जयपुर। राजस्थान में हुए एक बड़े घोटाले में कांग्रेस के दो पूर्व केन्द्रीय मंत्री के दो बेटों पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। करोड़ों रुपए की इस घोटाले में सीबीआई इन्हें अपराध में शामिल होना मानते हुए चालान पेश कर चुकी है। यह घोटाला एक सौ आठ एम्बुलैंस सेवा का है, जिसमें पीपीपी मॉडल पर शुरू की गई एक सौ आठ एम्बूलेंस सेवा में फर्जी दस्तावेज से राजकोष को करोड़ों रुपए की चपत लगाने के मामले में सीबीआई मामलों की अदालत के जज प्रदीप कुमार द्बितीय ने कांग्रेस दिग्गज के बेटों, कंपनी व एक अन्य के खिलाफ प्रसंज्ञन लेकर जमानती वारन्ट से तलब किया है। कोर्ट ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री वायलर रवि के पुत्र रवि कृष्णा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री एलेक्स एंटोनी के पुत्र अमित एंटोनी, श्वेता मंगल, मैसर्स जिकित्सा हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक को वारंट से बुलाया है। मामले में अगली तारीख 23 अगस्त है। चारों आरोपियों के खिलाफ सीबीआई ने 4 जून को अदालत में चालान पेश कर पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री के पुत्र कार्ति पी. चिदम्बरम, पूर्व सीएम अशोक गहलोत, एनआरएचएम के तत्कालीन निदेशक, तत्कालीन चिकित्सा मंत्री दुरु मियां सहित अन्य के खिलाफ जांच धारा 173(8) में लम्बित रखी थी। चारों आरोपियों को सीबीआई ने अभी तक गिरफ्तार नहीं किया है।

इस मामले को लेकर जयपुर नगर निगम के पूर्व मेयर पंकज जोशी ने 31 जुलाई 2013 को अशोक नगर थाने में परिवाद पेश कर आरोप लगाया था कि कम्पनी ने एम्बुलेंस के फेरों के फर्जी बिल बनाकर राजकोष को साढ़े तीन करोड़ रुपए की चपत लगाई। जयपुर पुलिस ने मामला दर्ज किया। बाद में सीबीआई ने 24 अगस्त, 2015 को मुकदमा दर्ज कर जांच में पाया कि धन्वन्तरी सेवा योजना में 108 एम्बुलेंस सेवा पीपीपी मॉडल पर गैर लाभकारी संगठन ईएमआरआई हैदराबाद से 23 मई, 2008 को समझौता बी. रामलिंगाराजू से हुआ था। जनवरी 2009 में सत्यम घोटाला होने से कम्पनी घाटे में चली गई। 7 अप्रेल 2010 को सरकार, जिकित्सा और आईसीईटी नीदरलैण्ड के बीच समझौता हुआ। आरोप है कि अमित एंटोनी ने 9 नवम्बर, 2009 के संयुक्त बोली समझौते एवं बैंक गारन्टी के नकदीकरण के संबंध में 28 जनवरी, 2010 के पत्रों पर आईसीईटी के प्रतिनिधि सुब्रतो दास के फर्जी हस्ताक्षर किए थे। शर्त के अनुसार 20 करोड़ का वार्षिक कारोबार नहीं करने कारण जिकित्सा अपात्र कम्पनी थी।

सीबीआई ने जांच में यह भी माना कि रवि कृष्णा ने निदेशक के पद पर रहने का पचास लाख का वेतन लिया। संचालन संभाल रही श्वेता मंगल ने 2010 से 2013 में करीब सवा करोड़ रुपए का वेतन लिया। अमित एंटोनी ने राजकोष को 62 लाख की हानि पहुंचाई।

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