पटना। आरजेडी के बाहुबली नेता और माफिया डॉन शहाबुद्दीन की मुश्किलों को देश की शीर्ष अदालत ने बुधवार को और बढ़ा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को सुनाए गए अपने आदेश में कहा कि शहाबुद्दीन को सिवान जेल से तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया जाए। उसके खिलाफ सभी केस बिहार में ही चलेंगे। मामलों की सुनवाई वीडियो कांन्फ्रेसिंग के जरिए की जाएगी, जिसकी व्यवस्था करें। कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष ट्रायल कोर्ट की जिम्मेदारी है। साथ ही कहा कि शहाबुद्दीन को बिहार से दिल्ली लाते समय कोई विशेष सुविधा नहीं दी जाए। इसके अतिरिक्त पटना हाईकोर्ट को स्पष्ट आदेश दिया कि शहाबुद्दीन से संबंधित लंबित मामलों का निपटारा अगले चार माह में पूरा कर लिया जाए। गौरतलब है कि गौरतलब है कि पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और अपने तीन पुत्रों को खो चुके चंदाबाबू ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर मांग की थी कि शहाबुद्दीन को बिहार से बाहर शिफ्ट किया जाए। ताकि वह बिहार में उसके खिलाफ लंबित मामलों को प्रभावित न कर सके। कोर्ट ने आशा रंजन व चंदाबाबू की याचिकाओं को एक जगह करते हुए यह मामला सुनाया। बिहार के बाहुबली नेता माने जाने वाले शहाबुद्दीन को गत वर्ष 7 सितंबर को जमानत मिली तो वह 9 सितंबर को जेल से बाहर आ गया था। लेकिन जमानत रद्द होने के साथ ही फिर 30 सितंबर को वापस जेल की हवा खानी पड़ी।
सीवान से निकला बिहार का बाहुबली डॉन
मोहम्मद शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1967 को सीवान जिले के प्रतापपुर में हुआ। बिहार से ही उसने राजनीति में एमए और पीएचडी की। शहाबुद्दीन का नाम पहली बार अस्सी के दशक में आपराधिक मामले में सामने आया। 1986 में उसके खिलाफ पहला आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद उसके नाम कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हुए तो पुलिस ने सीवान के हुसैनगंज थाने में शहाबुद्दीन की हिस्ट्रीशीट खोल कर उसे ए श्रेणी का हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया। 1990 व 1995 में विधान सभा व 1996 में उन्हें लोकसभा चुनाव में शहाबुद्दीन ने जीत हासिल की। 2001 में राज्यों में सिविल लिबर्टीज के लिए पीपुल्स यूनियन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि राजद सरकार कानूनी कार्रवाई में शहाबुद्दीन को संरक्षण दे रही थी। सरकार की ताकत ने उसे एक नई चमक दी तो पुलिस भी उसकी आपराधिक गतिविधियों के मामले में आंखें मूंदे रही। यही वजह रही कि एक मामले में जब पुलिस उसे गिरफ्तार करने गई तो छापेमारी के दौरान दो पुलिसकर्मियों सहित 10 लोगों की मौत हो गई। पुलिस को मौके से 3 एके-47 भी बरामद हुई। जहां उसके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज किए गए। वर्ष 2004 से शहाबुद्दीन का समय खराब ही चला। नवंबर 2005 में बिहार पुलिस की एक विशेष टीम ने दिल्ली में शहाबुद्दीन को उस वक्त दोबारा गिरफ्तार कर लिया था जब वह संसद सत्र में शामिल होने आया था। इससे पहले प्रतापपुर में एक पुलिस छापे में उसके पैतृक निवास से कई अवैध आधुनिक हथियार, सेना के नाइट विजन डिवाइस और पाकिस्तानी शस्त्र फैक्ट्रियों में बने हथियार बरामद हुए थे। इसी तरह हत्या, अपहरण, बमबारी, अवैध हथियार रखने और जबरन वसूली के दर्जनों मामले दर्ज हुए। अदालत ने शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

LEAVE A REPLY