जयपुर। मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व यानि 13 जनवरी को देश के अधिकांश हिस्सों के साथ विदेशों में लोहड़ी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति से पूर्व मनाए जाने वाले इस पर्व का अपना एक अलग ही महत्व है। विशेषकर पंजाबी धर्म में तो लोहड़ी का पर्व मनाने को लेकर लोग पहले से ही तैयारियों में जुटे रहते हैं। यह माना जाता है कि यह सर्दियों में उस दिन मनाया जाता है जब दिन साल का सबसे छोटा दिन व रात साल की सबसे बड़ी रात हो। एक अलाव जलाकर नृत्य व दुल्हा बत्ती की प्रशंसा गायन द्वारा किसानी त्यौहार के रुप में मनाया जाता है। यह मुख्यत: पंजाबियों का त्यौंहार है जो देश के हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश सहित अन्य प्रदेशों में मनाया जाता है।
लोहडी का पुराना इतिहास
लोहड़ी मनाने के पीछे बहुत पुराना इतिहास रहा है। यह पर्व दुल्हा बत्ती की प्रशंसा में मनाया जाता है। जो सम्राट अकबर के समय एक मुस्लिम डाकू था। वह अमीर लोगों के यहां से धन चोरी करता और गरीबों में बांट देता। वह असहाय लोगों के लिए एक नायक के तौर पर था। उसने उन लड़कियों के जीवन को बचाया जो अजनबियों के द्वारा जबरन अपने घर से बहुत दूर ले जायी गई थी। उसने असहाय लड़कियों की उनके विवाह में दहेज का भुगतान करने में खासी मदद भी की। इस पर लोगों ने उसके महान कार्यों के लिए दुल्हा भट्टी की प्रशंसा में लोहड़ी का त्यौहार मनाना प्रांरभ कर दिया। लोहड़ी का त्यौहार सूर्य व आग को समर्पित है। जो हर पंजाबी के लिए सबसे खुशी के मौकों में एक है। सूर्य और आग ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत दर्शाता है साथ ही आध्यात्मिक शक्ति को भी। जिसे लोग आशीर्वाद पाने के लिए पूजा करते हैं। लोग अपने देवताओं को मूंगफली, मिठाई, तिल, चिवड़ा, रेवड़ी, गजक आदि के रुप में कुछ न कुछ चढ़ाते हैं। पूजा के बाद लोग अपने मित्रों, परिजनों, रिश्तेदारों, पड़ौसियों से मिलते हैं व शुभकमानाएं देते व लेते हैं। बाद में मक्के की रोटी, सरसों के साग के साथ स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैें। साथ ही लोग ढोल की थाप के बीच विशेष नृत्य भांगड़ा करते हैं। लोहड़ी के बाद का दिन माघ महीने की शुरुआत मानी जाती है। जो माघी दिन कहा जाता है। यह पर्व एकता व भाईचारे को बढ़ावा देता है।
सर्दी खत्म बसंत की शुरुआत
सर्दियों की मुख्य फसल गेंहू जो अक्टूबर में बोई जाती है और मार्च के अंत व अप्रेल की शुरुआत में काट ली जाती है। फसल काटने व इकट्ठा करके घर लाने से पहले किसान लोहड़ी के त्यौहार को आनंद पूर्व मनाते हैं। हिंदू कलैण्डर के अनुसार यह त्यौहार जनवरी मध्य में पड़ता है जब सूर्य पृथ्वी से दूर होता है। सामान्य लोहड़ी का त्योहार सर्दियों के खत्म होने व बसंत ऋतु के आगमन का संकेत है। उत्सव के दौरान लोग अपने पापों से मुक्ति के लिए गंगा स्नान करते हैं।