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जयपुर। फर्जी कम्पनियां बनाकर एवं फर्जी बिलों के जरिए 4०० करोड़ रुपए के घोटाले के अपराध में 21 मई, 2०18 को जीएसटी विभाग की ओर से गिरफ्तार किये गये आरोपी कर सलाहकार एवं सीए पंकज खण्डेलवाल (34) निवासी चम्पा नगर, गुर्जर की थड़ी, जयपुर एवं गाजियाबाद-यूपी निवासी संदीप अग्रवाल (43) व श्रीराम कुमार सिंह (33) के खिलाफ निर्धारित समय अवधि 6० दिन के अंदर चालान प्रस्तुत नहीं करने के आधार पर ट्रायल कोर्ट ने जमानत पर जेल से रिहा करने के आदेश दिेये है।

जीएसटी विभाग ने 18 मई को एक साथ उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली स्थित 17 परिसरों में छापे मार कर फर्जी दस्तावेजों के साथ 48.4० लाख रुपए नकद एवं 37००० यूएस डॉलर बरामद किये थ्ो। तीनों पर आरोप लगाया था कि करीब 4०० करोड़ रुपए का इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और जीएसटी डिपार्टमेंट के साथ घोटाला किया है। गंभीर अपराध के कारण तीनों को अपील कोर्टो से भी जमानत नहीं मिली थी। प्रभावी पैरवी के लिए विभाग ने दो विश्ोष वकील भी नियुक्त किये थ्ो। लेकिन निर्धारित अवधि 6० दिन में चालान पेश नहीं किया। उपरोक्त अपराध में 5 साल की जेल एवं जुर्माने की सजा का प्रावधान है। तीनों ने सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत जमानत आवेदन पत्र पेश किये और कोर्ट ने स्वीकार कर लिये।

श्रीरामकुमार सिंह फर्म अनंत एन्टरप्राइजेज का मालिक एवं सम्यक ट्रेडर्स का पार्टनर है। इसी तरह संदीप अग्रवाल मैसर्स राधिका एन्टरप्राइजेज का मालिक है एवं कई बोगस फर्मो का संचालक है। कर सलाहकार फर्म मैसर्स इनफिनीटी का मालिक सीए पंकज खण्डेलवाल है। 18 मई को किए गए सर्च में पता चला कि मैसर्स हनी एन्टरप्राईजेज के प्रोपराईटर विपुल ने एक जुलाई से 31 दिसम्बर, 2०12 के दौरान 9.०7 करोड़ रुपए की आईजीएसटी राजकीय कोष में जमा ही नहीं करवाई। फर्म ने शून्य जीएसटीआर 3बी विवरणी दायर की है। टीम को श्रीरामकुमार सिंह के ऑफिस में 18 लाख रुपए नकद मिला, जिसका वह स्पष्टीकरण नहीं दे सका। मोबाईल की स्क्रीन में बिग बॉस के नाम से संदीव अग्र्रवाल का नाम मिला। पूछताछ में सिंह ने बताया कि संदीप के निर्देशों पर फर्जी इनवाईस जारी की थी। उसकी 67 अन्य फर्मे भी होना उजागर हुआ। संदीप के ऑफिस से 3० लाख रुपए और मिले। हनी का जोधपुर का जीएसटी रजिस्ट्रेशन का पता भी फर्जी पाया गया। पंकज के किए गए सर्च में कई मृत व्यक्तियों के भी फार्म भरने की जानकारी मिली। केन्द्रीय वस्तु एवं सेवाकर एक्ट 2०17 की धारा 16 (2)(बी) के अनुसार कोई भी पंजीकृत व्यक्ति/फर्म बिना माल को प्राप्त किए जीएसटी के्रडिट लेने का हकदार नहीं है। जबकि मुल्जिमों ने बिना वास्तविक रूप से माल को खरीद किए कागजों में ही खरीद दिखाकर फर्जी इनवॉयस तथा वारन्ट इनवॉयस के आधार पर जीएसटी क्रेडिट लिया गया है। अभियुक्तगण के विरुद्ध 58.०3 करोड़ की जीएसटी चोरी का प्रथम दृष्टया आरोप है।

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