Sister Nivedita reinstated the pride of Indian culture: PM

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नि:स्वार्थ भाव से मानवता की सेवा करने वाले असाधारण लोगों में भगिनी निवेदिता के नाम को प्रमुख बताते हुए आज यहां कहा कि उन्होंने न केवल भारतीय संस्कृति के गौरव को फिर से स्थापित किया बल्कि विभिन्न देशों में सनातन धर्म और दर्शन के बारे में किए जा रहे दुष्प्रचारों के खिलाफ़ आवाज़ भी उठाई। प्रधानमंत्री ने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि भगिनी निवेदिता स्वामी विवेकानंद से इतनी प्रभावित हुईं कि अपने सारे सुख वैभव को छोड़कर अपना जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी राज में होने वाले अत्याचारों से वह काफी आहत थीं। मोदी ने कहा कि अंग्रेज़ों ने, न सिर्फ हमारे देश को ग़ुलाम बनाया था बल्कि उन्होंने हमें मानसिक रूप से भी ग़ुलाम बनाने का प्रयास किया था। हमारी संस्कृति को नीचा दिखा कर हम में हीन-भावना पैदा करने का काम निरंतर किया गया। भगिनी निवेदिता ने भारतीय संस्कृति के गौरव को पुनः स्थापित किया। उन्होंने राष्ट्रीय-चेतना जागृत कर लोगों को एकजुट करने का काम किया। उन्होंने दूसरे देशों में जाकर सनातन धर्म और दर्शन के बारे में किए जा रहे दुष्प्रचारों के खिलाफ़ आवाज़ उठाई। प्रसिद्ध राष्ट्रवादी एवं तमिल कवि सुब्रह्मण्यम भारती अपनी क्रांतिकारी कविता ‘पुदुमई पेन्न’ और महिला सशक्तिकरण के लिए विख्यात रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि उनकी प्रेरणा भगिनी निवेदिता ही थीं। उन्होंने महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु का भी सहयोग किया। उन्होंने अपने लेखों और सम्मेलनों के माध्यम से बसु के शोध के प्रकाशन एवं प्रचार में सहायता की।

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में आध्यात्मिकता और विज्ञान, एक दूसरे के पूरक हैं। सिस्टर निवेदिता और वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु इसके सशक्त उदाहरण हैं। 1899 में, कलकत्ता में प्लेग फैला और कई लोगों की जाने चली गई। तब भगिनी निवेदिता ने अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बिना, नालियों और सड़कों की सफ़ाई का काम आरंभ कर दिया।गौरतलब है कि कल भगिनी निवेदिता की 150वीं जयंती थी।

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