मुंबई। अपने संवाद और अदायगी से करोड़ों लोगों को मंत्र-मुग्ध करने वाले ख्यात फिल्म अभिनेता ओमपुरी का आज शुक्रवार सुबह निधन हो गया। बताया जाता है कि रात को पानी पीने के लिए उठे ओमपुरी गिर पड़े थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। दिल का दौरा पडऩे से उनकी मौत हुई। वे 66 साल के थे। ओमपुरी ने सवा सौ हिंदी फिल्मों में तो अपने अभिनय की छाप छोड़ी थी, वहीं दो दर्जन विदेशी फिल्मों में भी अभिनय किया था। उनकी छवि बेबाक और उम्दा कलाकार के तौर पर जानी जाती रही है। हालांकि अभिनय यात्रा शुरु करने से पहले उन्हें काफी लम्बा संघर्ष झेला है। अभिनय के साथ गुजर-बसर करने के लिए कई छोटी-बड़ी नौकरियां की। फिल्मी दुनिया में स्थापित होने के बाद उनके दुर्दिन और तंगहाली दूर हो पाई थी। बताया जाता है कि पंजाब में जन्मे ओमपुरी बचपन से स्ट्रगल करते आए हैं। उनका बचपन रेल की पटरियों से कोयला बीनने, चाय की दुकानों पर बर्तन-गिलास धोने में बीता, लेकिन इसके साथ ही वे पढ़ाई और अभिनय को नहीं छोड़ा। सरकारी स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई के साथ छोटी-मोटी नौकरियां करते हुए फिल्मी दुनिया में हाथ आजमाने वे मुम्बई पहुंचे। नाटक, धारावाहिक और आर्ट फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं मिली। दमदार अभिनय और संवाद अदायगी के चलते उन्हें धीरे-धीरे बड़ी फिल्मों और कॉर्मिर्शयल फिल्में भी मिलने लगी। घासीराम कोतवाल उनकी पहली फिल्म थी। इसके बाद आक्रोश, अद्र्धसत्य, भवाई भवई, मिर्च, मसाला, धारावी, नरसिम्हा, खाकी आदि कई फिल्मों में दमदार अभिनय से सफलता के झंडे फहराए तो कई बार उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले। असमय ओमपुरी की मौत से फिल्मी दुनिया से वह नायाब कलाकार चला गया है, जिसने अपनी अदायगी और संवाद शैली से अमिट छाप छोड़ी थी।

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