जयपुर। दीनदयाल वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने शुक्रवार को राज्यपाल के नाम ‘राजस्थान मंत्री वेतन विधेयक 2017’ पर हस्ताक्षर न करने की मांग की। राज्यपाल को भेजे ज्ञापन में उन्होंने उपरोक्त विधेयक के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्रियों को कानून बनाकर जीवनभर के लिए असामान्य सुविधाएं देने का विरोध जताया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से राज्य में एक बार फिर से जागीरदारी प्रथा स्थापित की जा रही है। आजादी के बाद जागीरदारी उन्मूलन के लिये भूमि सुधार कानूनों को लागू करने वाला राजस्थान अग्रणी राज्य था। इसलिए जागीरदारी की इस नई परिपाटी को पुन: स्थापित होने से माननीय राज्यपाल रोकें। तिवाड़ी ने कहा कि यह विधेयक मूल रूप से 13 सिविल लाइंस बंगले पर मुख्यमंत्री द्वारा आजन्म कब्जे का प्रयास है। 13 नं. बंगले पर सरकार के करोड़ों रूपया खर्च कर इसे एक आलीशान महल में बदल दिया गया है। बाहर से इसकी किले बंदी कर दी गई है। राजस्थान की जनता की इस संपदा का बाजार मूल्य कम से कम 2000 करोड़ रूपये आता है। इस संपत्ति को जीवनभर अपने कब्जे में करने का प्रयास मुख्यमंत्री का सामंतशाही रवैया दर्शाता है। उन्होंने यह प्रश्न भी पूछा कि जब 8 सिविल लाइंस का सरकारी आवास मुख्यमंत्री आवास के रूप में कानूनी रूप से चिन्हित था, तो 13 सिविल लाइंस को चिन्हित किए बिना अघोषित मुख्यमंत्री आवास के रूप में उपयोग क्यों लिया जा रहा है? एक मुख्यमंत्री एक साथ दो मुख्यमंत्रियों के बराबर राज्य की संपदा का उपयोग कर रही है। यह सामंतशाही की मनोवृत्ति है जो राज्य की जनता में आक्रोश उत्पन्न कर रही है।
विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने बताया कि उच्च न्यायालयों और माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी समय समय पर राजनेताओं द्वारा जनता की संपत्ति पर कुंडली मारकर बैठने को गैर कानूनी बताया है। साथ ही न्यायालयों ने ऐसे मामलों में जिसमें राजनेताओं ने सरकारी बंगलों पर कब्जा किया हो उन पर भी सख्ती बरतने की हिदायत दी है। गत वर्ष अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने का निर्देश दिया। देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीवनभर सरकारी बंगलों में नहीं रह सकते। घनश्याम तिवाड़ी ने राज्यपाल से इस विधेयक पर हस्ताक्षर न करने का निवेदन किया है। उन्होंने मांग की है कि राज्यपाल इस विधेयक के छिपे मंतव्य और एजेंडे को समझें और इस पर अपनी मंजूरी न दें।

LEAVE A REPLY