Pradyumna murder

नयी दिल्ली : गुड़गांव स्थित रेयान इंटरनेशनल स्कूल के सात वर्षीय छात्र प्रद्युम्न ठाकुर की हत्या के मामले में आरोपी 16 वर्षीय छात्र की जमानत याचिका आज यहां एक सत्र अदालत ने खारिज कर दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जसबीर सिंह कुंडू ने अभी हिरासत में चल रहे आरोपी को राहत देने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही अदालत ने निराधार याचिका लगाकर ‘‘अदालत का समय खराब करने के लिये’’ 21 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया और आरोपी के पिता को रकम जमा करने का निर्देश दिया।

अदालत ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता (आरोपी) का आचरण संकेत देता है कि वह अदालत की कार्यवाही का दुरूपयोग कर रहा है। वह निराधार याचिकाओं के जरिये अदालत के कीमती समय को बर्बाद करने में लगा है जिसके चलते अदालत की सात सुनवाई जाया हो गईं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस अदालत को 15 दिसंबर 2017 को किशोर न्याय बोर्ड द्वारा पारित आदेश में कोई अनियमितता, अवैधानिकता या अनौचित्य नहीं मिला है जिसमें जमानत याचिका को खारिज किया गया था।’’ इससे पहले अदालत ने आरोपी, सीबीआई और शिकायतकर्ता के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अदालत ने कहा कि मौजूदा याचिका दायर करने के पीछे आरोपी का उद्देश्य मौजूदा जांच को भटकाने या जमानत के ‘‘नाम पर’’ जांच में विलंब करना है। न्यायाधीश ने इस मामले में अपने चैंबर में सुनवाई करने और मीडिया से किसी भी रिपोर्ट में किशोर का नाम नहीं लेने का निर्देश दिया। पीटीआई -भाषा से बात करते हुये मृतक सात वर्षीय छात्र प्रद्युम्न ठाकुर के पिता बरून ठाकुर ने आदेश का स्वागत करते हुये कहा कि वह फैसले और अब तक की जांच से संतुष्ट है।

अदालत ने इससे पहले आरोपी के वकील, सीबीआई और शिकायतकर्ता की जिरह सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया कि इस मामले में एक महीने के अंदर आरोप पत्र दायर नहीं किया गया जैसा कि किशोर न्याय अधिनियम में निर्धारित है और उसे जरूरी दस्तावेज भी नहीं दिये गये। इसका विरोध करते हुये सीबीआई ने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) ने आरोपी को वयस्क घोषित किया है ऐसे में सीआरपीसी के प्रावधानों में आरोप पत्र दायर करने के लिये 90 दिन का समय होता है। पिछले साल आठ सिंतबर को स्कूल के शौचालय में प्रद्युम्न का गला रेता हुआ शव मिला था।

गुड़गांव पुलिस ने दावा किया था कि इस अपराध को स्कूल बस के कंडक्टर ने अंजाम दिया है जिसे बाद में सीबीआई ने खारिज कर दिया था। जांच एजेंसी ने दावा किया कि किशोर ने पैरेंट-टीचर मीटिंग और परीक्षा टालने के लिये स्कूल बंद करवाने के उद्देश्य से प्रद्युम्न को मारा था। आरोपी ने जमानत नहीं देने के किशोर न्याय बोर्ड के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर अदालत सुनवाई कर रही थी।

बोर्ड ने 20 दिसंबर को कहा था कि आरोपी किशोर के मामले में एक वयस्क की तरह सुनवाई की जाये। साथ ही बोर्ड ने उसे गुड़गांव सत्र अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था। बोर्ड ने कहा था कि आरोपी इतना परिपक्व है कि उसे अपने कृत्यों का परिणाम का पता हो। बोर्ड ने कहा कि अगर दोषी पाया जाता है तो आरोपी 21 वर्ष का होने तक सुधार गृह में रहेगा जिसके बाद अदालत उसे जेल भेज सकती है या उसे जमानत दे सकती है। इससे पहले बोर्ड ने रेयान इंटरनेशनल स्कूल के 11वीं कक्षा के छात्र की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

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