Failure to give employment to our government, our government was unable to give employment, it would have to be considered a big problem: Rahul

वाशिंगटन। लगता है अब राहुल गांधी भी देश की नब्ज को टटोलने लगे हैं और अब अपने परिपक्वता का प्रमाण दे रहे हैं और अमेरिका में भारत के मौदूदा हालातों पर टिप्पणी कर रहे हैं याद नहीं कि शायद इससे पहले राहुल गांधी ने इतनी परिपक्वता से बात की हो हालांकि भाजपा इसका विरोध जरुर कर रही है कि राहुल अमेरिका में जाकर और वहां देश के बारे में बात करके बदनाम करने की कोशिस कर रहे हैं। लेकिन जानकार बताते हैं कि यह सब कांग्रेस और राहुल गांधी की पॉलिटिक्स का हिस्सा है जिससे वह भाजपा पर दबाव बना सके और विश्व में जो मोदी की छवि बन चुकी है उसके उलट वो विश्व को बता सके की मोदी की कथनी और करनी में कितना अंतर है। यही कारण है कि राहुल अमेरिका के प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ संवाद के दौरान उन्होंने देश और राजनीति को लेकर अपनी दिल की बातें कहीं। उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी तमन्ना थी कि पीएम नरेन्द्र मोदी का मेक इन इंडिया एक ऐसा प्रोग्राम है जिसे कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकाल के दौरान लॉन्च की होती। हालांकि राहुल गांधी इस प्रोग्राम में थोड़ा बदलाव चाहते हैं।

राहुल ने ने छात्रों को कहा, मुझे मेक इन इंडिया का कॉन्सेप्ट पसंद है, लेकिन ये प्रोग्राम जिन लक्ष्यों को लेकर चलाना चाहिए उसे लेकर नहीं चल रहा है। राहुल ने कहा कि अगर कांग्रेस इस प्रोग्राम को लागू करती तो उनका फोकस थोड़ा अलग होता। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि एक छात्र के सवाल के जवाब में कहा, पीएम मोदी महसूस करते हैं कि मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत बड़े कारखाने और फैक्ट्रियां टारगेट किये जाने चाहिए, लेकिन मुझे लगता है कि हमारा फोकस मध्यम और छोटे कंपनियों पर होना चाहिए। राहुल गांधी के मुताबिक ये ऐसा क्षेत्र है जहां से नौकरियां आने वाली हैं। राहुल गांधी ने कहा कि केन्द्र की सरकार नौकरियां पैदा नहीं कर पा रही है, लिहाजा धीरे-धीरे लोगों के बीच सरकार के खिलाफ गुस्सा पैदा हो रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि हर दिन रोजगार बाजार में 30,000 नए युवा शामिल हो रहे हैं और इसके बावजूद सरकार प्रतिदिन केवल 500 नौकरियां पैदा कर रही है। राहुल के मुताबिक अब चुनौती ये है कि रोजगार की समस्या को कैसे लोकतांत्रिक तरीके से हल निकाला जा सके। राहुल गांधी ने यहां पर पूर्व की कांग्रेस सरकार का भी आकलन किया और माना कि लोगों को रोजगार देने के मोर्चे पर हम फेल रहे है।

राहुल ने कहा, सच कहा जाए तो कांग्रेस पार्टी भी इस मोर्चे पर फेल रही थी, लेकिन पीएम मोदी भी यहां फेल साबित हो रहे हैं, उन्होंने कहा कि ये एक ऐसी समस्या है जिसकी जड़ें गहरी है, इसके समाधान के लिए पहले हमें स्वीकार करना होगा, कि यह एक समस्या है। इसके बाद हमें एकजुट होकर इससे निपटने की कोशिश करनी होगी। इस समय, कोई यह स्वीकार तक नहीं कर रहा कि यह एक समस्या है। राहुल गांधी ने माना कि कि इस दौरान मोदी और ट्रंप जैसे नेताओं के उदय की एक बड़ी वजह ह्यनौकरी का सवाल था। राहुल गांधी ने छात्रों से कहा, मैं सोचता हूं, मोदी के उभार का मुख्य कारण और ट्रंप के सत्ता में आने की वजह, अमेरिका और भारत में रोजगार का प्रश्न होना है।

हमारी बड़ी आबादी के पास कोई नौकरी नहीं है और वह अपना भविष्य नहीं देख सकते हैं। और इसलिए वह परेशान हैं, और उन्होंने इस तरह के नेताओं को समर्थन दिया है। मैं ट्रंप को नहीं जानता। मैं उस बारे में बात नहीं करूंगा। लेकिन, निश्चित ही हमारे प्रधानमंत्री (रोजगार सृजन के लिए) पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं। राहुल गांधी के मुताबिक , वही लोग जो हमारे (एक दिन में) 30,000 नौकरियां पैदा नहीं कर पाने से हमसे नाराज थे वे श्री मोदी से भी नाराज होंगे। दो हफ्तों के प्रवास पर अमेरिका गये 47 वर्षीय राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि पीएम मोदी उनसे अच्छे वक्ता है। राहुल ने छात्रों से कहा, मैं विपक्षी पार्टी का नेता हूं, लेकिन पीएम मोदी मेरे प्रधानमंत्री भी हैं, उनके अंदर कुछ काबिलियत है, वो एक बहुत अच्छे वक्ता हैं, शायद मुझसे बहुत अच्छे।

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