reservation private sector

jaipur. केन्द्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने आदिवासी विकास परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में सरकारी कंपनियों के निजीकरण को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर में भी आदिवासी समाज को आरक्षण दिए जाने की पुरजोर वकालत की है। आरक्षण के लिए देशभर में आंदोलन छेडऩे की बात कही। देश-प्रदेश में केन्द्रीय मंत्री का यह बयान मीडिया व सोशल मीडिया में सुर्खियों में रहा। कुलस्ते के बयान ने बहस छेड़ दी है। चिंता यह है कि सरकार की तर्ज पर ही निजी क्षेत्र में भी आरक्षण व्यवस्था लागू हो गई तो उद्योग धंधे के देश की आर्थिक तरक्की, अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। उनका तर्क है कि प्राइवेट सेक्टर बेहतर कार्य प्रणाली, नवाचारों के दम पर आगे बढ़ता है।

निजी क्षेत्र में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा रहती है। थोड़ी सी चूक या कमी कारोबार को बर्बाद कर सकती है या मंदा हो सकता है। ऐसे में निजी क्षेत्र युवा पीढ़ी के जोश, सृजन, नए विचारों से बढ़ता है। नई नई तकनीकी सीखी जाती है और उस तनकीक के दम पर कारोबार भी बढ़ता है। सरकारी विभागों की तरह निजी क्षेत्र में फाइव डे वीक, सरकारी छुट्टियों की भरमार, पीएल,सीएल जैसी ज्यादा सुविधाएं नहीं होती है। हां प्राइवेट सेक्टर में भारत सरकार के लेबर लॉ की पालना होती है। बेहतर रिजल्ट देने वाले कर्मियों को लाखों का वेतन भी मिलता है तो दूसरी तमाम सुविधाएं भी। बेहतर रिजल्ट के कारण निजी क्षेत्र के कारोबार तरक्की कर पाते हैं। बाजार में बने रहते हैं। निजी क्षेत्र में सीधा सिस्टम है, जो काम करेगा, वो ही वेतन पाएगा। नहीं तो रोजगार कब छीन जाए, पता नहीं चलता।

अगर निजी क्षेत्र में कोटा सिस्टम लागू हो गया तो नए आइडियाज, सृजन, तकनीकी पर विराम लग सकता है। इससे कामकाज प्रभावित होगा। प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण के बजाय शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना चाहिए, जहां सभी वर्गों के बच्चों को एक मंच पर शिक्षा दी जाए। उसका समस्त खर्चा सरकार उठाए। उन्हें रोजगारपरक प्रशिक्षण दिया जाए। यह सही है कि सरकारी विभागों में आरक्षण से वंचित वर्ग को लाभ मिल रहा है। रोजगार मिल रहा है। उनकी उन्नति हो रही है। सरकारी विभागों में घटती नौकरियों से वंचित वर्ग की चिन्ता जायज भी है। परंतु निजी क्षेत्र सरकारी नियंत्रण से दूर है। निजी कंपनियों को सरकार से कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिलता है। वे अपने दम और पूंजी से अपने कारोबार को बढ़ाते हैं। कारोबार बढ़ाने के लिए बेहतर श्रम शक्ति का चयन करते हैं। निजी क्षेत्र में कोटा सिस्टम लागू करने से पहले निजी सेक्टर के व्यवसासियों, उद्योगपतियों व कारोबारियों की बातें सुनी जाए और तभी कोटा सिस्टम लागू करने की बातें होनी चाहिए।

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