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जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज एक कार्यक्रम ‘गुजरात गौरव अभियान’ में भाग लिया। उन्होंने नवसारी के एक जनजात्तीय क्षेत्र खुदवेल में ‘गुजरात गौरव अभियान’ के दौरान कई विकास पहलों का उद्घाटन और आधारशिला रखी। इसमें 7 परियोजनाओं का उद्घाटन, 12 परियोजनाओं का शिलान्यास और 14 परियोजनाओं का भूमि पूजन शामिल हैI इन परियोजनाओं से क्षेत्र में पानी की आपूर्ति में सुधार के साथ-साथ सम्पर्क (कनेक्टिविटी) को बढ़ावा देने तथा जीवन में आसानी बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल, केंद्रीय और राज्य मंत्री तथा जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर जनजातीय आबादी की विशालता का उल्लेख किया। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन आदिवासी भाइयों और बहनों के निरंतर स्नेह को दर्शाता है। उन्होंने जनजातीय  क्षमता और दृढ़ संकल्प की महिमा को स्वीकार करते हुए नवसारी की भूमि को नमन किया।

पिछले दो दशकों में तेजी से हुए समावेशी विकास और इस विकास से पैदा हुई एक नई आकांक्षा गुजरात का गौरव है। डबल इंजन की सरकार इस गौरवशाली परंपरा को ईमानदारी से आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि आज की परियोजनाओं से दक्षिण गुजरात के सूरत, नवसारी, वलसाड और तापी जिलों में जीवन आसान होगा।

प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे 8 साल पहले गुजरात के लोगों ने उन्हें दिल्ली भेजा था। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में सरकार लोगों और कई नए क्षेत्रों को विकास प्रक्रिया और आकांक्षाओं से जोड़ने में सफल रही है। उन्होंने याद किया कि कैसे एक समय था जब गरीब, वंचित, दलित, आदिवासी, महिलाएं और अन्य कमजोर वर्ग अपना पूरा जीवन सिर्फ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में लगा देते थे। पहले की सरकारों ने विकास को प्राथमिकता नहीं दी थी। अधिकांश जरूरतमंद वर्ग और क्षेत्र सुविधाओं से वंचित थे। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में सबका साथ, सबका विकास के मंत्र का पालन करते हुए उनकी सरकार ने गरीबों के कल्याण और गरीबों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने पर अत्यधिक जोर दिया हैI अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि अब सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं की संतृप्ति के माध्यम से गरीबों के 100 प्रतिशत सशक्तिकरण के कार्यक्रम को शुरू किया है। प्रधानमंत्री ने मुख्य मंच पर पहुंचने से पहले जनजातीय समुदायों के लाभार्थियों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि जनता और लाभार्थियों से संपर्क विकास के समर्थन को नई गति प्रदान करता है।

गुजराती में अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री ने स्थानीय लोगों के साथ अपने लंबे जुड़ाव को भी  याद किया। उन्होंने उस समय के दौरान लोगों के आतिथ्य और स्नेह को याद किया जब वे इस क्षेत्र में काम कर रहे थे। भावुक होते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि “आपका स्नेह और आशीर्वाद ही मेरी ताकत है”। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदायों के बच्चों को हर संभव अवसर मिले एवं इसके साथ ही उनके स्वच्छता, ज्ञान, संगठन और अनुशासन के गुणों का उल्लेख किया। उन्होंने जनजातीय लोगों के बीच सामुदायिक जीवन और पर्यावरण संरक्षण के मूल्यों की भी बात की। उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में पानी सुनिश्चित करने के अपने काम की भी बात की। उन्होंने कहा कि आज की तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं पहले के उन दिनों की तुलना में बिल्कुल विपरीत हैं, जब पानी की टंकी के उद्घाटन जैसी छोटी बात भी सुर्खियों में रहती थी। उन्होंने कहा कि निरंतर कल्याण और विकास की परियोजनाएं लंबे समय से उनकी शासन शैली का हिस्सा रही हैं और इन परियोजनाओं का उद्देश्य जन कल्याण और ग़रीबों का कल्याण करना है और ये किसी भी चुनावी विचार से हटकर हैं। दुर्गम क्षेत्र में रहने वाला हर गरीब और हर आदिवासी स्वच्छ पानी का हकदार है, इसीलिए इतनी बड़ी परियोजनाएं शुरू की जा रही हैंI उन्होंने कहा कि यह वर्तमान प्रधानमंत्री की पहचान ही है कि उनके द्वारा ही किसी परियोजना का शिलान्यास और फिर उद्घाटन किया जाता है और यही परियोजनाओं के समय पर पूरा किए जाने के लिए कार्य संस्कृति में व्यापक परिवर्तन है। उन्होंने जोर देकर कहा कि “हम सरकार में रहने को सेवा के अवसर के रूप में देखते हैं” और हम प्रतिबद्ध हैं कि पुरानी पीढ़ी के सामने आने वाली समस्याओं का सामना हमारी नई पीढ़ी को न करना पड़े। यही कारण है कि ये योजनाएं स्वच्छ पानी, सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित कर रही हैं। उन्होंने उस समय को याद किया जब इस क्षेत्र में एक भी विज्ञान विद्यालय नहीं था जबकि अब यहाँ मेडिकल कॉलेज और विश्वविद्यालय आ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे दूर-दराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, व्यवसाय, सम्पर्क (कनेक्टिविटी) संबंधी योजनाओं के माध्यम से जीवन बदल रहा है। उन्होंने प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए डांग जिले और दक्षिण गुजरात की भी प्रशंसा की।

 

 

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