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जयपुर, 5 अगस्त। राज्य विधानसभा ने सोमवार को राजस्थान सम्मान और परम्परा के नाम पर वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक, 2019 संशोधित रूप में ध्वनिमत से पारित कर दिया।
संसदीय कार्यमंत्री शांति कुमार धारीवाल ने मुख्यमंत्री की ओर से सदन में विधेयक प्रस्तुत किया। उन्होंने विधेयक को सदन में लाने के कारणों एवं उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए बताया कि समाज में दो वयस्कों द्वारा अपनी सहमति से अंतर-जातीय, अंतर-सामुदायिक, अंतर-धार्मिक या कुटुंब, जाति, समुदाय या धर्म के सम्मान की रक्षा के नाम पर जाति पंचायत के आदेशों से ऎसे युगल, उनके कुटुम्ब या उनके रिश्तेदारों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत किया जाता है।

उन्होंने कहा कि ऎसे मामलों में आर्थिक जुर्माना लगाने, उन्हें गांव या क्षेत्र छोड़ने पर मजबूर किया जाता है। इसके साथ ही उन्हें पूजा स्थल, सार्वजनिक स्थानों आदि का प्रयोग करने से वंचित किए जाने का दण्ड दिया जाता है और उन्हें अपनी भूमि से बेकब्जा करने की घटनाएं होती हैं।

धारीवाल ने कहा कि पिछले वर्षों में ऎसे वैवाहिक सम्बंधों में अवरोध डालने, धमकी देने एवं उनकी हत्या कर देने के मामलों में वृद्धि हुई है जोकि सामाजिक समरसता और भाईचारे के लिए घातक है। उन्होंने कहा कि यद्यपि धमकी या हिंसा के कृत्य भारतीय दण्ड संहिता के अधीन अपराध हैं जिनके लिए दण्ड के प्रावधान हैं। फिर भी वर्तमान में सामाजिक परिवेश और संवैधानिक व्यवस्था को देखते हुए ऎसे अपराधों पर नियंत्रण करने, अपराधियों को दण्डित करने के लिए अलग से प्रावधान किया जाना जरूरी है।

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि आज के आधुनिक युग में देश चंद्रमा पर दस्तक देने को तैयार है ऎसे में सामाजिक कुरीतियां हमारे विकास की राह में अवरोधक हैं। वर्षों से प्रचलित सामाजिक-धार्मिक रीति रिवाजों से आज के युवाओं द्वारा अंतरजातिय विवाह किया जाना मेल नहीं खाता है। इस टकराव के कारण परम्परा के विरुद्ध किए गए कार्य के प्रति खाप पंचायत और ऑनर किलिंग जैसी आपराधिक घटनाएं घटित होती हैं। राजस्थान भी ऎसी घटनाओं से अछूता नहीं रहा।

धारीवाल ने कहा कि राजस्थान में पिछले पांच वर्ष में 71 प्रकरण खाप पंचायतों के विरुद्ध उनके द्वारा जारी अवैध फरमानों के सम्बंध में दर्ज किए गए हें। इनमें से प्रकरण प्रेम-प्रसंग और पारिवारिक मतभेदों के भी हैं। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्ष में 10 ऑनर किलिंग की घटनाओं ने हमारे प्रदेश को शर्मसार किया है। इन आपराधिक घटनाओं में अंतर-जातीय विवाह करने वाले चार लड़के और आठ लड़कियों की हत्या कर दी गई। उन्होंने इस सम्बंध में श्रीगंगानगर और सिरोही जिले में परिवारजनों की ओर से दो युवतियों तथा एक युवक की हत्या किए जाने की घटना का भी उदाहरण दिया।

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि मौजूदा कानून व्यवस्था ऑनर किलिंग जैसी घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त साबित नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अंतर-जातीय, अंतर-धार्मिक तथा अंतर-सामुदायिक विवाह करने वाले वयस्कों को कानून से संरक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। साथ ही उन्हें धमकी देने वाले या नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्यवाही की आवश्यकता है। इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के संशोधन प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

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