labour law

दिल्ली. दिल्ली की यूथ-समिट में आए सब युवा साथी इस देश के युवाओं के सपनों और संघर्ष को आवाज़ देने के लिए एकजुट हुए हैं। “युवा-हल्लाबोल” हमारा शंखनाद है। हम हल्ला बोलेंगे बेरोजगारी की जड़ पर। भारत का भविष्य आज राष्ट्रनिर्माण में सार्थक योगदान करने की बजाय बेकार बैठने के लिए अभिशप्त है। शिक्षित बेरोज़गारी दर 16% है। सालाना एक करोड़ नौकरी का वादा करने वाली सरकार ने रोज़गार सृजन करना तो दूर, अकेले 2018 में एक करोड़ से ज़्यादा नौकरियां ख़त्म कर दीं हैं। सरकारी विभागों में ही कम से कम 24,00,000 पद खाली पड़े हैं। लेकिन भर्ती की बजाए सरकार पदों को ख़त्म कर रही है। बेरोजगारी को खत्म करने की बजाय सरकार रोज़गार के आंकड़ों को ही खत्म कर रही है। जॉब देने कि बजाय युवाओं को पकौड़े जैसे जुमले दिए गए हैं।

हम हल्ला बोलेंगे नौकरियों की भ्रष्ट चयन व्यवस्था पर। एसएससी, यूपीएससी, रेलवे भर्ती, शिक्षक, सिपाही भर्ती से लेकर अलग अलग राज्यों के चयन आयोगों तक हर जगह बेरोज़गार युवाओं को छला जा रहा है। नौकरी का विज्ञापन नहीं आता, और आ भी जाए तो परीक्षा करवाने में ही सालों साल लगा दिए जाते हैं। अगर परीक्षा हो तो पेपर लीक की घटनाएं इतनी आम हो गयी हैं कि इनकी ख़बर भी नहीं बनती। लगभग हर भर्ती परीक्षा में छात्रों को नेताओं, अफ़सरों, मीडियावालों और वकीलों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। क़िस्मत से परीक्षा होकर यदि परिणाम आ जाए तो फिर नियुक्ति देने में भी बेमतलब देरी की जाती है। सिस्टम के इसी रवैय्ये से पीड़ित युवाओं द्वारा अब आत्महत्या की दुखद ख़बरें भी आने लगी हैं।

हम हल्ला बोलेंगे लोकतांत्रिक व्यवस्था के तंत्र पर। इतना कुछ होने के बाद अगर हम लोकतांत्रिक ढंग से प्रदर्शन करें तो असंवेदनशील सरकारें न तो सुनती है, न ही संवाद करती है। अगर कुछ करती भी है तो जॉब मांगने वालों को लाठी डंडे और तरह तरह के जुमले देती है। हम इस देश के सत्ताधारियों को साफ साफ कहना चाहते हैं: हमें “जॉब चाहिए, जुमला नहीं!”

युवा-हल्लाबोल सिर्फ नकारात्मक नहीं, एक सकारात्मक पहल है। हम बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ सिर्फ़ शोर नहीं मचा रहे, बल्कि समस्या के समाधान के लिए सुझाव भी दे रहे हैं। इस यूथ-समिट के माध्यम से हम सभी युवा समूहों की मांग सरकार तक पहुंचा रहे हैं। रोज़गार के अवसर और ईमानदार परीक्षा प्रणाली से संबंधित मांगों के अलावा हमने एक “मॉडल एग्ज़ाम कोड” बनाया है जिसको लागू कर दिया जाए तो कोई भी भर्ती प्रक्रिया 9 महीने में पूरी हो सकती है। युवा-हल्लाबोला का कहना है “मॉडल कोड लागू करो, 9 महीने में नौकरी दो!” हम मांग करते हैं कि बेरोज़गारी को “राष्ट्रीय आपदा” घोषित किया जाए और इसे सर्वोच्च राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाकर उन सुझावों को लागू किया जाय जो हम इस यूथ समिट के माध्यम से पेश कर रहे हैं।

अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम हल्ला बोलेंगे राजनैतिक पार्टियों और नेताओं पर। हमारी मांगों के प्रति अब तक असंवेदनशील रही केंद्र और राज्य सरकारों को हम एक अंतिम मौका दे रहे हैं। हम सरकार में बैठे रहनुमाओं को एक महीने का अल्टीमेटम देते हैं। चाहे केंद्र में हो या राज्यों में, हम हर उस सरकार के ख़िलाफ़ हल्ला बोलेंगे जो 27 फरवरी तक हमारी मांगों पर कार्यवाई नहीं करती। चूंकि पार्टियां और नेता सिर्फ वोट की भाषा सुनते हैं, इसलिए हमे भी अपनी बात इसी भाषा में सुनानी पड़ेगी। इस लोक सभा चुनाव में देश के युवा यह सुनिश्चित करेंगे कि देश के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली कोई भी युवा विरोधी पार्टी किसी भी स्तर पर सरकार में न हो।

यह युवा समिट देश में चल रहे अन्य ऐसे सभी अभियानों और प्रयासों का समर्थन करती है और देश भर के युवाओं से आव्हान करती है कि वो आगामी 27 फरवरी से एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन के लिए तैयारी करें।

LEAVE A REPLY