Supreme Court

नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2017 के दौरान कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सी एस कर्णन के ‘वैमनस्यपूर्ण’ रवैये तथा इसके ही न्यायाधीशों के बीच परस्पर विश्वास की कमी जैसे मुद्दों से जूझने के साथ ही इस दौरान तीन तलाक पर प्रतिबंध लगाने और निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने जैसे महत्वपूर्ण फैसले भी सुनाये। इस दौरान न्यायालय ने न्यायिक कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये अदालतों में सीसीटीवी लगाने जैसा महत्वपूर्ण आदेश भी दिया।

इस साल तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत जे जयललिता के भ्रष्टाचार के मामले में सुनाये गये फैसले में उनकी निकट सहयोगी शशिकला नटराजन को सजा सुनायी गयी। इस फैसले ने राज्य की राजनीति में जबर्दस्त उथल पुथल मचा दी और वर्चस्व को लेकर छिड़ी लड़ाई में अन्नाद्रमुक में दो फाड़ हो गयी। वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी उस समय बड़ी राहत मिली जब शीर्ष अदालत ने बिड़ला-सहारा डायरी प्रकरण की स्वतंत्र जांच के लिये दायर याचिका खारिज कर दी। इस मामले में आरोप था कि डायरी में राजनीतिक व्यक्तियों को कथित रूप से दी गयी रिश्वत का विवरण है। इसी तरह, न्यायालय ने रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यामां भेजने के मामले में यह कहकर सरकार के लिये असहज स्थित पैदा कर दी कि शरणार्थियों के मानव अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता है।

इस दौरान केरल में एक महिला के जबरन धर्मान्तरण के मसले को ‘लव जिहाद’ से जोडे़ जाने के मामले में केन्द्र एक विवाद में पड़ा। इस मामले में न्यायालय में राष्ट्रीय जांच एजेन्सी ने आरोप लगाया कि 25 वर्षीय महिला का विवाह इस अवधारणा का बेतरीन नमूना है। उसका कहना था कि इस युवती से शादी करने वाला व्यक्ति कथित रूप से आईएसआईएस समूह से जुड़ा है। इस घटनाक्रम के बीच ही पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मुस्लिम समाज में 1400 साल से चली आ रही एक बार में तीन तलाक की प्रथा को पवित्र कुरान के मूल सिद्धांत और शरियत के खिलाफ घोषित करने के साथ ही नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने निजता के अधिकार को संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के तहत इसे अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार और व्यक्तित स्वतंत्रता का हिस्सा करार दिया। आधार के मसले में निजता के अधिकार का सवाल उठने पर इस संविधान पीठ ने यह व्यवस्था दी।

हालांकि अब पांच सदस्यीय संविधान पीठ यह निर्णय करेगी कि क्या आधार कार्ड से निजता के अधिकार का हनन होता है। पीठ ने यह भी साफ किया है कि विभिन्न सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने की अनिवार्यता 31 मार्च, 2018 तक लागू नहीं की जायेगी न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार शीर्ष अदालत के सात वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश सी एस कर्णन को अवमानना का दोषी ठहराते हुये उन्हें छह महीने की सजा सुनाई। न्यायमूर्ति कर्णन ने अनेक पीठासीन और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर गंभीर आरोप लगाये थे। कर्णन का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि शीर्ष अदालत के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जे चेलामेश्वर द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के प्रशासनिक कार्यों में अतिक्रमण का मुद्दा न्यायाधीशों के बीच उठ गया। न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने एक मामले की सुनवाई के लिये पीठ गठित करने का आदेश उस समय दिया था जब प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ अन्य मामलों की सुनवाई कर रही थी।

इस घटना के बाद पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित हुयी जिसने न्यायमूर्ति चेलामेश्वर के निर्णय को गलत करार देते हुये कहा कि प्रधान न्यायाधीश ही ‘रोस्टर के मास्टर हैं।’ यह मसला सुर्खियों में छाया रहा क्योंकि एक सामाजिक कार्यकर्ता वकील और एक गैर सरकारी संगठन ने एक मेडिकल कालेज के मामले में अपने पक्ष में आदेश प्राप्त करने के लिये न्यायाधीशों के नाम पर रिश्वत लेने का मसला उठाया। न्यायाधीशों से संबंधित इन दो घटनाओं के अलावा उच्चतम न्यायालय, जिसने 2017 में तीन प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, जगदीश सिंह खेहड और दीपक मिश्रा को न्यायपालिका के मुखिया के रूप में देखा, ने चुनाव के दौरान धर्म और जाति के इस्तेमाल को भ्रष्ट आचरण घोषित करते हुये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।

शीर्ष अदालत ने पहली बार उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की पदोन्नति, स्थानांतरण और उच्च न्यायालयों में उनके स्थाई करने संबंधित कोलेजियम के फैसलों को वेबसाइट पर अपलोड करने के साथ ही न्यायिक कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग की अनुमति भी दी। न्यायालय ने 25 साल पहले अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने और विवादित भूमि के मालिकाना हक से संबंधित अपीलों पर सुनवाई की। न्यायालय ने विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और अन्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की रोजाना सुनवाई का जहां मार्ग साफ किया, वहीं मालिकाना हक से संबंधित अपीलों पर 2019 के आम चुनाव के बाद सुनवाई करने का सुन्नी वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाओं का अनुरोध ठुकरा दिया।

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण से चिंतित उच्चतम न्यायालय ने सख्ती करते हुये कहा कि व्यावसायिक हितों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण नागरिकों का स्वास्थ्य है। न्यायालय ने इसके साथ ही उन वाहनों के निर्माण और बिक्री पर एक अप्रैल से प्रतिबंध लगा दिया जो बीएस-चार के मानकों के अनुरूप नहीं हैं। वी के शशिकला और लालू प्रसाद जैसे दागी नेताओं का भाग्य भी उच्चतम न्यायालय ने सील कर दिया। न्यायालय के फैसले के बाद जहां आय से अधिक संपत्ति के मामले में शशिकला बेंगुलूरू की जेल में चार साल की सजा काट रही हैं, वहीं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को चारा घोटाले से संबंधित मुकदमों का सामना करने का आदेश दिया। न्यायालय ने 2016 की तरह ही इस साल भी बीसीसीआई के कामकाज को लेकर सख्त रुख अपनाये रखा और इसके सुधारों की राह में अड़ंगा डाल रहे बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को पद से भी हटाया।

न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार शीर्ष अदालत के सात वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश सी एस कर्णन को अवमानना का दोषी ठहराते हुये उन्हें छह महीने की सजा सुनाई। न्यायमूर्ति कर्णन ने अनेक पीठासीन और सेवानिवृत्त न्यायाधीशों पर गंभीर आरोप लगाये थे। कर्णन का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि शीर्ष अदालत के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जे चेलामेश्वर द्वारा प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के प्रशासनिक कार्यों में अतिक्रमण का मुद्दा न्यायाधीशों के बीच उठ गया। न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने एक मामले की सुनवाई के लिये पीठ गठित करने का आदेश उस समय दिया था जब प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ अन्य मामलों की सुनवाई कर रही थी।

इस घटना के बाद पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित हुयी जिसने न्यायमूर्ति चेलामेश्वर के निर्णय को गलत करार देते हुये कहा कि प्रधान न्यायाधीश ही ‘रोस्टर के मास्टर हैं।’ यह मसला सुर्खियों में छाया रहा क्योंकि एक सामाजिक कार्यकर्ता वकील और एक गैर सरकारी संगठन ने एक मेडिकल कालेज के मामले में अपने पक्ष में आदेश प्राप्त करने के लिये न्यायाधीशों के नाम पर रिश्वत लेने का मसला उठाया। न्यायाधीशों से संबंधित इन दो घटनाओं के अलावा उच्चतम न्यायालय, जिसने 2017 में तीन प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर, जगदीश सिंह खेहड और दीपक मिश्रा को न्यायपालिका के मुखिया के रूप में देखा, ने चुनाव के दौरान धर्म और जाति के इस्तेमाल को भ्रष्ट आचरण घोषित करते हुये महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।

शीर्ष अदालत ने पहली बार उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की पदोन्नति, स्थानांतरण और उच्च न्यायालयों में उनके स्थाई करने संबंधित कोलेजियम के फैसलों को वेबसाइट पर अपलोड करने के साथ ही न्यायिक कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग की अनुमति भी दी। न्यायालय ने 25 साल पहले अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने और विवादित भूमि के मालिकाना हक से संबंधित अपीलों पर सुनवाई की। न्यायालय ने विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और अन्य के खिलाफ आपराधिक मुकदमे की रोजाना सुनवाई का जहां मार्ग साफ किया, वहीं मालिकाना हक से संबंधित अपीलों पर 2019 के आम चुनाव के बाद सुनवाई करने का सुन्नी वक्फ बोर्ड जैसी संस्थाओं का अनुरोध ठुकरा दिया।

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण से चिंतित उच्चतम न्यायालय ने सख्ती करते हुये कहा कि व्यावसायिक हितों से कहीं अधिक महत्वपूर्ण नागरिकों का स्वास्थ्य है। न्यायालय ने इसके साथ ही उन वाहनों के निर्माण और बिक्री पर एक अप्रैल से प्रतिबंध लगा दिया जो बीएस-चार के मानकों के अनुरूप नहीं हैं। वी के शशिकला और लालू प्रसाद जैसे दागी नेताओं का भाग्य भी उच्चतम न्यायालय ने सील कर दिया। न्यायालय के फैसले के बाद जहां आय से अधिक संपत्ति के मामले में शशिकला बेंगुलूरू की जेल में चार साल की सजा काट रही हैं, वहीं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को चारा घोटाले से संबंधित मुकदमों का सामना करने का आदेश दिया। न्यायालय ने 2016 की तरह ही इस साल भी बीसीसीआई के कामकाज को लेकर सख्त रुख अपनाये रखा और इसके सुधारों की राह में अड़ंगा डाल रहे बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर को पद से भी हटाया।

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