Hanumant Charitra Katha, Raj Bhavan, kalraj misra

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र की पहल पर शुक्रवार को यहां राजभवन के वैक्ंवेट हॉल में श्री हनुमंत चरित्र कथा का शुभारंभ हुआ। तीन दिवसीय इस कथा की शुरूआत राज्यपाल कलराज मिश्र ने पूजा-अर्चना करके की। मिश्र ने इस कथा का आयोजन देश और प्रदेश की खुशहाली और समृद्धि के लिए कराया है। कथा का श्रवण प्रदेश की प्रथम महिला श्रीमती सत्यवती मिश्रा सहित अनेक गणमान्य लोगों ने किया।

आज की कथा में श्रीहनुमान चालीसा के प्रथम दो दोहे और श्रीहनुमान जी के विभिन्न नामों की व्याख्या कथावाचक श्री अनुराग कृष्ण पाठक ने की। श्रीहनुमान जी का प्रताप चारों युगों में है। उन्होंने भगवान श्रीराम से यह वरदान मांगा था कि धरती पर जब तक रामकथा हो, तब तक श्रीहनुमान का जीवन बना रहे, इसीलिए कलयुग में श्रीहनुमान नित्य विद्यमान है।

श्रीहनुमान सेवा सुमिरन के स्वरूप हैं। वे संकटमोचक हैं। जीवन के बड़े से बड़े संकट को दूर करने वाले है। श्रीराम नाम की दीक्षा देने वाले हैं। श्रीहनुमान की तीनों लोकों में जय-जयकार है। उन्होंने अपने हर कृत्य को पूर्ण उत्कृष्टता के साथ किया। राम नाम में श्रीहनुमान संतोषी रहे, लेकिन राम सेवा में असंतोषी रहे क्योकि वे राम की सेवा से सदैव जुड़े रहना चाहते थे।

राज्यपाल श्री मिश्र के आग्रह पर कथावाचक श्री अनुराग कृष्ण पाठक वृंदावन से कथा का वाचन करने जयपुर आए हैं। सिंगापुर, मलेशिया, कीनिया और रूआंडा में भागवत कथा का वाचन करने वाले पंडित जी ने कथा के बीच में हरिनाम कीर्तन से वातावरण को भक्तिमय बनाया। बीस वर्षों से श्रीमद्भागवत, श्रीराम कथा और श्रीहनुमन्त कथा का वाचन करने वाले पंडित अनुराग कृष्ण पाठक ने विशिष्ट शैली के माध्यम से विभिन्न ग्रन्थों से किये गये शोध को बताया।

श्रीहनुमान चालीसा को केन्द्र में रखकर श्रीहनुमान की चरित्र महिमा को समझाते हुए समाज में व्याप्त दोषों को कैसे दूर किया जाये और मानव जीवन को परोपकार में कैसे लगाया जाये, इसकी कथावाचक व्याख्या करेंगे।

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