बाड़मेर। दीपावली को रोशनी के साथ खुशियों का भी त्यौहार कहा जाता है। छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सभी बड़ी खुशी के साथ इस पर्व को मनाते हैं। आतिशबाजी करते हैं, मिठाई बांटते हैं और खाते हैं। नए कपड़े मिलते हैं और व्यापार में भी वृद्धि रहती है। इन सबके बीच बहुत से परिवार ऐसे भी हैं, जो खुशियों के इस पर्व पर उदासीन रहते हैं या आसूं बहाते हैं। इनके कई कारण रहते हैं। ऐसा ही एक परिवार बाड़मेर जिले के बालोतरा का है, जो करीब डेढ़ दशक से दिवाली नहीं मना रहा है और ना ही कोई सदस्य इस दिन दीप जलाते हैं। इस दिन जब सभी खुशी मनाते हैं इस परिवार में मातम रहता है और सदस्यों की आंखों में आसूं। बालोतरा के महादेव कॉलोनी में रहने वाली बकक्षु देवी का परिवार गत पन्द्रह साल से दिवाली नहीं मना रहा है। बकक्षु देवी के पति और पुत्र की एक साथ मौत हो गई थी । इस सदमे के कारण उसका दूसरा बेटा भी अपनी दोनों आंखें खो बैठा है। एक बात एक टूटे कहर ने बकक्षु देवी को हिला कर दिया। दिवाली ही नहीं दूसरे त्यौहार भी नहीं मनाती। उसका कहना है कि किसके लिए बनाए त्यौहार। पति व एक बेटे की मौत के बाद दूसरे बेटे की आंखों की रोशनी चली गई। जब वह देख ही नहीं सकता तो क्या फायदा त्यौहार मनाने से। नेत्रहीन हुए बेटे की देखभाल में लगी रहती है बकक्षु देवी। लोग कहते हैं कि बुढ़ापे में बेटे माता-पिता की लाठी बनते हैं, लेकिन यहां बुजुर्ग बकक्षु देवी कैसे-जैसे अपने बेटे को पाल रही है। नेत्रहीन बेटे का गम है ही। एक बेटी के पति की भी मौत होने पर उसकी जिम्मेदारी भी उस पर आन पड़ी है। गरीबी में पल रहे इस परिवार को बीपीएल श्रेणी में करने और बीपीएल कार्ड बनवाने के लिए कई बार प्रयास हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन अभी इस तक परिवार की सुध नहीं ले रहा है। क्षेत्र के पार्षद, विधायक और सांसद तक यह परिवार और दूसरे लोग भी अर्जियां दे चुके हैं। लेकिन संवेदनशील सरकार और प्रशासन का करने वाली राजस्थान सरकार तक शायद इस गरीब परिवार की आवाज नहीं पहुंची है या मालूम होने पर भी मदद नहीं कर पा रही है।

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