–  राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के राष्ट्रीय सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वकीलों की महंगी फीस का मुद्दा छाया रहा।
जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कई जज फेस वैल्यू देखकर फैसला देते हैं। वकीलों की फीस इतनी ज्यादा है कि गरीब आदमी सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने भी गहलोत का समर्थन किया। उन्होंने कहा जो लोग अमीर होते हैं, वे लोग अच्छा वकील कर लेते हैं। पैसे देते हैं। आज दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में कई वकील ऐसे हैं, जिन्हें आम आदमी अफोर्ड ही नहीं कर सकता है। शनिवार को जयपुर में हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के राष्ट्रीय सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वकीलों की महंगी फीस का मुद्दा छाया रहा। एक सुर में गहलोत और केंद्रीय मंत्री  रिजिजू ने वकीलों की महंगी फीस पर चिंता जताई। शनिवार को जयपुर एक्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर में सीजेआई और देशभर के हाईकोर्ट के जजों की मौजूदगी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वकीलों की तगड़ी फीस को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा गरीब आदमी आज सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता। इसको कौन ठीक कर सकता है। समझ से परे है। अच्छे-अच्छे लोग सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकते।
गहलोत ने कहा कि फीस की भी हद होती है। एक करोड़, 80 लाख, 50 लाख रुपए। पता नहीं देश में क्या हो रहा है? यह बात मैंने एक बार चीफ जस्टिस की बैठक में भी उठाई थी। यह जो स्थिति बनी है, उस पर भी चिंतन करें। कोई कमेटी बने। कुछ तरीका तो हो।
गहलोत ने कहा अमुक (खास व्यक्ति) वकील को खड़ा करेंगे तो जज साहब इम्प्रेस होंगे। अगर यह स्थिति है तो इसे भी आपको समझना होगा। संविधान की रक्षा करना हम सबका दायित्व है।
– आम आदमी कहां से लाएगा मोटी रकम
केंद्रीय मंत्री  किरण रिजिजू ने कहा जो लोग अमीर होते हैं वे अच्छा वकील कर लेते हैं। पैसे देते हैं। आज दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में कई वकील ऐसे हैं, जिन्हें आम आदमी अफोर्ड ही नहीं कर सकता है। एक-एक केस में सुनवाई के एक वकील 10 लाख, 15 लाख रुपए चार्ज करेंगे तो आम आदमी कहां से लाएगा। कोई भी कोर्ट केवल प्रभावशाली लोगों के लिए नहीं होना चाहिए। यह हमारे लिए चिंता का विषय है। मैं मानता हूं कि न्याय का द्वार सबके लिए हमेशा बराबर खुला रहना चाहिए।
– हमारे देश में जस्टिस सिस्टम की प्रक्रिया ही सजा:रमना
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने देश में अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या और अदालतों में पेंडिंग मुकदमों के निपटारे में तेजी लाने को कहा है। सीजेआई रमना ने यब बात जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण 18वें राष्ट्रीय सम्मेलन में कही। उन्होंने कहा हम जहां जाते हैं, लोग हमसे भी पेंडिंग केस का सवाल पूछते हैं। केस कब तक चलेगा? हम सब जानते हैं पेंडेंसी का कारण क्या है? पेंडेंसी का मुख्य कारण ज्यूडिशियल वैकेंसी नहीं भरना और ज्यूडिशियल इंफ्रास्ट्रक्चर का उतना इंप्रूव नहीं होना है। मैंने सीएम-सीजे कांफ्रेंस में इंफ्रास्ट्रक्चर का मुद्दा उठाया था, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसे कंसीडर नहीं किया गया। मुझे उम्मीद है कि इश्यू को रि-कंसीडर किया जाएगा।
– देश की जेलों में 61 लाख से अधिक कैदी
जस्टिस रमना ने कहा देश मे इस समय जितने भी कैदी जेलों में हैं, उनमें से 80% अंडर ट्रायल हैं। देश में अभी 61 लाख से ज्यादा कैदी हैं। इनके फास्टर रिलीज पर हमें काम करना होगा। हमारे देश में क्रिमिनल जस्टिस के सिस्टम की प्रक्रिया ही सजा है। नालसा एक्ट इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह एक अच्छा प्रयास है। देश में पांच करोड़ पेंडिंग केसेज में से एक करोड़ केस नालसा ने पिछले एक साल के निपटाए हैं। इसमें हमारे जजों ने शनिवार और रविवार को एक्स्ट्रा काम किया है। हमें यह ध्यान रखना अति आवश्यक है कि नालसा की मूल भावना को नहीं भूलना चाहिए।

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