Reservation
भरतपुर-धौलपुर का जाट समाज ओबीसी में, सरकार ने दी मंजूरी

नई दिल्ली। हरियाणा में जाटों समेत छह जातियों को मिलने वाले आरक्षण की राह आसान नहीं नजर आ रही है। प्रदेश के सरकारी विभागों में अधिकारियों व कर्मचारियों का जातिगत आंकड़ा सामने आने के बाद जाटों को उनकी अपेक्षा के अनुरूप आरक्षण मिल पाएगा, इसकी संभावना बेहद कम है। बता दें कि हुड्डा सरकार ने जाट, जाट सिख, रोड, त्यागी, बिश्नोई और मूला जाट को विशेष पिछड़ा वर्ग में आरक्षण दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने ठोस आधार नहीं मानते हुए इसे खारिज कर दिया। इसके बाद प्रदेश भर में दो बार हुए आंदोलन के बाद मनोहर सरकार ने विशेष पिछड़ा वर्ग की सी श्रेणी में सभी छह जातियों को 10 फीसद आरक्षण दिया। बाद में हाईकोर्ट ने केसी गुप्ता आयोग की उस रिपोर्ट को आरक्षण देने का आधार मानने से इन्‍कार कर दिया। गुप्‍ता आयोग की रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है।

अब हाईकोर्ट ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग से कहा है कि वह हरियाणा सरकार के नए सर्वे के आधार पर आरक्षण का फीसद तय करे। इसलिए प्रदेश सरकार ने सभी विभागों से कर्मचारियों व अधिकारियों का जातिगत आंकड़ा इकट्ठा कर रही है। यह 10 अक्टूबर तक इकट्ठा होगा और  30 नवंबर तक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की वेबसाइट पर अपलोड होगा। इस डाटा पर आपत्तियां 31 दिसंबर तक ली जाएंगी। फिर आयोग 31 मार्च 2018 तक अपनी रिपोर्ट सौंपकर बताएगा कि ऐसी कौनसी जातियां हैं, जिन्हें आरक्षण मिलना चाहिए और कितना मिलना चाहिए। यदि जाट समुदाय का फीसद अधिक पाया गया तो आयोग उन्हें पिछड़ों की श्रेणी में मानेगा भी या नहीं, इस पर संशय है।

 

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