Supreme court ban, Jamavaramgarh Sanctuary, rajiestri ban

– सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के गांवों में जमीनों की रजिस्ट्री व गिफ्ट डीड पर रोक, गृह निर्माण सहकारी समितियां बैकडेट एग्रीमेंट के आधार पर काट रही है कॉलोनियां, दे रहे हैं पट्टे, बिना अनुमति होटल-रिसोर्ट भी खुले।

– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। जयपुर शहर से सटे जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारणय के गांवों में जमीनों की रजिस्ट्री पर पूर्णतया रोक है। न तो जमीन बेच सकते हैं और ना ही खरीद सकते हैं। जमीनों की रजिस्ट्री ही नहीं गिफ्ट डीड तक पर बैन है। जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कई पचास से अधिक गांवों में रजिस्ट्री व गिफ्ट डीड पर रोक लगा रखी है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भले ही रजिस्ट्री नहीं हो रही है, लेकिन बैकडेट में जमीनों के एग्रीमेंट का खेल खूब चल रहा है। बैकडेट एग्रीमेंट के जरिये जमवारामगढ़ वन्यजीव अभायारण्य के गांवों में गैर कानूनी रुप से आवासीय कॉलोनी काटी जा रही है। दुकानें की खरीद-फरोख्त हो रही है। ये सब गृह निर्माण सहकारी सोसायटी के माध्यम से हो रहे हैं, जो बैकडेट में मकानों व दुकानों के पट्टे देना बता रही है, जबकि हकीकत यह है कि अधिकांश सोसायटियों का जमीन खरीद-फरोख्त का रिकॉर्ड सहकारिता विभाग में जमा नहीं है और इनकी ऑडिट भी समय-समय पर नहीं हो रखी है। वन्यजीव अभयारण्य के कई गांवों में तो व्यवसायियों ने किसानों से एग्रीमेंट करके होटल-रिसोर्ट तक शुरु कर दिए हैं। ये सब गैर कानूनी कृत्य बैकडेट एग्रीमेंट के आधार पर खूब हो रहे हैं। उक्त बैकडेट एग्रीमेंटों के आधार पर हो रही गैर कानूनी आवासीय व कॉमर्शियल गतिविधियों के बारे में जिला कलेक्टर जयपुर और जमवारामगढ़ तहसील प्रशासन को भी पूरी जानकारी है। स्थानीय जागरुक संगठनों व ग्रामीणों को लिखित शिकायतें दी जाती है, लेकिन मिलीभगत के चलते कोई कार्यवाही नहीं होती है।
बैकडेट एग्रीमेंट के आधार पर जयपुर-प्रतापगढ़ हाईवे और पहाड़ी क्षेत्रों के गांवों में खूब जमीनें खरीदी और बेची जा रही है। यहां धडल्ले से आवासीय कॉलोनी व कॉमर्शियल गतिविधियां भी खूब हो रही है। नीभी, दांतली, रायसर, जमवारामगढ़, टोडामीणा, घाटा जलधारी, बासना आदि कई गांवों में बैकडेट में जमीनों की खरीद-फरोख्त हो रही है, जिनके आधार पर आवासीय कॉलोनी काटकर पट्टे दिए जा रहे हैं। बड़ी संख्या में अवैध फार्म हाऊस भी बन गए हैं, जो जयपुर के बड़े व्यापारियों, राजनेता व अफसरों के हैं। कुछ ने तो होटल व रिसोर्ट चला रखे हैं, जो एक तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने जो नोटिफिकेशन निकाली है, उसमें स्पष्ट रुप से करीब अस्सी गांवों को जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में माना है। उक्त गांवों में रजिस्ट्री व गिफ्ट डीड पर रोक है, वहीं फोरेस्ट एक्ट का उल्लंघन करके होटल, रिसोर्ट व अन्य व्यावसायिक व आवासीय गतिविधियों पर पूर्णतया रोक है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशनुसार इस तरह की गतिविधियां भी गैर कानूनी है, लेकिन इसके बावजूद बैकडेट एग्रीमेंट के आधार पर गैर कानूनी रुप से आवासीय, कॉमर्शियल गतिविधियां चल रही है। गृह निर्माण सहकारी सोसायटी अवैध तरीके से पट्टे देने में लगी है। जानते-बुझते या अंजाने में ग्रामीण व लोग भी गृह निर्माण सोसायटी के झांसे में आकर मकान व दुकानें ले रहे हैं, जो कि गैर कानूनी है। उक्त अवैध गतिविधियों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना हो रही है, साथ ही स्टाम्प ड्यूटी व दूसरे टैक्स की भी चोरी हो रही है। फोरेस्ट क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियां अवैध है।

– ये गांव हैं वन्यजीव अभयारण्य की सूची में।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फोरेस्ट विभाग राजस्थान ने जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के उन गांवों की सूची जारी की है, जो पूर्ण रुप से अभयारण्य में है। बहुत से गांव ऐसे हैं, जो आंशिक रुप से अभयारण्य में शामिल है। नीभी, विटठलपुर, सुरेठी, विशनपुरा, केलनवास, गोपालगढ़, नौपुरा, भीमावास, घाटी घनश्यामपुरा, साऊ, साऊ सीरा, घाट जमुवा, रासियावाला, बस्सी, बीड कानडवास, काली बरकड़ी, डगौता, कानीखोर, दांतली, पावटा, गोपीनाथपुरा, महंगी, गुढ़ा हरुका, बामनवाटी, मेहगोर, नांगल तेजसिंह, रायसर, श्रीरामजीपुरा, कूदा, गोपीनाथपुरा, कुशलपुरा, दारोलाई, चैनपुरा गांव पूर्ण रुप से जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में शामिल किए गए हैं।
इसी तरह से जमवारामगढ़, नयावास, नरपतियावास, कोलियाना, पाली, चुगलपुरा, बिसोरी, नांगल तुलसीदास, घाटा जलधारी, बासना, टोडामीणा, भावगढ़, गोडियाना, सामरेडकलां, मेदराजसिंह पुरा, चौमुखा, रामपुरावास रामगढ़, पापड़, डोडा डूंगर, झोल, मानोता, बूज, सरजोली, पालडीकलां, खरखड़ा, पालडीखुर्द, गोठपालडी, खवा, शिवपुरा, जरुण्डा, रायपुर, घोरेठ उर्फ हररामपुरा, खरड, भवानी, पातलवास, सानकोटडा, थली, रायांवाला, सिंहपुरी, किल्लतपुरी, श्री रामगोपालपुरा, नीमला, राम्यावाला, लूनेटा, बहलोड, जयसिंहपुरा वास बहलोद, केला का वास, चिलपली, रामपुरावास सामरेड, नीमडिया आंशिक रुप से अभयारण्य में शामिल करने की सूची में है।

– यह है नोटिफिकेशन
जमवारामगढ़ विधान सभा क्षेत्र के विधायक गोपाल लाल मीना ने राजस्थान विधानसभा में प्रश्न लगाकर वन्य क्षेत्र में आने वाले गांवों की सूची और राज्य सरकार की अधिसूचना की जानकारी मांगी थी, जिस पर वन विभाग ने जवाब दिया है कि राज्य सरकार की अधिसूचना 31 मई, 1982 द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 18 के उपबन्धों के अधीन जमवारामगढ वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित किया गया है। इसके तहत विधि विभाग राजस्थान सरकार द्वारा 7 जुलाई, 2011 को जारी क्लेरिफि केशन के तहत जमवारामगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र में आने वाली निजी भूमि के सेल डीड अथवा गिफ्ट डीड द्वारा ट्रांसफर पर रोक है। इस आदेश के तहत अभयारण्य क्षेत्र की जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगी हुई है। उक्त रोक को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधान के अनुसार हटाया नहीं जा सकता है।

– सुप्रीम कोर्ट के आदेश से वन क्षेत्र खोरी गांव में चल चुका है बुलडोजर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अरावली वन क्षेत्र में सालों से काबिज एक लाख लोगों की बस्ती को हटाया जा चुका है। यह बस्ती हरियाणा के फरीदाबाद स्थित खोरी गांव में थी, जिसमें एक लाख लोग रहते थे। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त बस्ती को वन क्षेत्र से हटाने के आदेश दिए थे, जिसके बाद फरीदाबाद नगर निगम ने बुलडोजर चलाकर यहां सैकड़ों मकानों को ध्वस्त कर दिया था। कई अफसरों, राजनेताओं व व्यापारियों के फार्म हाउस भी बुलडोजर से ढहा दिए थे। सुप्रीम कोर्ट पूर्व में भी अभयारण्य, जलाशय क्षेत्रों में गैर कानूनी रुप से बसाई बस्ती, फार्म हाऊस व रिसोर्ट को हटा चुका है। जमवारामगढ़ अभयारण्य में भी जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत अवैध रुप से आवासीय, कॉमर्शियल व होटल गतिविधियां हो रही है, भविष्य पर उन पर भी बुलडोजर चलना तय है।

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