Padmavati
-जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने निर्णय लिया कि अपसंस्कृति से बचाने के लिए वेद पाठ एवं यज्ञ का अनुष्ठान करेंगे।
जयपुर। माता पद्मावती भारतीय संस्कृति में सतीत्व की अमर परंपरा की उदाहरण है। उनके विषय में एक आततायी आक्रांता को नायक बनाकर प्रस्तुति करना पूरी परंपरा का अपमान है। यह बात जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. माताप्रसाद शर्मा शुक्रवार को विवि के व्याकरण विभाग में हुई शिक्षकों की बैठक के दौरान कही। उन्होंने कहा कि संघ महामहिम राज्यपाल एवं प्रदेश सरकार को ज्ञापन देकर इस फिल्म के राज्य में प्रसारण की मांग करता है। बैठक को संबोधिक करते हुए सिंडिकेट सदस्य डॉ. राजधर मिश्र ने कहा कि पद्मावती राष्ट्र की आन-बान-शान की प्रतीक हैं। संस्कृत के अनेक विद्वानों ने माता पद्मावती के अनुकरणीय सतीत्व पर लिखा है। अब इस फिल्म के माध्यम से मनमर्जी करते हुए उनके स्वरूप को विकृत किया जा रहा है।
संघ ने यह निर्णय लिया कि इस अपसंस्कृति से समाज को बचाने के लिए शिक्षक ज्योतिष के अनुसार शुभ मुहूर्त का विचार कर वेद पाठ एवं यज्ञ का अनुष्ठान करेंगे। बैठक में प्रो. अशोक तिवारी, डॉ. सुभाष शर्मा, डॉ. उमेश नेपाल, डॉ. रामेश्वर द्विवेदी तथा शास्त्री कोसलेंद्रदास समेत अन्य शिक्षक उपस्थित थे।

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