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राज्य सरकार कर्मचारियों के कल्याण एवं हितों की सुरक्षा हेतु कृत-संकल्प
जयपुर। राज्य कर्मचारियों को 1 अक्टूबर 2017 से सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग का लाभ दिया गया है। इससे उनके वेतन एवं भत्तोें में 20 प्रतिशत से 30 तक की वृद्वि हुई है। राज्य के पेंशनर्स को भी उपरोक्त का फायदा पहुंचा है तथा ग्रैच्युटी की वर्तमान अधिकतम सीमा को 10 लाख से बढ़ा कर 20 लाख कर दिया गया है। संशोधित वेतनमान के फलस्वरूप 1 अक्टूबर 2017 के पश्चात् सेवानिवृत्त होने वाले राज्य कर्मचारियों को कम्यूटेशन, ग्रैच्युटी तथा पेंशन की राशि बढ़े हुये वेतन के आधार पर मिलेगी। मकान किराये भत्ते को भी केन्द्र सरकार के समान ही प्रदेश के बड़े शहरों में 16 प्रतिशत तथा अन्य शहरों व कस्बों में 8 प्रतिशत किया गया है। जो कि वर्तमान में मिलने वाले मकान किराया भत्ते की राशि के दुगुने से भी ज्यादा है। नयी पे मैट्रिक्स प्रणाली में 1 जनवरी 2016 से पे-लेवल निर्धारण विद्यमान ग्रेड-पे वार प्रारम्भिक वेतन (एन्ट्री-पे) के 2.57 से 2.72 के गुणक के आधार पर किया गया है। वार्षिक वेतन वृद्वि की दर पूर्ववत 3 प्रतिशत ही रखी गई जो प्रति वर्ष 1 जुलाई को दी जायेगी । चूंकि अब मूल वेतन में काफी वृद्धि हो गई है, अतः 3 प्रतिशत वार्षिक वेतन वृद्धि की राशि भी राज्य कर्मचारी को वर्तमान से ढाई गुणा से ज्यादा बढ़ जायेगी।
नवनियुक्त एवं कार्यरत प्रोबेशनर कार्मिकों को देय राशि में छठे वेतन आयोग में मिलने वाली राशि में 56 से 85 प्रतिशत तक वृद्धि की गई है तथा इन कार्मिकों को न्यू पेंशन योजना को लाभ देते हुए सरकार की ओर से 10 प्रतिशत राशि वहन की जायेगी । इनके आकस्मिक अवकाशों में भी वृद्धि की गई है। इसके साथ ही परीवीक्षाधीन कार्मिकों को दो साल के परीवीक्षा काल समाप्त होने पर उसके तुरन्त पश्चात् आने वाली 1 जुलाई को वेतन वृद्धि भी दी जायेगी। किसी कारण से कुछ कर्मचारी वर्गो में यह भ्रान्ति फैल रही है कि सातवें वेतन आयोग के समस्त परिलाभ 1 अक्टूबर 2017 से दिये गये है, जबकि पूर्व आयोगों के समय इन्हें पूर्व तिथियों यथा 1 जनवरी 1997 से पांचवां वेतन आयोग तथा 1 जनवरी 2007 से छठां वेतन आयोग के नकद लाभ दिये गये थे। इस संबंध में यह स्पष्ट किया जाता है कि राज्य सरकार की मंशा कर्मचारियों के कल्याण व हित के लिए ही है और इसे पूर्व की तिथि से लागू किया जायेगा । इसके बारे में श्री डी. सी. सामन्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी को अपनी अभिशंसा देने के लिए कहा गया है और अतिशीघ्र ही इस बारें में राज्य सरकार द्वारा अन्तिम निर्णय लिया जायेगा। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाता है कि वर्ष 2013 में ग्रेड पे 2800 से कम के पदों के लिए कुछ कर्मचारियों के हित में ग्रेड पे बढ़ाने की घोषणा की गई थी । परन्तु ग्रेड पे के साथ-साथ उनके रनिंग पे बैण्ड के मूल वेतन में भी गलत वृद्वि हो गई, जिससे उस समय के नए नियुक्त प्रोबेशनर टे्रनी का नियमित होने पर निर्धारित होने वाला प्रारम्भिक वेतन पदोन्नति प्रात्त कर्मचारियों जो उनके वरिष्ठ थे, के मूल वेतन से भी अधिक हो गया है। अब मात्र उस समय की विसंगति को ठीक किया गया है। साथ ही जो भी अधिक वेतन राज्य कर्मचारीयों के इस वर्ग द्वारा प्राप्त किया गया उसे वसूल नहीं करने का निर्णय भी लिया गया है। ऎसा करने से राज्य सरकार पर लगभग 400 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार पडे़गा।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से राज्य सरकार को 10,500 करोड़ रूपये प्रति वर्ष का अतिरिक्त वित्तीय भार वहन करना पडे़गा। अक्टूबर 2017 से बढ़े हुए वेतन के नकद भुगतान हेतु फिक्सेशन का कार्य जारी है तथा जल्दी ही एरियर की तिथि की घोषणा करने के साथ ही उसके भुगतान की भी व्यवस्था की जायेगी। इसके बाद भी यदि किसी प्रकार की वेतन विसंगति की बात आती है तो उसकी सुनवाई हेतु वेतन विसंगति निराकरण कमेटी का गठन भी कर दिया गया है। कमेटी ने अपना कार्य आरम्भ कर दिया है।
अतः स्पष्ट है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के कल्याण एवं हितों की सुरक्षा हेतु कृत-संकल्प व जागरूक है और तदनुसार ही समस्त व्यवस्थाएं की जा रही है।
यह जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त श्री डी.बी.गुप्ता ने दी।

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