नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक के.एन. गोविंदाचार्य ने आंदोलन द्वारा संचालित राष्ट्रव्यापी जनजागरण अभियान ‘से नो टू चाइनाÓ बी भारतीय बाय भारतीयÓ के संदर्भ में बताया कि यह अभियान राष्ट्र के स्वावलंबन और स्वाभिमान दोनों को पुष्ट करेगा। उन्होंने कहा, अगर हम पिछले 200 वर्षो के इतिहास और भूगोल पर नजर डालें तो पाएंगे कि जहां एक ओर चीन की भौगोलिक सीमाएं बढ़ी हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत की सीमाएं घटी हैं। चीन एक विस्तारवादी प्रकृति का देश है। वहीं भारत ने कभी किसी अन्य देश की सीमाओं का अतिक्रमण करने की कोशिश नहीं की है। पिछले कुछ दिनों से भारत, चीन, भूटान सीमा पर विवाद बढ़ा है। चीन धमकी की भाषा का भी प्रयोग कर रहा है। चीनी उत्पादों के बहिष्कार का यह अभियान भारत की जनता का चीन को जवाब साबित होगा। उन्होंने देश के लोगों से इस अभियान के समर्थन का आह्वान किया। आंदोलन के संयोजक पवन श्रीवास्तव ने कहा, अभियान भारत के जन जन की भावनाओं का शंखनाद है। उन्होंने चीनी सामानों की होली जलने के कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील आंदोलन के कार्यकतार्ओं से की। आंदोलन के युवा नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने ‘युवाओं से समाजसत्ता के प्रतिनिधि के रूप में हर जगह अभियान का नेतृत्व संभालने की अपील की।Ó स्वदेशी आंदोलन के संयोजक के.वी. बीजू ने ‘चीनी सामन के बहिष्कार और स्वदेशी के ही उपयोग का आह्वान किया।Ó राष्ट्रीय संगठन मंत्री बसवराज पाटिल ने कार्यक्रम का विस्तृत स्वरूप बताते हुए कहा कि देश के ज्यादा से ज्यादा स्थानों पर ‘स्वाभिमान संवादÓ, ‘संकल्प मार्चÓ और ‘स्वाभिमान सभाÓ का आयोजन किया जाएगा। सभा के बाद चीनी उत्पाद दहन का कार्यक्रम होगा, जिसमें स्थानीय जनता अपने घर से लाए गए चीनी सामनों की आहुति देगी।

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