Sikar House residential colony commercial market

जयपुर। नगर नियोजन के लिए पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखने वाले जयपुर की इस शान को उसके रखवाले ही बिगाडऩे में लगे हुए हैं। जयपुर चौड़ी सड़कों और हर सुविधायुक्त रिहायशी क्षेत्र के लिए जाना जाता है। लेकिन अब जयपुर की इस खूबी को बट्टा लगाया जा रहा है। यह बट्टा भी जिम्मेदार जयपुर नगर निगम और जयपुर विकास प्राधिकरण जैसे विभाग लगाने में लगे हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी इसमें मिलीभगत है, जो कमाई के फेर में जनता को भूल कर आवासीय क्षेत्रों को कॉमर्शियल में तब्दील करने में लगे हैं। अफसरों-जनप्रतिनिधियों की ऐसे अवैध व्यावसायिक कॉम्पलैक्स में भागीदारी रहती है, जिसके चलते इन्हें ना तो बनने से रोका जा रहा है और ना ही सील कार्रवाई होती है। घूस लेकर बसावट और नगर नियोजन को बिगाड़ रहे हैं। आवासीय कॉलोनी को व्यावसायिक में परिवर्तित कर रहे हैं। लोग कितनी ही शिकायतें करें, उन पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। कोर्ट को गुमराह करके गलत तरीके से स्टे आॅर्डर भी लिए जा रहे हैं, जिनमें निगम के वकीलों की भी कथित सांठगांठ रहती है और वे भी बिल्डरों और भू-माफियों से मिले रहते हैं। जयपुर के नगर नियोजन और आवासीय क्षेत्र को कॉमर्शियल में तब्दील करने का एक जीता जागता उदाहरण जयपुर का सीकर हाउस और उससे सटा क्षेत्र, जो देखते ही देखते ही मिलीभगत के चलते अवैध मार्केट में तब्दील हो गया। ना नक्शे पास और ना ही पार्किंग व सेटबैक छोड़ा, बस अफसरों-जनप्रतिनिधियों की जेबें भरी और धडल्ले से अवैध कॉम्पलैक्स खड़े कर दिए। अब जनता भुगत रही है। देखिए नगर निगम जयपुर और बिल्डरों की मिलीभगत का एक जीता जागता उदाहरण…. जनप्रहरी एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट….

देखते ही देखते कॉलोनियां मार्केट बनी
जयपुर नगर निगम, भू-माफिया और बिल्डरों की मिलीभगत से कैसे आवासीय क्षेत्र बाजारों में तब्दील हो रहे हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है विद्याधर नगर निगम क्षेत्र में आने वाला आवासीय क्षेत्र सीकर हाउस, सिंधी कॉलोनी, हाजी कॉलोनी और नाहरी का नाका से सटे मोहल्ले। यह पूरा क्षेत्र आवासीय है। लेकिन आज इसे देखें तो यहां अस्सी फ ीसदी से अधिक हिस्सा कॉमर्शियल हो चुका है। जो बचे हुए हैं, वे भी बाजारों की चिल्लम-चौं से दूर भागना चाहते हैं। शांति से रह सके, इसके लिए यहां से रुखसत होने की सोच रहे हैं। यह सब हुआ है नगर निगम के अफसरों और बिल्डरों की मिलीभगत से, जिन्होंने एक तो आवासीय क्षेत्र में कॉमर्शियल कॉम्पलैक्स खड़े कर दिए। दूसरे जो कॉमर्शियल इमारतें बनी, वो सभी बिना नक्शे के तैयार हुई है। जिनमें ना तो पार्किंग है और ना ही सेटबैक छोड़े गए हैं। एक-एक कॉम्पलैक्स में पचास से अस्सी दुकानें बना दी गई। कईयों में इससे भी अधिक है। पार्किंग एक भी कॉम्पलैक्स में नहीं है।
ऐसा कोई कॉम्पलैक्स नहीं है, जिनमें बेसमेंट में भी दुकानें नहीं है। दुकानदारों, ग्राहकों की गाडियां सड़क पर ही खड़ी होती है। आप समझ सकते हैं कि जब गाडियां सड़क पर होगी तो परेशानी किसे होगी? जनता और आवासीय क्षेत्र के लोग सड़कों पर बेतरकीब खड़े वाहनों और पार्किंग स्थल बन चुकी सड़कों से आजिज आ चुके हैं। जाम तो रोज लगता है, साथ ही लड़ाई फसाद भी आम बात होने लगी है।

यह सब हुआ है नगर निगम के कुछ बेईमान अफसरों-कर्मचारियों और ब्लैकमनी में लिप्त बिल्डरों के चलते। नगर निगम के अफसरों और कर्मचारियों को शिकायतें खूब हुई, लेकिन इन शिकायतों पर मौका रिपोर्ट तो खूब बनाई पर कार्रवाई नहीं की। चांदपोल गेट के बाहर सीकर हाउस, सिंधी कॉलोनी, हाजी कॉलोनी, डीपी कॉलोनी पावर हाउस रोड, नाहरी का नाका में एक भी कॉम्पलैक्स ऐसा नहीं है, जिनमें पार्किंग हो। सैटबैक छोड़ा गया हो। यहीं नहीं पन्द्रह से बीस फीट सड़क पर पांच-पांच मंजिला कॉम्पलैक्स खड़े कर दिए गए। आधी हाजी कॉलोनी और उससे सटी सिंधी कॉलोनी तो पूरी तरह से व्यावसायिक कॉम्पलैक्स में बदल गई है। अब नाममात्र के तीन-चार घर बचे हैं। यह पूरी तरह से अवैध मार्केट बन चुका है, वो भी पन्द्रह से बीस फीट रोड पर ही। नगर निगम के भ्रष्ट अफसर, कर्मचारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि, कॉम्पलैक्स खड़े करने वाले बिल्डरों की मिलीभगत से यह पूरा आवासीय क्षेत्र देखते ही देखते अवैध मार्केट में तब्दील हो गया।

ऐसा नहीं है कि लोगों ने शिकायतें नहीं की। जब भी शिकायतें की तो भ्रष्ट अफसरों-कर्मचारियों की पौ-बारह होती गई। वो बिल्डरों को ओर चूटते (सील का भय दिखाकर पैसा वसूलना)रहे। इस पूरे क्षेत्र में एकाध ही कॉम्पलैक्स ऐसे हैं, जिन पर सील कार्रवाई की गई। वो भी कोर्ट के आदेश पर। नगर निगम ने अपने स्तर पर जांच करके कभी भी किसी कॉम्पलैक्स को अवैध बताते हुए सील या अतिक्रमण तोडने की कार्रवाई नहीं, उलटे उसे बचाने के हथकंडे बताते रहे(उन हथकंड़ों की पूरी रिपोर्ट आगामी अंकों में देंगे। जब एकाध कॉम्पलैक्स सील हो सकते हैं, दूसरे वे तमाम कॉमर्शियल कॉम्पलैक्स भी सील होने चाहिए, जिनमें ना पार्किंग है और ना ही सैटबैक छोड़ा गया। कॉमर्शियल गतिविधियों के नक्शे तो बने ही नहीं। जब सभी कॉम्पलैक्स बिना पार्किंग, सेटबैक और नक्शों के बन रहे हैं तो दूसरे कॉम्पलैक्स को क्यों छोड़ा जा रहा है। क्यों उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है और क्यों उन्हें सील करने से बचा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि यह सिलसिला थम गया हो। आज भी आधा दर्जन से अधिक कॉम्पलैक्स बिना नक्शे, बिना सेटबैक और बिना पार्किंग के धडल्ले से खड़े हो रहे हैं। नगर निगम महापौर अशोक लाहोटी, निगम आयुक्त, विद्याधर नगर उपायुक्त, मुख्यमंत्री महोदय, स्थानीय विधायक मोहन लाल गुप्ता, पार्षद प्रकाश चन्द्र गुप्ता सभी को लिखित शिकायतें मय फोटोग्राफ उपलब्ध कराई गई, लेकिन किसी ने भी अवैध व्यावसायिक इमारतों को रोकने की जहमत नहीं उठा रहा है। सब अपनी जेबें भर रहे हैं। जनता और आवासीय क्षेत्र में रह रहे लोगों की चिन्ता ना तो कल थी और ना ही आज हो रही है।

भुगत रही है जनता
सीकर हाउस, सिंधी कॉलोनी, हाजी कॉलोनी और नाहरी का नाका में अवैध व्यावसायिक इमारतों और गोदामों के चलते सड़कें पार्किंग स्थल बन गई। जो हालात खजानेवालों का रास्ता का है, वैसा ही नजारा इन कॉलोनियों में है। हर घर के सामने गाडि?ां खड़ी रहती है ग्राहकों की। मुख्य सड़कों के दोनों तरफ भी ऐसे ही हालात है। दुकानदार व उनके कर्मचारियों के दुपहिया और चौपहिया वाहन भी कॉम्पलैक्स के सामने सड़क पर खड़े रहते हैं, जिससे हमेशा यातायात बाधित रहता है। शाम से रात को हालात ऐसे हो जाते हैं कि हर चौराहे व तीहरे पर जाम लगने लगता है। पुलिस बुलानी पड़ती है ट्रेफ्रिक खुलवाने के लिए हैं। करीब डेढ़ सौ अधिक व्यावसायिक इमारतें और गोदाम बन गए हैं इस क्षेत्र में। जिनमें करीब एक हजार के आस-पास दुकानें और कार्यालय है। एक हजार दुकानदारों और उनके कर्मचारियों के साथ खरीदारी के लिए आने वाले ग्राहकों के चौपहिया और दुपहिया वाहन सड़कों पर खड़े रहते हैं। रोज के जाम और यातायात बाधित होने के चलते लड़ाई झगड़े भी होने लगे हैं। आवासीय क्षेत्र की शांति गायब हो गई है। कुछ व्यापारिक लोगों और बिल्डरों की कमाई प्रवृति सैकड़ों परिवारों पर भारी पड़ रही है। आवासीय क्षेत्र का सुख चैन अवैध मार्केट और कॉम्पलैक्स ने लिया है। अब स्थानीय लोग भी नगर निगम आयुक्त और महापौर को ज्ञापन दे चुके हैं कि या तो निगम कार्रवाई करके अवैध निमार्णों पर रोक लगा दे, अन्यथा जैसे लालकोठी और सी-स्कीम के आवासीय क्षेत्र में बचे लोगों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाकर व्यावसायिक गतिविधियां बन्द करवाई है, वैसा ही कदम यहां भी उठाया जाएगा। इसके लिए निगम प्रशासन को अंतिम नोटिस भ ी दे दिया गया है।

हाईकोर्ट आदेश अवहेलना: जैसे लालकोठी में कार्रवाई हुई, वैसी सीकर हाउस में भी करवाएंगे
आवासीय क्षेत्र में कॉमर्शियल गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं। सिविल रिट संख्या 1154/2004 दिनांक 12 जनवरी, 2017 के आदेश में स्पष्ट कहा है कि आवासीय इलाकों में हो रही व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। इसमें किसी भी तरह की कोताही ना बरती जाए। आवासीय क्षेत्र में कॉमर्शियल कॉम्पलैक्सों, कार्यालयों और व्यावसायिक गतिविधियों को गलत मानते हुए इन पर रोक लगाने और ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं, साथ ही अवैध निर्माणकतार्ओं व अवैध निर्माण में दोषी अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। जयपुर के लालकोठी आवासीय क्षेत्र और हाल ही सी-स्कीम आवासीय क्षेत्र में राजस्थान हाईकोर्ट ने व्यावसायिक गतिविधियों को बंद कराने के निर्देश जेडीए और नगर निगम को दिए हैं। लालकोठी आवासीय क्षेत्र में जितनी भी व्यावसायिक गतिविधियां चाहे कोचिंग हो या अन्य व्यावसायिक कार्य सभी को बंद कर दिया गया। सी-स्कीम में भी व्यावसायिक कार्यालयों और दुकानों को बंद करवाया जा रहा है, ताकि आवासीय क्षेत्र में रह रहे लोग सुकून से जी सके। ऐसा ही कुछ सालों से आवासीय क्षेत्र सीकर हाउस, सिंधी कॉलोनी, हाजी कॉलोनी, पावर हाउस जैसे इलाकों में हो रहा है, जहां अधिकांश हिस्सा कॉमर्शियल में तब्दील हो गया है, वो भी अवैध तरीके से। ना पार्किंग, ना सेटबैक छोडा और ना ही नक्शे पास करवाए और खड़ी कर दी गई गगनचुम्बी इमारतें। उधर, इस क्षेत्र में व्यावसायिक निमार्णों को ध्वस्त करवाने और रोक लगाने के लिए जल्द ही हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाने की तैयारी की जा रही है, ताकि अवैध व्यावसायिक इमारतों पर रोक लग सके।

अभी भी बन रहे हैं आधा दर्जन कॉम्पलैक्स
नगर निगम के विद्याधर नगर नगर निगम जोन के सीकर हाउस, सिंधी कॉलोनी, डीपी कॉलोनी, नाहरी का नाका में अभी भी आधा दर्जन से अधिक अवैध तरीके से कॉमर्शियल कॉम्पलैक्स बनाए जा रहे हैं। इस संबंध में जोन उपायुक्त कविता चौधरी, विजीलैंस उपायुक्त निगम, नगर निगम आयुक्त को लिखित शिकायतें दी जा चुकी हैं। निगम मुख्यालय और यूडीएच विभाग से ऐसे अतिक्रमण को रोकने और सील करने के निर्देश हैं, लेकिन मिलीभगत के चलते अवैध तरीके से बन रहे कॉम्पलैक्सों के निर्माण को रोका नहीं जा रहा है और ना ही इन पर कार्रवाई हो रही है। डीपी कॉलोनी पावर हाउस नाहरी का नाका स्थित प्लाट नम्बर 10, सिंधी कॉलोनी पावर हाउस स्थित ए-1, सिंधी कॉलोनी ए-55, खाटूधाम मार्केट, सिद्धि विनायक कॉम्पलैक्स, सीकर हाउस कपड़ा मार्केट में ए-39-40 में धडल्ले से अवैध इमारतें खड़ी हो रही है। वो भी बिना नक्शे पास करवाए। ना तो पार्किंग छोड़ी जा रही है और ना ही सेटबैक। जांच में प्रमाणित भी हो गए कि अवैध इमारतें बन रही है। लेकिन इन्हें रोका नहीं जा रहा है। अफसर-कर्मचारी-जनप्रतिनिधि सिर्फ अपनी जेबें भर रहे हैं। इस संबंध में विधायक मोहन लाल गुप्ता, पार्षद प्रकाश चन्द्र गुप्ता, जोन उपायुक्त विद्याधर नगर निगम जोन, निगम आयुक्त के तमाम अफसरों को लिखित शिकायत दी जा चुकी है, लेकिन इनके कानों में जूं नहीं रेंग रही है। ना तो शिकायतों पर कार्रवाई कर रहे हैं और ना ही अपना दायित्व निभा पा रहे हैं।

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