– 2013 में पार्टी से टिकिट मिलने के बाद भी तीसरे नंबर पर रहे गंगा सहाय शर्मा विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी के भरोसे टिकट की जुगत में।
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। राजस्थान विधानसभा के चुनाव की बिसात बिछने लगी है। दोनों ही प्रमुख दल सत्तारूढ कांग्रेस और भाजपा ने 200 सीटों पर प्रत्याशी चयन के लिए फीडबैक लेना शुरू कर दिया है वहीं प्रदेश में माहौल बनाने के लिये दोनों ही दलों के राष्ट्रीय नेता भी चुनावी रैली करने लगे है। उम्मीदवार भी टिकट के लिये दमखम दिखाने लगे हैं। टिकट के लिये जाति, पार्टी में सक्रियता और नेताओं से नजदीकी का हवाला दिया जा रहा है। संख्या बल दिखाकर भी माहौल बनाया जा रहा है। प्रदेश की हर विधानसभा में ऐसा ही माहौल है।  प्रदेश की प्रमुख सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के जीते व हारे हुए उम्मीदवार की क्या समीकरण है। कौन दावेदारी में है और कौन सीट निकाल सकता है। उन तमाम पहलुओं पर जनप्रहरी एक्सप्रेस की ओर से प्रमुख सीटों का समीकरण आपके सामने रख रहे हैं। सबसे पहले जयपुर की सबसे हॉट सीट आमेर के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
– सतीश पूनिया का टिकिट पक्का
आमेर से वर्तमान में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया विधायक है। इस सीट से सतीश पूनिया ही बीजेपी के एकमात्र प्रबल दावेदार है। हालांकि बलराम दून, जीतेन्द्र शर्मा, ओम सैनी, ईश्वर यादव भी टिकट की दावेदारी कर रहे है। सतीश पूनिया की आमेर में जबरदस्त सक्रियता होने, पार्टी का बड़ा चेहरा होने, संघ का साथ व कार्यकर्ताओं से सीधा जुड़ाव होने के कारण उनका टिकिट तय माना जा रहा है। पहली लिस्ट में ही इनका नाम पक्का है।
– कांग्रेस में कई दावेदार
 वहीं कांग्रेस से आधा दर्जन से अधिक नेता टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। जिनमें पिछले चुनाव में हारने वाले प्रशांत शर्मा मजबूत तरीके से फिर से दावेदारी कर रहे हैं। प्रशांत शर्मा पिछला चुनाव  13,329 वोट से हारे थे। वे पूर्व विधायक सहदेव शर्मा के बेटे हैं और पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट के नजदीकी है। ये नजदीकी उनके टिकट के लिये मुश्किल खड़ा कर सकती है। क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमा नहीं चाहेगा कि पायलट समर्थक किसी नेता को टिकट मिले। कांग्रेस की तरफ से बद्रीनारायण बागड़ा, उप जिला प्रमुख मोहन डागर, पूर्व विधायक गंगा सहाय शर्मा, महेश शर्मा दौलतपुरा, पंडित मुकेश शर्मा भी तगड़ी दावेदारी कर रहें है। मोहन डागर कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के परिवार से है और आमेर से सटी झोटवाड़ा सीट से लालचन्द कटारिया विधायक है। मोहन डागर लंबे समय से आमेर में सक्रिय है।
इसी तरह इस सीट से प्रबल दावेदारी कर रहे हैं बद्रीनारायण बागड़ा(बद्री नेताजी)। वे अखिल भारतीय बागड़ा ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए हैं। आमेर सीट जनरल कास्ट बहुल सीट है, जहां सर्वाधिक वोट ब्राह्मण समाज के है। बद्रीनारायण बागड़ा आमेर में  समाजबंधु की बहुलता, लंबे समय से कांग्रेस में सक्रियता, आमेर में मजबूत नेटवर्क व सार्वजनिक कार्यक्रम में भागीदारी के चलते कांग्रेस की तरफ से प्रबल दावेदार है। रिंगरोड में किसानों की जमीन अवाप्ति, किसान मुद्दों पर शुरू से ही एक्टिव रहे हैं। वे जयपुर जिले में जाना पहचाना चेहरा व नाम है।
वैसे भी आमेर विधानसभा सीट में
ब्राह्मण समाज में भी 80 फीसदी वोट बागड़ा ब्राह्मण के है। करीब 40 हजार वोट बागड़ा ब्राह्मण समाज से आते हैं। करीब 20 हजार अन्य ब्राह्मण समाज के वोट है जिनमें हरियाणा गौड, गौड, गुर्जर गौड़, खांडल ब्राह्मण के हैं। इसी तरह राजपूत, बनिया, कायस्थ आदि के करीब 35 हजार से अधिक वोट है। ब्राह्मण के बाद जाट समाज के सर्वाधिक मत करीब 40 हजार है। यादव, माली, गुर्जर, मुस्लिम भी अच्छी तादाद में है। एसटी व एससी का भी मजबूत वोट बैंक है। ब्राह्मण बहुल सीट के कारण युवा नेता पंडित मुकेश शर्मा भी तगड़ी दावेदारी कर रहे हैं। वे आमेर में गांव गांव जनता से मेल मुलाकात कर रहे हैं और सभाएँ कर रहे हैं। खेल व दूसरे आयोजनों से लोगों से जुड़े हुए हैं। उनके पक्ष में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता लॉबिंग कर रहे हैं। बागड़ा ब्राह्मण समाज के महेश शर्मा भी टिकट के दावेदार है।
– पार्टी टिकिट के बावजूद तीसरे नम्बर पर रहे गंगा सहाय स्पीकर के भरोसे
आमेर सीट पर बागड़ा ब्राह्मण समाज के आधार पर 2008 में  गंगा सहाय शर्मा को टिकट मिला था और वो जीत भी गए थे, लेकिन  2013 के चुनाव में बुरी तरह से हार गए और तीसरे नंबर पर रहे। पांच साल विधायक रहने के दौरान आमेर के विकास पर ध्यान नहीं देने, सार्वजनिक कार्यक्रम से दूरी और बागड़ा ब्राह्मण समाज के एक बड़े तबके की नाराजगी के चलते उन्हें 40 हजार ही वोट मिले और वे तीसरे नम्बर पर रहे। तब नवीन पिलानिया करीब सवा तीन सौ वोटों से जीते थे जबकि दूसरे नंबर पर भाजपा के सतीश पूनिया थे।  तीसरे नंबर पर रहे गंगा सहाय शर्मा मात्र 24 फीसदी वोट ही ले पाए। जबकि तब त्रिकोणीय मुकाबला होने के कारण चुनाव उनके अनुकूल था लेकिन कांग्रेस के कोर वोटर्स ने उन्हें वोट नहीं दिया और बागड़ा ब्राह्मण समाज के एक बड़े तबके ने भी उनके और उनके नज़दीकी कार्यकर्ताओं के गलत व्यवहार व आचरण के चलते वोट नहीं दिया। यह वोट सतीश पूनिया व नवीन पिलानियां में शिफ्ट हो गया।
गंगा सहाय ने पिछले चुनाव में भी दावेदारी की थी लेकिन पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने अपने नजदीकी प्रशांत शर्मा को टिकट दिया। इस बार गंगा सहाय शर्मा फिर से टिकट की जुगाड़ में है। पहले भी उन्हें तत्कालीन पीसीसी चीफ डॉ सी पी जोशी खेमे के चलते टिकट मिली थी। इस बार भी स्पीकर जोशी के भरोसे टिकट की जुगत में है। हालांकि पिछला चुनाव ज्यादा वोटों से हारने और तीसरे नंबर पर लुढ़कने, 67 साल की उम्र होने, दस साल के दौरान आमेर में सक्रियता कम रहने और कोरोना महामारी के दौरान किसी तरह की गतिविधियों से दूरी उनकी टिकट में मुश्किलें खड़ी कर सकती है। आमेर के लोगों का यह भी कहना है कि आज भी गंगा सहाय शर्मा उसी पुरानी टीम  के साथ रहते हैं जिनके व्यवहार व आचरण के कारण 2013 का चुनाव हारना पड़ा था। वे सामाजिक व सार्वजनिक कार्यक्रम में कम ही नजर आते हैं। जबकि प्रशांत शर्मा, बद्रीनारायण शर्मा, मोहन डागर, मुकेश शर्मा, महेश शर्मा सक्रिय रूप से जनता से जुड़े हुए हैं। कोरोना महामारी में भी इनकी सक्रियता कम नहीं रही।

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