पेश की गई। जिसमें चारों अस्पतालों के वर्तमान हालातों की जानकारी दी गई। इसके साथ ही रिपोर्ट में कुछ सुझाव भी दिए गए। रिपोर्ट में बताया गया कि अस्पतालों की गंदगी दूर करने के साथ ही समय पर उपचार, चिकित्सकों सहित अन्य स्टाफ की कमी दूर करने के साथ-साथ मरीजों को बेहतर सफाई देने आदि के संबंध में सुझाव पेश किए गए। जिसे रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने सुझावों पर अमल करने के साथ ही इसमें लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
याचिका में कहा गया कि 2012 की रिपोर्ट के अनुसार देश में समय पूर्व प्रसव और नवजात संक्रमण शिशुओं की मौत का बड़ा कारण है। प्रदेश में शिशु मृत्यु दर प्रति हजार 47 है। हर दिन 2171 शिशुओं की प्रदेश में मौत हो जाती है। वहीं ऑपरेशन थियेटर में स्वच्छता के अभाव में सैकडों गर्भवती महिलाओं और शिशुओं की मौत हो रही है। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता ने जेके लॉन, महिला चिकित्सालय, जनाना अस्पताल और गणगौरी बाजार अस्पताल का निरीक्षण किया है। इनमें न तो जरूरी मेडीकल स्टाफ है और न ही कानूनी मापदंडों की पालना हो रही है। अस्पतालों में बिस्तरों की कमी है। एक ही बिस्तर पर तीन-चार नवजतों को रखा जाता है। बडी संख्या में सर्जनों की भी कमी है। अस्पतालों में 568 प्रसूति विशेषज्ञों की आवश्यता है, जबकि स्वीकृत पद 271 हैं और 99 विशेषज्ञ ही कार्य कर रहे हैं। याचिका में कहा गया कि सांगानेरी गेट स्थित महिला चिकित्सालय में एक बेड पर दो महिला मरीजों को रखा जाता है। गर्भवती को लाने के लिए जननी एक्सप्रेस की व्यवस्था है, लेकिन वह मिलती ही नहीं है। जिसके चलते महिलाओं को निजी वाहनों का उपयोग करना पडता है। चांदपोल स्थित जनाना अस्पताल के गेट रात में बंद रहते हैं, जिससे कई बार गर्भवती की पार्किग में ही डिलीवरी हो जाती है। इसके बाद भी महिला को अंदर नहीं रखा जाता।