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गुजरात : कांग्रेस के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि वह गुजरात चुनावों में पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और जापान की बात कर रहे हैं लेकिन अपने गृह राज्य के बारे में नहीं बोल रहे हैं। राहुल ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी पर ‘चुप्पी’ साधने के लिए भी मोदी पर सवाल उठाए। दावा किया जाता है कि उनकी कंपनी का टर्नओवर भाजपा के केंद्र में सत्तारूढ़ होने के बाद कई गुना बढ़ गया। राहुल ने कहा कि मोदी गुजरात में अपने प्रचार का मुद्दा लगातार बदल रहे हैं। राहुल को आज ही कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।

उन्होंने कहा कि पहले नर्मदा के पानी पर बात की गई लेकिन जब किसानों ने कहना शुरू किया कि उनके खेतों तक पानी पहुंचा ही नहीं तो मोदी ने पटरी बदल दी और ओबीसी मुद्दों पर बोलने लगे। जब लोगों ने उसे भी पसंद नहीं किया तो वह विकास के मुद्दों पर चले गए लेकिन ‘‘लोगों ने इसकी भी हवा निकाल दी।’’ बनासकांठा जिले में उन्होंने एक सभा में कहा, ‘‘अब मोदी जी अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान और जापान की बात करते हैं। मोदी जी, यह चुनाव गुजरात के भविष्य को लेकर है। कृपया गुजरात के बारे में भी कुछ बोलिए।’’ राहुल का इशारा साफ तौर पर प्रधानमंत्री के कल के बयान की तरफ था जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान गुजरात विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास कर रहा है और मणिशंकर अय्यर के ‘नीच’ वाले बयान से एक दिन पहले अय्यर के आवास पर उस देश के कुछ वर्तमान और पूर्व अधिकारियों की बैठक हुई थी।

कांग्रेस नेता ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में अपने भाषणों में प्रधानमंत्री ने अपना आधा वक्त कांग्रेस की आलोचना में बिताया है। 47 वर्षीय राहुल ने कहा, ‘‘एक तरफ वह दावा करते हैं कि उन्होंने भारत से कांग्रेस का सफाया कर दिया है तो दूसरी तरफ वह अपना आधा वक्त कांग्रेस को दे रहे हैं। उनके भाषण का शेष आधा समय स्वयं नरेन्द्र मोदी जी के लिए होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मोदीजी कृपया अपने भाषण में दो-तीन मिनट गुजरात के भविष्य के बारे में भी बात कीजिए।’’ राहुल ने भ्रष्टाचार पर मोदी की चुप्पी पर भी सवाल किए। उन्होंने अमित शाह के बेटे की कंपनी के टर्नओवर के कथित तौर पर काफी बढ़ने को लेकर उन पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी जी अमित शाह से डरते हैं, इसलिए वह जय शाह के बारे में एक भी शब्द नहीं कह रहे हैं।’ राहुल ने कहा कि कांग्रेस अगर गुजरात में सत्ता में आती है तो दस दिनों के अंदर किसानों के ऋण माफ कर दिए जाएंगे। उन्होंने दावा किया कि राजग सरकार ने देश के दस सबसे धनी लोगों के 1.30 लाख करोड़ रुपये के ऋण माफ कर दिए। उन्होंने कहा कि जब किसान ऋण माफ करने के लिए कहते हैं तो केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली और प्रधानमंत्री कहते हैं कि यह उनकी नीति नहीं है।

उन्होंने पूछा, ‘‘किसानों के ऋण क्यों नहीं माफ किए गए क्योंकि वे विमानों में नहीं उड़ते, उनके पास बड़ी कारें नहीं हैं और उनके पास 15 लाख रुपये का सूट नहीं है।’’ राहुल ने आरोप लगाया कि गुजरात सरकार और टाटा के बीच नैनो के समझौते में भ्रष्टाचार हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने मनरेगा को 35 हजार करोड़ रुपये की राशि आवंटित की जबकि भाजपा सरकार ने टाटा नैनो फैक्टरी को 33 हजार करोड़ रुपये दे दिए। नर्मदा का पानी फैक्टरी में गया। फैक्टरी को 24 घंटे बिजली मिलती है जबकि आपको यह सिर्फ रात में मिलती है।’’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि मुंद्रा के आसपास के गांवों की जमीन अडानी समूह को एक रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से दी गई जबकि अडानी ने इसे 3,000 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से बेच दिया। नोटबंदी और जीएसटी पर सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि नोटबंदी से आम आदमी की आधी ‘‘राशि लूट ली गई’’ और शेष धन ‘‘गब्बर सिंह टैक्स’’ से लूट लिया गया।

उन्होंने वडोदरा जिले के सावली कस्बे में एक रैली में भी राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर प्रधानमंत्री पर हमला किया। राहुल ने कहा कि कांग्रेस ‘‘अत्यधिक मुनाफाखोरी को रोकने’’ के लिए पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती है लेकिन प्रधानमंत्री ने यह मांग स्वीकारने से इनकार कर दिया ‘‘क्योंकि वे अपने दोस्तों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं जिनकी पेट्रोल रिफाइनिंग कंपनियां हैं। उन्होंने मोदी से जीएसटी को आसान बनाने और ‘‘बयानबाजी’’ छोड़ने को कहा। साथ ही उन्होंने कहा कि ‘‘कर वसूलने वालों को व्यापक अधिकार देने वाली ‘एक देश सात कर’ की व्यवस्था को ठीक करने’’ का समय आ गया है।

राहुल ने कहा, ‘‘गुजरात में सिंचाई के लिए पानी नहीं है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) भाजपा से नाराज है। भगवा दल के गुजरात के मॉडल राज्य होने के दावे में आम आदमी का भरोसा नहीं है।’’ कांग्रेस नेता ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘‘मोदी अपने उद्योगपति दोस्त, जिनपर 45,000 रुपये का बड़ा कर्ज था, को फायदा पहुंचाने के मकसद से इस सौदे पर हस्ताक्षर करने के लिए फ्रांस गए। उस उद्योगपति को युद्ध, विमान के बारे में कुछ नहीं पता और ना हीं लड़ाकू विमानों के निर्माण का कोई अनुभव है।’

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