– जनप्रहरी एक्सप्रेस

झुंझुनूं. राजस्थान में सियासी बवाल रोकने के लिए कांग्रेस हाईकमान की तरफ से नेताओं के खिलाफ बयानबाजी पर रोक लगाई गई थी। इसके बावजूद कई नेताओं का सब्र टूटता दिख रहा है। मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने एक बार फिर सचिन पायलट को सीएम बनाने की पैरवी की है। मानेसर जाने वाले 5 विधायकों को जब मंत्री बना सकते हैं तो पायलट को सीएम क्यों नहीं? मंत्री ने पायलट के खिलाफ षड्यंत्र करने का आरोप लगाया है। जैसे महाभारत में अभिमन्यु को बड़े-बड़े महारथियों ने साजिश करके घेरकर मारा था। ऐसी ही साजिश पायलट के साथ की गई। गुढ़ा उदयपुरवाटी में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। गुढ़ा ने कहा मुख्य सचेतक की बात विधायक न माने तो सदस्यता चली जाती है। विधायक की सदस्यता खत्म करने का जिन्हें अधिकार है, उन्होंने पायलट के साथ साजिश की। पायलट की सारी बात सोनिया, राहुल, प्रियंका गांधी ने सारी बात सुनी। पहली बार यह हुआ कि दिल्ली से आने वाले आब्जर्वर के खिलाफ बगावत हुई। पायलट करे तो वह बगावत। ये करे वह वफादारी। मैं जहां इनकी मीटिंग हो रही थी, उनके सामने खड़ा हुआ। जो सड़कें लाल करने की बात कर रहे थे, मैं उनको स्टूडेंट लाइफ से जानता हूं।
– इतनी गालियां सुनने के बाद भी पायलट ने धैर्य नहीं खोया
गुढ़ा ने कहा पायलट के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया, सारे लोगों ने जब उन्हें टारगेट बनाया। मैं अपने आप को रोक नहीं सका। मैंने कहा कि ये गलत है। जो लोग पायलट के साथ दिल्ली गए वो पायलट को दिल्ली छोड़कर दूसरे खेमे में घुस गए। आपने पायलट के साथ के 5 विधायकों को मंत्री बना दिया, अब आप जिस तरह की भाषा प्रयोग कर रहे हैं, वह गलत है। जब पांच लोग मंत्री रह सकते हैं तो सचिन सीएम क्यों नहीं रह सकते? ये दोगला नियम है। सरकार में मुख्य पोस्ट पर जो लोग बैठे थे, पायलट को धन्यवाद देता हूं कि उनकी इतनी गालियां सुनने के बाद भी धैर्य नहीं खोया, बर्दाश्त किया, उस बात को पी गया वह आदमी। उसके बाद बहुत बड़ा षड्यंत्र था। राजेश पायलट बड़े नेता थे, सचिन पायलट को बहुत छोटी उम्र में राजनीति में आना पड़ा। पिता का साया सिर से उठ जाने की वजह से जो समय पायलट का खेलने कूदने का और मौज-मस्ती करने था, वो भार उन्होंने लिया। यह भी सच है कि कुछ नकली लोग, जिन्होंने उनके अंदर घुसकर एक राजनीतिक षड्यंत्र के तहत ,घाघ लोग थे। उन्हें पता था कि हमें इस आदमी की इमेज खराब करनी है, इसे खंडित करना है। अपने कुछ लोगों को इस आदमी के अंदर घुसाकर बहुत बड़ा षड्यंत्र करके पायलट की इमेज खराब की, इसमें वो काफी हद तक वे सफल भी हो गए।
– पायलट को आगाह किया था…ये कपटी लोग हैं
गुढ़ा ने कहा विधानसभा चुनाव 2018 में जिन लोगों को पायलट ने लाइन में खडे़ होकर टिकट दिया था। समर्थकों ने पायलट के कहने पर उन्हें चुनाव जीतवाया, पायलट के नाम से जिन्हें वोट मिला, बाद में उन लोगों ने ही पायलट के साथ छल किया। कम उम्र होने की वजह से पायलट के अंदर बेइमानी नहीं थी, वे उनके अंदर के कपट को नहीं समझ पाए। मैंने पायलट को एक दो बार आगाह भी किया था कि आपके साथ ये जो लोग हैं, ये छल कर रहे हैं,ये कपटी लोग हैं, लेकिन वो समय था, फिर जो होना था वही हुआ।
– पायलट आएं हैं तो बातें तो होंगी ही, भजन कीर्तन थोड़े ही करेंगे
सचिन पायलट ने सोमवार रात मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास के बंगले पर पहुंचकर करीब सवा घंटे तक चर्चा की है। लंबे समय बाद पायलट खाचरियावास के सरकारी बंगले पर पहुंचे,जहां दोनों के बीच सियासी मुद्दों पर लंबी चर्चा हुई हैं। मुलाकात को लेकर मंत्री खाचरियावास ने कहा मैं और पायलट विधानसभा में भी एक ही सोफा पर बैठते हैं। विधानसभा में जब बराबर बैठते हैं तो वहां भी बात होती रहती है। यह कहना गलत है कि हमारी आपस में चर्चा नहीं होती। अब पायलट घर आ गए तो इसमें नई बात नहीं है, विधानसभा में तो मिलते ही हैं वहां भी बात होती रहती है। पायलट आएंगे तो बातें तो होंगी ही,कोई भजन कीर्तन थोड़े ही करेंगे,सब बातें हुई हैं। लेकिन वे बताने की नहीं हैं। सोमवार रात पायलट से लंबी मुलाकात के बाद मंगलवार दोपहर खाचरियावास ने सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात की। दोनों मुलाकातों के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। खाचरियावास ने अपने बयान से यह साफ कर दिया है कि दोनों नेताओं के बीच मौजूदा सियासी घटनाक्रम और सियासी बवाल पर भी चर्चा हुई है। ऐसे में इस मुलाकात को दोनों खेमों के बीच जारी कोल्ड वॉर के हिसाब से काफी अहम माना जा रहा है। पायलट के खिलाफ हाल में खाचरियावास मुखर होकर बयानबाजी कर रहे थे। उन्हीं खाचरियावास से उनके सरकारी बंगले पर जाकर पायलट का मिलना दोनों के बीच सियासी तल्खियों को कम करने और सियासी रिश्तों की बर्फ पिघलने से जोड़कर देखा जा रहा है। इसे गहलोत और पायलट खेमों के बीच तल्खी कम करने से भी जोड़ा जा रहा है। पायलट ने विधानसभा में भी विधायकों से मुलाकात की थी, इससे पहले भी गहलोत खेमे के विधायकों से मिले थे, बीच में विधायक दल की बैठक के बाद सियासी बवाल बढ़ गया और पूरा नरेटिव ही बदल गया। खाचरियावास सचिन पायलट के कट्टर समर्थक थे। पायलट जब प्रदेशाध्यक्ष थे तब पूरे पांच साल खाचरियावास ने राजधानी में धरने प्रदर्शनों से लेकर पार्टी के कार्यक्रम आयोजित करने में पायलट का साथ दिया। खाचरियावास को मंत्री बनाने में भी पायलट का ही रोल था। जुलाई 2020 में पायलट खेमे की बगावत के वक्त खाचरियावास ने पायलट की जगह गहलोत खेमे का साथ दिया। दोनों के बीच उसी समय से दरार आ गई थी। 2020 के बाद पायलट पहली बार खाचरियावास के घर जाकर मिले हैं।

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