नई दिल्ली। सीमा विवाद को लेकर भारत से जारी खींचतान के बीच श्रीलंका ने चीन को एक करारा झटका दे डाला है। श्रीलंका ने यह कदम भारत के सामरिक हितों को ध्यान में रखते हुए उठाया है। जिसमें श्रीलंका में बंदरगाह बना रहे चीन के समक्ष नई शर्तें लगा दी है। इस संबंध में श्रीलंका कैबिनेट ने हंबनटोटा पोर्ट को विकसित करने के लिए एक संशोधित समझौता पास किया है।

इस नए समझौते के तहत श्रीलंका सरकार से बंदरगाह पर वाणिज्यिक परिचालन में चीन की भूमिका को सीमित करने की मांग की है। साथ ही बंदरगाह पर व्यापक सुरक्षा निगरानी खुद के पास रखने को कहा है। बता दें हंबनटोटा पोर्ट एशिया में आधुनिक सिल्क रुट का एक अहम हिस्सा है। चीन यहां इंडस्ट्रीयल जोन बनाने के नाम पर 15 हजार एकड़ जमीन अधिकृत करने की योजना बना रहा है। यही वजह रही कि भारत की ओर से चिंता जाहिर की कि चीन इसका इस्तेमाल आने वाले समय में नेवी बेस के तौर पर कर सकता है। वहीं खुद श्रीलंका में इसका लेकर खासा विरोध सामने आया। स्थानीय लोगों को डर था कि वे अपनी जमीन खो देंगे। जबकि श्रीलंका के राजनेताओं ने एक बड़े भूभाग पर चीनी नियंत्रण के मामले में देश की संप्रभुता के साथ समझौते के तौर पर देखा।

-विवादों से उभरी चिंता
वैसे हंबनटोटा बंदरगाह विश्व के सबसे व्यस्ततम शिपिंग लेन के समीप है। इस मामले में विवाद तब उभरकर सामने आया जब निजीकरण के प्रयासों के तहत इसके चीनी कंपनी के हाथों में जाने की स्थिति सामने आई। चीन मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स ने 1.5 बिलियन डॉलर (9 हजार 7 करोड़ रुपए) में इस बंदरगाह को विकसित करने का समझौता किया। जिसके तहत कंपनी को इसमें 80 फीसद हिस्सेदारी देने की बात तय की गई।

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