gang-rape

राजस्थान के अलवर में मंगलवार रात को मंद-बुद्धि नाबालिग सोलह वर्षीय किशोरी के साथ दुष्कर्म की घटना हुई। जिस तरह से दिल्ली में निर्भया के साथ घटित हुआ, कुछ वैसा ही इस मासूम किशोरी के साथ घटित हुआ है। अलवर की इस लोहमर्षक घटना ने निर्भया केस की यादें दिला दी। दिल्ली की तरह अलवर में भी किशोरी के प्राइवेट पार्टस में गहरे जख्म मिले हैं, जिसके चलते उसकी ब्लीडिंग तब तक रुक नहीं पाई, जब तक चिकित्सकों ने उसे संभाला नहीं और उसका ऑपरेशन करना पड़ा। एक मासूम बालिका, जो सामान्य बालिकाओं की तरह नहीं है, उसके साथ ऐसा घिनौना अपराध को राक्षस या दरिंदा ही कर सकता है। ऐसे दरिंदों को भी वो ही सजा मिलनी चाहिए, जैसी निर्भया केस में मिली। या कहे इससे भी कठोरतम सजा के प्रावधान होने चाहिए, जिनके चलते कोई दरिंदा दुष्कर्म की सोच भी नहीं सके। अलवर की तरह हाल ही बस्सी में भी मानसिक रुप से बीमार एक विवाहिता के साथ उसी के गांव वाले ने दुष्कर्म करके हत्या कर दी थी और लाश को कुएं में धकेल दिया था। बीकानेर, अलवर, दौसा, जयपुर में भी ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी है। छोटी बच्चियों के साथ भी दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि कानून में कोई कमी है। कानून में सख्त प्रावधान है। दरिंदों के लिए आजीवन कारावास और मृत्युदण्ड तक के प्रावधान है, लेकिन भी समाज में दरिदंगी की घटनाएं कम नहीं हो रही है, बल्कि हर साल बढ़ रही है। आखिर ऐसी घटनाओं पर रोक क्यों नहीं लग पा रही है या कमी क्यों नहीं आ रही है, इस बारे में सरकार और समाज को भी सोचना होगा। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक हर दिन करीब 77 केस बलात्कार के दर्ज हो रहे हैं। वर्ष 2020 में करीब 28 हजार केस बलात्कार के दर्ज हुए है, जिनमें सर्वाधिक केस राजस्थान के थे। राजस्थान में 53सौ मामले रेप के सामने आए। ये आंकड़े काफी चिंताजनक है, एक सभ्य समाज के लिए। ऐसी घटनाओं के कारण घर-परिवार, मोहल्ले में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं है। परिवार वाले भी आशंकित रहते हैं कि कोई अनहोनी ना हो जाए। निर्भया जैसी घटनाएं समाज में तभी रुक सकती है, जब कानून में ओर भी कठोर प्रावधान लागू किए जाए। जैसे विदेशों में है। दुष्कर्मी के दोषी को आजीवन जेल में रखा जाए। ना पैरोल मिले और ना ही कोई सुविधा। साथ ही इंजेक्शन देकर दोषी  दुष्कर्मियों को नपुंसक बनाने के प्रावधान लागू किए जाने चाहिए। इस बारे में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में भी चर्चा भी हो चुकी है। इस तरह के कठोर प्रावधानों से ही दुष्कर्म केसों पर रोक लगेगी, साथ ही दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम देने वाले दरिंदों में कानून का खौफ बैठेगा।

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