– पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया व जाट नेता डॉ. हरिसिंह दिल्ली में लेेंगे कांग्रेस की सदस्यता, अंदरखाने तेजतर्रार व तुनक-मिजाज जाट दिग्गज डॉ. हरिसिंह को कांग्रेस में लाकर पूर्व सीएम गहलोत को भी साधने की चर्चाएं।
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। प्रदेश में दिग्गज जाट नेताओं में शुमार तेजतर्रार व तुनकमिजाज डॉ. हरिसिंह की फिर से कांग्रेस में घर वापसी हो रही है। इनके साथ ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया भी कांग्रेस का हाथ थामने जा रहे हैं। दोनोंं नेता अपने समर्थकों के साथ 27 अक्टूबर को नई दिल्ली में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत बड़े नेताओं के समक्ष कांग्रेस की सदस्यता लेंगे। पीसीसी चीफ सचिन पायलट की मौजूदगी में होने वाली इस सदस्यता के दौरान नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी समेत अन्य कांग्रेस व जाट नेता भी मौजूद रहेंगे। इसी दिन सुभाष महरिया के भाई निर्दलीय विधायक नंदकिशोर महरिया के भी कांग्रेस में आने की चर्चाएं हैं। डॉ. हरिसिंह और सुभाष महरिया को कांग्रेस से जोड़कर पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने बड़ा संदेश देने की कोशिश की है कि वे जाट समाज के हितैषी है। फिर से इस समाज को कांग्रेस से जोडऩा चाहते हैं, जो पिछली कांग्रेस सरकार की नाराजगी के चलते छिटकर भाजपा में चले गए थे। प्रदेश के सबसे बड़े समाज को कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए पायलट काफी समय से भाजपा में गए या राजनीति के परिदृश्य से गायब से हो गए जाट नेताओं से मिल रहे थे। हरिसिंह व महरिया को कांग्रेस में ले आए। इसी तरह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुमित्रा सिंह, सिरवी समाज के नेता माधोसिंह दीवान समेत अन्य कई नेताओं के सम्पर्क में है, जो पार्टी नेताओं की खींचतान के चलते हाथ का साथ छोड़ दूसरे दलों में चले गए थे, लेकिन वे भी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे सभी नेताओं को वापस कांग्रेस में लाकर पायलट ना केवल हाथ को मजबूती देंगे, बल्कि अंदरखाने उन नेताओं पर निशाना साध रहे हैं, जिनकी नाराजगी के चलते ये नेता कांग्रेस छोड़कर चले गए और वे उन्हें निशाना बना रहे हैं। इन्हें लाकर पायलट अपने विरोधियों पर निशाना साध सकते हैं।

– पायलट को मिला काउंटर नेता

जिस तरह से डॉ. हरिसिंह ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि उनकी कार्यशैली से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ी थी। पहले भी कांग्रेस में रहते हुए इस दिग्गज नेता ने अशोक गहलोत को परेशान करने संबंधी अनेक बयान दिए। कांग्रेस में आने से पहले ही उनके तीखे बयानों से साफ जाहिर है कि सदस्यता लेने के बाद भी ये शांत नहीं बैठेंगे। पायलट को भी ऐसे ही काउंटर नेता की तलाश थी, जो अप्रत्यक्ष तौर पर विरोधियों पर निशाना साध सकते हैं। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि हरिसिंह व महरिया को कांग्रेस से जोड़कर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। एक तो जाट नेताओं को जोड़कर खुद के पक्ष में इस मजबूत समाज का समर्थन प्राप्त कर रहे हैं, वहीं अपने विरोधी के विरोधी नेताओं को लाकर उन पर भी अकुंश रखने की कवायद में लग गए हैं। अब देखना है कि जाट नेताओं और जाट समाज को साधकर सचिन पायलट अपने राजनीति सफर में कितने सफल हो पाते हैं। यह जरुर है कि इस पहल से जाट समाज में बड़ा संदेश जाएगा। भविष्य में दूसरे जाट नेताओं की कांग्रेस में वापसी या सक्रियता बढ़ती है कांग्रेस तो मजबूत होगी, साथ ही वे भी मजबूती के साथ कांग्रेस में उभरेंगे। वैसे भी अंदरखाने और कई बार सार्वजनिक तौर पर भी पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जाट समाज का विरोधी कहा जाता रहा है। वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में तो यहां तक आरोप लगे थे कि मुख्यमंत्री बनने के लिए जाट व ब्राह्मण समाज के दिग्गज नेताओं को पटखनी देेने में उनका हाथ रहा था, हालांकि हारने वाले किसी नेता ने ऐसे कोई आरोप नहीं

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