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delhi. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आज यहां ‘अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन 2018’ का उद्घाटन किया। पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के.जे. अल्फोन्स ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की। 4 दिवसीय सम्मेलन का आयोजन पर्यटन मंत्रालय ने महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य सरकारों के सहयोग से किया है। यह आयोजन 23 से 26 अगस्त, 2018 को नई दिल्ली और अजंता (महाराष्ट्र) में चलेगा। इसके बाद राजगीर, नालंदा और बोधगया (बिहार) तथा सारनाथ (उत्तर प्रदेश) स्थानों का अवलोकन होगा।

राष्ट्रपति ने महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों पर आधारित पर्यटन मंत्रालय की वेबसाइट indiathelandofbuddha.in को लांच किया। इस अवसर पर देश के बौद्ध स्थलों के बारे में एक नई फिल्म भी जारी की गई है। 24 से 26 अगस्त, 2018 की अवधि के दौरान प्रतिनिधिमंडल को औरंगाबाद, राजगीर, नालंदा, बोधगया और सारनाथ की यात्रा भी कराई जाएगी।
बांग्लादेश, इंडोनेशिया, म्यांमार और श्रीलंका से मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल सम्मेलन में हिस्सा ले रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन में इन 29 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं – ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, कंबोडिया, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, हांगकांग, इंडोनेशिया, जापान, लाओ पीडीआर, मलेशिया, मंगोलिया, म्यांमार, नेपाल, नॉर्वे, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, स्लोवाक गणराज्य, स्पेन, श्रीलंका, ताइवान, थाईलैंड, इंग्लैंड, अमेरिका और वियतनाम।

अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि बौद्धधर्म का भारत से एशिया गमन और अंतर-महाद्विपीय संपर्क केवल अध्यात्म तक सीमित नहीं थे। वे अपने साथ ज्ञान और शिक्षा का भंडार ले गए थे। वे अपने साथ कला और शिल्प ले गए थे। वे अपने साथ ध्यान की तकनीक और मार्शल आर्ट भी ले गए थे। इसी तरह भिक्षुओं और भिक्षुणियों ने जो मार्ग खोला, वह शुरूआती व्यापार मार्ग के रूप में विकसित हुआ। इस प्रकार बौद्ध धर्म भूमंडलीकरण के शुरूआती रूप का आधार बना है। इसके जरिये हमारे महाद्वीप में आपसी संपर्क बढ़ा। यही सिद्धांत और मूल्य हमारा आज भी मार्गदर्शन करते हैं।

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