-गृह विभाग की समीक्षा बैठक, पीड़ित को हर हाल में न्याय दिलाना हो उद्देश्य
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रदेश में सुदृढ़ कानून-व्यवस्था और अपराधों की प्रभावी रोकथाम राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। पुलिस अधिकारी इस दिशा में पूरी तत्परता और संवेदनशीलता के साथ काम करें। पुलिस का प्रयास हो कि किसी भी अपराध में कम से कम समय में गहनता से तफ्तीश हो और अपराधी को सजा एवं पीड़ित को जल्द से जल्द से न्याय मिले। पुलिस अपना काम बिना किसी दबाव के निष्पक्षता और सकारात्मक सोच के साथ करे। गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर वीसी के माध्यम से गृह विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पुलिस की कार्यशैली को आधुनिक, पब्लिक फ्रेंडली एवं प्रो-एक्टिव बनाने के उद्देश्य से थानों में स्वागत कक्ष, महिला अपराधों की रोकथाम एवं प्रभावी अनुसंधान के लिए हर जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पद का सृजन, अनिवार्य एफआईआर रजिस्टे्रशन, जघन्य अपराधों के लिए अलग इकाई का गठन, महिला एवं बाल डेस्क का संचालन, सुरक्षा सखी, पुलिस मित्र, ग्राम रक्षक, महिला शक्ति आत्मरक्षा केंद्र जैसे नवाचार किए गए हैं। इनका सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल रहा है। पुलिस अधिकारी इन नवाचारों का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित कर कानून-व्यवस्था को और मजबूत करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला अपराधों के प्रति विशेष कदम उठाने का परिणाम है कि राज्य में पॉक्सो एक्ट एवं महिला अत्याचार के प्रकरणों के निस्तारण में लगने वाला औसत समय काफी कम हो गया है। दुष्कर्म के मामलों में अनुसंधान समय वर्ष 2018 में 211 दिन था जो वर्ष 2021 में घटकर 86 दिन रह गया है। साथ ही जिलों में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में गठित स्पेशल इंवेस्टिगेशन यूनिट के कारण महिला अत्याचार के लंबित केसों की संख्या 12.5 प्रतिशत से घटकर 9.3 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने निर्देश दिए कि इसे और कम किया जाए, ताकि पीड़ित को जल्द से जल्द न्याय मिले। उन्होंने कहा कि महिला अपराधों को लेकर कोई लापरवाही नहीं हो। पुलिस घटना स्थल पर तत्काल पहुंचे ताकि साक्ष्य जुटाने में आसानी हो और प्रकरण के अनुसंधान को गति मिल सके।
-पॉक्सो के 510 मामलों में मिली त्वरित सजा
गहलोत ने इस पर संतोष व्यक्त किया कि महिला अपराधों पर प्रभावी रोकथाम की दिशा में कार्य करते हुए पुलिस ने वर्ष 2021 में पॉक्सो एक्ट के 510 प्रकरणों में अपराधियों को सजा दिलवाई है, जिनमें से 4 प्रकरणों में मृत्यु-दण्ड तथा 35 प्रकरणों में आजीवन कारावास की सजा मिली है। कोटखावदा, पिलानी, कांकरोली, पादूकलां, सवाई माधोपुर जैसे कई प्रकरणों में तो रिकॉर्ड समय में अनुसंधान पूरा करते हुए पीड़ित को न्याय दिलाया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ऎसे मामलों में अभियोजन अधिकारियों के समन्वय से इस समय को और कम करे।
गहलोत ने कहा कि यह संतोषजनक है कि प्रदेश में अनिवार्य एफआईआर रजिस्टे्रशन की नीति के बेहतर परिणाम सामने आए हैं। वर्ष 2018 में दुष्कर्म के 30 प्रतिशत से अधिक मामले कोर्ट के इस्तगासे के माध्यम से दर्ज होते थे, इनकी संख्या घटकर अब 16 प्रतिशत रह जाना यह बताता है कि हमारी नीति सफल रही है। गहलोत ने कहा कि अनिवार्य एफआईआर की नीति से महिलाओं सहित कमजोर वर्गों का थाने तक पहुंचने का हौसला बढ़ा है, जिससे अपराधियों में भी खौफ पैदा हुआ है। उन्होंने निर्देश दिए पुलिस अधिकारी अपराधों के पंजीकरण की संख्या में वृद्धि की परवाह किए बिना इस नीति की पालना करें, क्योंकि हमारा अंतिम उद्देश्य पीड़ित को न्याय दिलाना और निर्दोष के हितों की रक्षा करना है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का भी मानना है कि दर्ज अपराधों की संख्या में वृद्धि का अभिप्राय यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि अपराध भी बढ़े हैं। अपराध के आंकड़ों में वृद्धि राज्य में जन केन्दि्रत योजनाओं एवं नीतियों के परिणाम स्वरूप हो सकती है।
– नारकोटिक्स के अवैध कारोबार पर रोकथाम के लिए बनाएं डेडीकेटेड यूनिट
मुख्यमंत्री ने कहा कि समय के साथ अपराध के तौर-तरीकों में भी बदलाव आया है। साइबर क्राइम की काफी शिकायतें सामने आ रही हैं। उन्होंने प्रदेश में नारकोटिक्स, ड्रग्स एवं नशीली दवाइयों के अवैध कारोबार पर अंकुश के लिए एक डेडीकेटेड यूनिट बनाने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बदलते समय के अनुरूप पुलिस सूचना तकनीक तथा सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉम्र्स का अधिक से अधिक उपयोग करे।
– दबंगों, ठगी और संगठित अपराधों पर लगाएंं लगाम
मुख्यमंत्री ने दबंगों द्वारा बिंदोरी के दौरान दूल्हे को घोड़ी से उतारने, पुलिस हिरासत में मौत, क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटियों द्वारा ठगी तथा विभिन्न गिरोहों के द्वारा संगठित अपराधों आदि मामलों को गम्भीरता से लेते हुए ऎसे मामलों में प्रभावी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने पुलिस द्वारा महिलाओं एवं बालिकाओं को दिए जा रहे आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम को सराहा और कहा कि अधिक से अधिक महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दिया जाए। अब तक 4 लाख 40 हजार से अधिक महिलाओं और बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
गहलोत ने कहा कि पुलिस कार्मिक कठिन परिस्थितियों में भी अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं। ऎसे में उनका मनोबल बनाए रखने के लिए उन्हें समय-समय पर प्रोत्साहित किया जाए। उन्हें पदोन्नति सहित अन्य सेवा लाभ समय पर मिलें। उन्होंने निर्देश दिए कि कॉन्स्टेबल और सब-इंस्पेक्टर की प्रस्तावित भर्तियां समय पर एवं पूरी पारदर्शिता के साथ सुनिश्चित की जाएं।
गृह राज्य मंत्री श्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए निरंतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जा रही है। उन्होंने कहा कि राजस्थान पुलिस नवाचारों तथा टीम भावना से काम करने के मामले मंंे अन्य राज्यों की पुलिस से बेहतर है। उन्होंने निर्देश दिए कि पुलिस हाईवे पर होने वाले अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाए। मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि अनिवार्य एफआईआर का निर्णय राज्य सरकार का कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में अहम कदम है। साथ ही, अन्य नवाचारों से भी पुलिस का इकबाल बढ़ा है।
– 674 थानों में बने स्वागत कक्ष
अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह अभय कुमार ने बताया कि आईपीसी के लंबित प्रकरणों के मामले में राजस्थान का प्रतिशत राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले काफी कम रहा है। वर्ष 2019 में राजस्थान सबसे कम लंबित मामलों में दूसरे स्थान पर तथा वर्ष 2020 में तीसरे स्थान पर रहा है। पुलिस सुदृढ़ीकरण की दिशा में उपनिरीक्षक पुलिस के 497 तथा कांस्टेबल के 4748 पदों पर नियुक्तियां दी गई हैं। पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर ने बताया कि संगठित अपराधियों, माफियाओं आदि पर भी शिकंजा कसने में पुलिस को सफलता मिली है। फरियादियों की उचित माहौल में सुनवाई के लिए प्रदेश के 674 थानों में स्वागत कक्ष बन चुके हैं और 147 थानों में कार्य प्रगतिरत है।
एडीजी अपराध आरपी मेहरड़ा, एडीजी एसओजी अशोक राठौड़ एडीजी सिविल राइट्स श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव, एडीजी दूरसंचार सुनील दत्त, एडीजी सुरक्षा एस सेंगाथिर ने नवाचारों, उपलब्धियों, चुनौतियों एवं विभागीय गतिविधियों के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। बैठक में प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अरोरा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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