– रमेश सराफ
झुंझुनूं। जम्मू कश्मीर के राजौरी क्षेत्र में दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हुए झुंझुनूं के वीर सैनिक छेलूराम गुर्जर की शहादत को हर कोई याद करके आसूं बहा रहा है। छेलूराम ने सेना में भर्ती होकर भारत मां की तो सेवा की, वहीं छेलूराम का सपना था कि वह अपनी तीनों बेटियों को खूब पढ़ाए-लिखाए, बल्कि बड़ा अफसर भी बनाएं। समाज की परवाह किए बिना वह पूरी ईमानदारी से इस सपने को साकार करने में लगा रहा। लेकिन जब पिता के शहीद होने की खबर बेटियों और परिजनों को लगी तो उन पर पहाड़ टूट पड़ा। हालांकि सगे-संबंधियों और लोगों ने उन्हें संबल बंधाया। बहादुर पिता की शहादत को याद करते हुए तीनों बेटियों ने ना केबल हिम्मत बांधी, बल्कि अपने पिता की अर्थी को कंधे देते हुए श्मशान तक लेकर गई। आठ वर्षीय पुत्र उत्सव ने पिता को मुखाग्नि दी। शहीद की तीनों बेटियों सरिता, नीतू व मोनिता ने शहीद पिता को कंधा दिया तो सभी के आंखों में पानी भर आया। इस दौरान सेना की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ ओनर देकर शहीद को सलामी दी।
सेना में भर्ती होने से पहले और बाद में भी शहीद छेलूराम समाज में छोटी बच्चियों की जल्द ही शादी करने और उन्हें पढ़ाई नहीं कराने की प्रथा को लेकर विरोध जताता था। वह इससे खुश नहीं रहता था। समाज के लोगों और पंचों से कहता था कि बेटियों को खूब पढ़ाओं और उन्हें अफसर बनाओं। उसका अपना भी सपना था कि वह अपनी तीनों बेटियों को खूब पढ़ाकर उन्हें बड़ा अफसर बनाएं। शहीद बेटे के पिता दुलाराम ने बताया कि शहीद के तीन बेटी व एक लडक़ा है। सरिता प्रथम वर्ष में तो मोनिता बारहवीं और नीतू 10वीं में पढ़ रहा है। वहीं बेटा उत्सव पांचवीं में पढ़ाई कर रहा है। उन्होंने बताया कि छैलुराम का सपना था कि समाज का हर बच्चा पढा लिखा होना चाहिए, खासकर बच्चियां। कम उम्र में बच्चों की शादी के खिलाफ था वह। इस वजह से छैलुराम ने अपने बच्चों की शादी कम उम्र न करके उन्हें पढा-लिखा रहा था। वहीं शहीद की बेटी सरिता, मोनिता व नीतू ने कहा, कि वह अपने पिता का सपना पूरा करेंगी। खूब पढ़ेंगी और अफसर भी बनेंगी।

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