उत्तर प्रदेश. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों का गेंहूं खरीदने में विफल रही। लक्ष्य से आधा गेंहू भी नहीं खरीदा जा सका। अधिकांश किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिल सका, उन्हें अपना गेंहू आढतियों को सौ से दो सौ रूपया कुन्तल कम दाम पर बेचने को मजबूर होना पडा।

 जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अविक साह ने कहा कि उत्तर प्रदेश से आयी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 15जून को खरीद का समय पूरा होने के बाद योगी सरकार मात्र करीब 37 लाख मीट्र्क टन की ही खरीद कर सकी जबकि खरीद का लक्ष्य 80 लाख मीट्रिक टन रखा गया था। योगी सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट के फैसले  में मूल्य समर्थन योजना के तहत किसानों का गेंहू खरीदने का लक्ष्य 80 लाख मीट्रिक टन रखा था और इसका यह कह कर भारी प्रचार किया कि सरकार किसानों की फसल का उचित मूल्य दिलाएगी।

उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार की हर सभा में प्रधानमंत्री श्रीमान मोदी ने भाजपा की सरकार बनने पर किसानों का एक एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का सब्जबाग किसानों को दिखाया था। लेकिन अब खरीद के आंकडे आने के बाद योगी सरकार के दावों व प्रधानमंत्री मोदी के वादों की पोल खुल गई है। प्रदेश में इस वर्ष  340 लाख मीट्रिक टन गेंहू की पैदावार हुई जिसमें से मात्र 11 फीसदी ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा गया, जबकि सरकार ने खरीद एजेन्सियों को 425 करोड अग्रिम धनराशि जारी की थी। पिछले वर्ष की तुलना में 70 लाख मीट्रिक टन गेंहू की अधिक पैदावार होने व बाजार में दाम गिरने के चलते इस साल नोटबंदी की मार झेल रहे किसानों को यदि  न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल जाता तो उन्हें थोडी राहत जरूर पहुंचती।

जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय सह संयोजक अजीत सिंह यादव ने कहा कि सौ दिन पूरे होने पर  योगी सरकार जिन्हें ‘विस्वास के सौ दिन’ बता रही है वे किसानों के लिए ‘धोखाधड़ी के सौ दिन’ साबित हुए हैं। योगी सरकार की पहली कैबिनेट में लिए गये दो फैसालों गेंहू खरीद व आलू खरीद् योजना में किसानों को धोखा मिला है। बहुप्रचारित कर्जमाफी के फैसले पर भी भ्रम की स्थिति है। फैसले के दो माह बीत जाने के बाद भी कोई नोटिफिकेशन तक जारी नहीं हुआ है। बैंको की ओर से किसानों को कर्ज वसूली के नोटिश भेजे जा रहे हैं। कर्ज वसूली के लिए प्रदेश में किसानों की धरपकड़ जारी है। मार्च 2016 तक लघु-सीमान्त किसानों की एक लाख तक की कर्ज माफी की योगी सरकार की घोषणा किसानों के साथ की गयी बड़ी धोखाधड़ी है। इससे किसानों की बहुसंख्या जिसने मार्च 2016 के बाद फसली कर्ज लिया है वह बंचित रह जायेगी। फसली कर्ज ही माफ़ करना था तो मार्च 2017 तक का किया जाता तो किसानों को लाभ मिलता। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों के सभी कर्ज माफ करने का वादा उत्तरप्रदेश की चुनावी सभाओं में किया था, भाजपा ने अपने चुनाव संकल्प पत्र में लघु-सीमान्त किसानों के सारे फसली कर्ज को माफ़ करने की बात कही थी। लेकिन सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने वादाखिलाफी की।

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