‘राग‘ – भारतीय शास्त्रीय संगीत की रात्रिकालीन प्रस्तुति

जयपुर। जयपुर में गत वर्ष आयोजित किए गए अपनी तरह के खास कार्यक्रम ‘राग‘ को मिली दर्शकों की उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया को देखते हुए गुलाबी नगर के विविध कलाओं के केंद्र- जवाहर कला केंद्र में गत रात्रि ’राग’ का दूसरा संस्करण आयोजित किया गया, जो आज सुबह 7 बजे तक जारी रहा। इसमें पं हरिप्रसाद चैरसिया, पं. जसराज, उस्ताद लियाकत अली खान, अष्विनी भिडे देशपांडे सहित भारतीय शास्त्रीय संगीत की कई विष्व प्रसिद्ध हस्तियां शामिल हुई। इस सम्पूर्ण व अनूठे कार्यक्रम के दौरान न सिर्फ जयपुर से, बल्कि राजस्थान के विभिन्न भागों से भी संगीतप्रेमी शामिल हुए। जेकेके के एम्फीथिएटर ’मध्यवर्ति’ में रात्रि 10 बजे श्री मोहम्मद अमान के गायन के साथ कंसर्ट की शुरूआत हुई। उन्होंने राग बागेष्वरी प्रस्तुत किया, जो देर रात की एक प्रमुख लोकप्रिय राग है।

इसके बाद उस्ताद पद्मविभूषण पं. हरिप्रसाद चैरसिया ने राग मरु बिहाग पर सुरीला बांसुरी वादन प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति के उपरांत प्रसिद्ध तबला वादक अनुराधा पाल की प्रस्तुति रही। इन्होंने अक्सर एक कलाकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले एकल राग की सामान्य प्रस्तुति के बजाय विषिष्ट प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने एक साथ दो राग – शंकर और दुर्गा पेष किया। अपने तबला वादन के माध्यम से उन्होंने हनुमान व रावण से सम्बंधित रामायण के कुछ किस्से भी प्रस्तुत किए। अगली प्रस्तुति उस्ताद लियाकत अली खान का सारंगी वादन था। उन्होंने सारंगी वादन की सीकर शैली की जबरदस्त प्रस्तुति दी। इस शैली में उंगलियों का मूवमेंट कम से कम होता है और यह हाथों व भुजाओं पर ही अधिक निर्भर होती है।

प्रसिद्ध गायक अष्विनी भिडे़ देशपांडे ने पं. संजीव अभ्यंकर के साथ मिलकर ’जसरंगजी जुगलबंदी’ पेष की। यह पंडित जसराज द्वारा निर्मित एक अनूठी हिन्दुस्तानी शास्त्रीय जुगलबंदी है। इस प्रस्तुति में एक पुरुष व एक महिला गायक ने एक ही समय में दो अलग-अलग स्केल में दो अलग-अलग राग गाए। इस जुगलबंदी के बारे में ध्यान देने योग्य बात यह है कि इसमें गायक द्वारा अपनी पिच में गाए जाने से तान की गुणवत्ता खत्म नहीं होती है। इसमें संयुक्त प्रभाव से ऐसा महसूस होता है, जैसे शिव और शक्ति एक साथ गा रहे हैं। दोनों ने राग पूरिया धनश्री प्रस्तुत किया, जो शाम की धुनों का एक प्रमुख राग है। विष्व प्रसिद्ध गायक पद्मविभूषण पं जसराज की प्रस्तुति के साथ कंसर्ट का समापन हुआ। प्रातःकाल के दौरान उन्होंने प्रमुख धुन- राग भैरवी में ‘हे गोविंदा, हे गोपाल‘ और ‘मेरो अल्लाह मेहरबान‘ की मनमोहक प्रस्तुति दी।

पं. जसराज की प्रस्तुति का आनंद उठाने के लिए अलसुबह जेकेके में काफी लोग आए। उनका यह गायन प्रेम, शांति और सकारात्मकता से परिपूर्ण था, जिसने श्रोताओं में सर्वोच्चता की भावना उत्पन्न की।

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