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-अमित शाह-राहुल गांधी की नाराजगी और तेवरों से भाजपा-कांग्रेस में जिताऊ-टिकाऊ पैनल तय करने की कवायद फिर से होने लगी है, शाह-गांधी ने प्रभारियों को फिर से जिताऊ पैनल देने को कहा। राष्ट्रीय नेतृत्व की सर्वे रिपोर्ट से भिन्न थे पैनल में कई नाम। फटकार के बाद भाजपा-कांग्रेस के नेता फिर से पैनल की कवायद में लगे। दिवाली के बाद ही आएगी भाजपा-कांग्रेस की सूची।

जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के चयन की कवायद अंतिम दौर में है। प्रत्याशियों के पैनल बनाकर भाजपा व कांग्रेस ने बनाकर पार्टी आलाकमान को दे भी दिया था, लेकिन पैनल में कई नाम ऐसे थे, जिन्हें देखकर दोनों ही दलों के प्रमुख उखड़ गए। पैनल में कई नाम ऐसे आए, वे उनकी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक मेल नहीं खा रहे थे। भाजपा में तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रभारी व केबिनेट मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को नए सिरे से पैनल बनाने को कह दिया। करीब एक सौ सिंगल नाम की सूची हाईकमान को दी गई थी, जिसमें अधिकांश नाम विधायकों के थे। अमित शाह ने कई विधायक, जिनकी छवि ठीक नहीं थी, उनके नाम देख नाराज हो गए। साथ ही बुजुर्ग विधायकों के स्थान पर उनके परिजनों के नाम देख नाराज दिखे। अमित शाह ने साफ कह दिया कि जिनकी छवि ठीक नहीं है, उन्हें टिकट नहीं दिया जाए। पैनल में सिंगल के बजाय दो या तीन प्रत्याशियों का पैनल भेजा जाए। पहली सूची में अमित शाह की आपत्ति से प्रदेश नेतृत्व और सीएम वसुंधरा राजे खेमे में हलचल तेज हो गई। वे फिर से विधानसभा पैनल की कवायद में जुट गए हैं। हालांकि सूची में बदलाव की संभावना कम ही है। क्योंकि इस सूची में सीएम वसुंधरा राजे समेत सभी मंत्रियं, वरिष्ठ नेताओं व विधायकों के नाम है और सिंगल पैनल बनाकर भेजा गया है।

उधर, सीएम वसुंधरा राजे खेमा भी मौजूदा विधायकों में कुछेक को छोड़कर सभी को टिकट देने के पक्ष में है। बताया जाता है कि 164 विधायकों में से 100 को टिकट देने के पक्ष में है वसुंधरा राजे, लेकिन हाईकमान आधे से अधिक के टिकट काटने के मूड में है। वसुंधरा राजे खेमा का मानना है कि ज्यादा टिकट कटे तो बगावत हो सकती है। टिकट कटने पर निर्दलीय खड़े होकर पार्टी को चुनौती दे सकते हैं। हालांकि हाईकमान का तर्क है कि एंटी इंकमबेंसी को रोकने के लिए मौजूदा विधायकों के टिकट काटने आवश्यक है। सक्रिय नेता व कार्यकर्ताओं को टिकट देकर इस एंटी इंकमबेंसी को रोका जा सकता है। हाईकमान ने पहली सूची को लौटा तो दिया है लेकिन वसुंधरा राजे खेमा इसमें ज्यादा बदलाव के पक्ष में नहीं है। ऐसे में फिर से केन्द्रीय और प्रदेश नेतृत्व में टकराव के हालात हो सकते हैं। वैसे ऐसी ही स्थिति मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी रही। वहां भी मौजूदा विधायकों के टिकट काटने को कहा, लेकिन वहां के प्रदेश नेतृत्व और सीएम शिवराज सिंह व रमन सिंह ने इनकार कर दिया। अंत में प्रदेश नेतृत्व की सूची को ही जारी की सूची ही जारी की गई है। एैेसे में राजस्थान में अगर टकराव के हालात बने तो प्रदेश नेतृत्व और सीएम वसुंधरा राजे खेमे की पैनल को अंतिम मानते हुए सूची जारी हो सकती है। केन्द्रीय नेतृत्व किसी भी तरह का टकराव नहीं चाह रहा है। क्योंकि विधानसभा चुनाव के पांच महीने बाद लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित हो जाएगी। हालांकि केन्द्रीय नेतृत्व ने राजस्थान की पहली सूची को लौटाकर संकेत दे दिए हैं कि वे जिताऊ प्रत्याशी का नाम पैनल में भेजे, अन्यथा पार्टी को विधानसभा चुनाव में दिक्कत हो सकती है।

– राहुल गांधी ने भी दिखाए तेवर, लौटाई सूची
कांग्रेस ने भी राजस्थान की करीब 90 नामों का एक पैनल केन्द्रीय चुनाव समिति को भेजा था, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पैनल में तय नियमों व मापदण्डों के विपरीत लगातार दो-तीन बार से हार रहे और बड़े अंतर से हारे प्रत्याशियों के नाम देख नाराज हो गए। यहीं नहीं केन्द्रीय नेतृत्व की सर्वे रिपोर्ट से भी पैनल में शामिल नाम से मेल नहीं खाए। राहुल गांधी ने प्रभारी अविनाश पांडे, सह प्रभारियों और पीसीसी चीफ सचिन पायलट को फिर से सूची पर कवायद करने और पैनल में युवाओं, महिलाओं और सक्रिय कार्यकर्ताओं के नाम भी तय करने को कहा है। साथ ही जिताऊ उम्मीदवारों का पैनल तय करने के सख्त निर्देश दिए हैं। चर्चा है कि राहुल गांधी ने प्रभारियों को यहां तक कह दिया कि उन्हें जिताऊ प्रत्याशी तलाशने और पार्टी को फिर से सत्ता में लाने की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन वे खरे नहीं उतर रहे हैं। राहुल के तेवर देख हर कोई अचंभित रह गया। साथ ही पहली सूची के साथ शेष 110 सीटों की सूची में भी जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरु कर दी है। शुक्रवार को पीसीसी में सचिन पायलट ने मीडिया से कहा है कि अभी कोई सूची तय नहीं हुई है। दिवाली के बाद ही सूची जारी होगी। जो सूची मीडिया में चल रही है, उससे कईयों के बीपी ऊपर-नीचे हो गया है। भाजपा के साथ कांग्रेस में भी टिकट की मारामारी काफी है। अब देखना है कि सूची जारी होने के बाद दोनों ही दलों में क्या स्थिति रहती है। क्योंकि जिस दल में जितनी बगावत होगी, उतनी ही दिक्कतें उस पार्टी को चुनाव में उठानी पड़ सकती है।

– यह है कांग्रेस की संभावित सूची
राजस्थान में कांग्रेस के 80 नेताओं के टिकट तय करके सूची केन्द्रीय नेतृत्व को सौंप दी है, हालांकि कुछ सीटों पर विवाद को देख इस सूची को अंतिम माना जा रहा है। इस सूची में पार्टी के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक व पूर्व सांसदों के नाम है। सूची में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, सीपी जोशी, शांति धारिवाल, हेमाराम चौधरी, लालचंद कटारिया, हरीश चौधरी, साले मोहम्मद, मेवाराम जैन, आमीन खान, डॉ समरजीत सिंह, रतन देवासी, सुखराम विश्नोई, महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, गिरिराज सिंह, वीरेंद्र सिंह, विश्वेन्द्र सिंह, अशोक चांदना, धीरज गुर्जर, हीरालाल, बिजेंद्र ओला, दर्शन सिंह, भंवर सिंह, राजेन्द्र सिंह यादव, गोविंद सिंह, रामेश्वर डूडी, प्रद्युम्न सिंह, भंवरलाल शर्मा, घनश्याम, मास्टर भंवरलाल मेघवाल, रामनारायण गुर्जर, भजनलाल जाटव,
विवेक धाकड़, श्रवण कुमार, प्रताप सिंह खाचरियावास, बृजकिशोर शर्मा, विरेंद्र बेनीवाल, गिरिजा व्यास, गंगासहाय शर्मा, डॉक्टर सीपी जोशी, कृष्णा पुनिया,परसराम मोरदिया, मांगीलाल गरासिया, दानिश अबरार, जितेंद्र सिंह, भरत सिंह, दीपेंद्र सिंह शेखावत, नीरज डांगी, संयम लोढा के नाम सामने आए हैं।

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