जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने विदेशी मुद्रा के साथ गिरफ्तार आरोपी की बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर पचास हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। अदालत ने हर्जाना राशि एक माह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश गोरधन बाढ़दार की खंडपीठ ने यह आदेश अर्पित जैन की ओर से दायर बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज करते हुए दिए। याचिका में कहा गया कि उसे गत नवंबर माह में कस्टम विभाग ने पकड़ा था।
उससे मारपीट कर खाली कागजों पर हस्ताक्षर कराए गए। याचिकाकर्ता से कुल 96 लाख पचास हजार 412 रुपए बरामद हुए थे। इसमें से 26 हजार चार सौ रुपए भारतीय मुद्रा थी। ऐसे में विदेशी मुद्रा एक करोड रुपए से कम होने के चलते जमानती अपराध होने के कारण उसे रिहा किया जाए। इसका विरोध करते हुए कस्टम विभाग की ओर से एएसजी आरडी रस्तोगी ने कहा कि आरोपी को दुबई जाते समय 13 नवंबर को एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था। याचिकाकर्ता पूछताछ में स्वीकार कर चुका है कि वह अगस्त 2017 से अब तक पांच करोड 89 लाख 35 हजार 511 रुपए दुबई ले जा चुका है। इसके अलावा आरोपी की तीन बार पूर्व में जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है। एएसजी की ओर से कहा गया कि बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका केवल अवैध हिरासत के मामले में ही दायर की जा सकती है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर याचिकाकर्ता पर पचास हजार रुपए का हर्जाना लगाया है।