बैंगलूरु। किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर हुए गोरखध्ंधों के बारे में आपने खुब पढ़ा होगा। लेकिन देश में एक ऐसा भी गिरोह सक्रिय है। जो रुपया कमाने के फेर में महिलाओं के गर्भाशय को निकालने का काम करता है। जी हां कर्नाटक के कलबुर्गी में लालची डॉक्टर्स के एक ऐसे रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। जो सामान्य पेट दर्द से पीडि़त महिलाओं को पेट में कैसर का खतरा बताकर उनको गर्भाशय (यूर्टस) निकलवाने की सलाह देता था। कैंसर के नाम पर सहमी महिलाएं जैसे-तैसे रुपयों का इंतजाम कर अपना गर्भाशय निकलवा देती थी। इस नापाक करतूत में कलबुर्गी के चार अस्पतालों के शामिल होने के आरोप है। पैसों के लालची इन डॉक्टर्स की कारगुजारी का शिकार होने वाली महिलाओं का आंकड़ा 2200 के पार है। इसमें खास बात यह है कि जिन महिलाओं ने अपना गर्भाशय निकलवाया वे 40 से 50 आयु वर्ष की होने के साथ लुंबानी और दलित समुदाय से ताल्लुक रखती है। रुपया कमाने के फेर में इन चिकित्सकों ने महिलाओं का अल्ट्रासाउंड कराने के साथ महंगी जांचे तक करा डाली। सूत्रों के अनुसार अक्टूबर 2015 में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच समिति बनाकर मामले की जांच कराई गई। जांच में मामले की पुष्टि हुई तो अस्पतालों के लाइसेंस रद्द की अनुशंषा की गई। अस्पतालों का लाइसेेंस रद्द करने के उपरांत भी ये अस्पताल बदस्तूर अपना काम कर रहे हैं। वहीं महिला आयोग ने स्वप्रेरणा से संज्ञान लेकर रिपोर्ट दर्ज कराई गई। इस मामले में आखिरकार पीडि़त हजारों महिलाओं के साथ सामाजिक संगठनों ने अपनी आवाज बुलंद की और कलबुर्गी उपायुक्त कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। पीडि़त महिलाओं ने कहा कि मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले लालची डॉक्टर्स और अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सजा दिलाई जाए। महिलाओं का आरोप था कि अस्पतालों का लाइसेंस रद्द होने के उपरांत भी उनका बदस्तूर कार्य करने के पीछे स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य विभाग के कम्रचारियों की मिलीभगत है। जिससे इस तरह के काम को अंजाम दिया गया।

LEAVE A REPLY