जयपुर। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि राजस्थान जैसे प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों और बिखरी हुई आबादी के चलते बच्चों को अच्छी शिक्षा उपलब्ध करा पाना एक चुनौती है। हमारी सरकार ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए शिक्षा व्यवस्था में आमूल बदलाव कर इसे सीखने पर आधारित बनाने पर बल दिया है। आज प्रदेश में 63 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों के तीन लाख क्लासरूम्स में तीन लाख टीचर्स के माध्यम से 75 लाख बालक-बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जयपुर एग्जीबिशन एण्ड कन्वेंशन सेंटर में देश के पहले एजूकेशन फेस्टिवल के उद्घाटन समारोह में
राजे ने कहा कि बालिकाओं के लिए अलग टॉयलेट्स और स्वच्छता को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार ने जो प्रयास किए हैं, उनसे स्कूलों में बालिकाओं की उपस्थिति और नामांकन में सुधार आया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल, इंजीनियरिंग, वकालत और मैनेजमेंट के अलावा प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को विज्ञान और कला के विषयों में भी उच्च अध्ययन के अवसर उपलब्ध कराने होंगे, क्योंकि ये विषय ही मानव सभ्यता की प्रगति के मूल आधार हैं। राजे ने कहा कि राष्ट्र निर्माण की दिशा में शिक्षक महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। इसलिए जरूरी है कि शिक्षक आधुनिक समय की आवश्यकताओं के हिसाब से स्वयं को अपडेट करें। इसी को ध्यान में रखकर हमारी सरकार शिक्षकों की क्षमता संवर्धन के लिए उन्हें नई शिक्षण पद्धतियों और पाठ्यक्रमों में आ रहे बदलावों से अवगत करा रही है।
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सिर्फ डिग्रियां ही काफी नहीं है। इसलिए हम मूलभूत शिक्षा के साथ-साथ उद्योगों के सहयोग से कौशल विकास पर ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश कौशल विकास के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बन चुका है और प्रदेश में दो नई स्किल यूनिवर्सिटीज की स्थापना भी की जा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठित संस्थान आगे आएं।