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चंडीगढ़। गुरदासपुर उप चुनाव को देखते हुए कांग्रेस मास्टर स्ट्रोक खेलने जा रही है। सरकार ने किसान कर्ज माफी की अधिसूचना जारी करने की तैयारी पूरी कर ली है। अब केवल इंतजार मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की मंजूरी का है। कैप्टन शनिवार को अपना विदेश दौरा पूरा कर वापस आ रहे हैं।  पंजाब सरकार ने इस बात का पूरा होमवर्क कर लिया है कि अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव आयोग के साथ कोई पंगा न पड़ जाए। गुरदासपुर उप चुनाव की घोषणा हो चुकी है और राज्य में राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी बताते हैं कि कर्ज माफी की घोषणा मुख्यमंत्री ने बजट सत्र में कर रखी थी। कैबिनेट ने भी इस पर मोहर लगा दी है। सरकार केवल अधिसूचना जारी करेगी। आदर्श आचार संहिता के तहत नई घोषणा नहीं की जा सकती है। चूंकि किसान कर्ज माफी नई घोषणा नहीं है, इसलिए यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है।

पंजाब सरकार कर्ज माफी को लेकर लंबे समय से काम कर रही थी। किसान, बैंक व राजनीतिक संगठनों के तमाम दबाव के बावजूद सरकार ने अधिसूचना जारी नहीं की। सूत्र बताते हैं कि सरकार गुरदासपुर उप चुनाव को ध्यान में रखकर ही अधिसूचना जारी नहीं कर रही थी। उप चुनाव की घोषणा होने के बाद सरकार अगर अधिसूचना जारी करती है तो इसका राजनीतिक रूप से कांग्र्रेस को लाभ मिल सकता है।  जानकारी के अनुसार 20 सितंबर को कैबिनेट की बैठक होनी है। अधिसूचना का प्रारूप तैयार है। मुख्यमंत्री संभवत: रविवार को पंजाब पहुंच जाएंगे। इसलिए इस बात की संभावना है कि अधिसूचना सरकार पहले जारी कर दे और 20 की कैबिनेट बैठक में इसको मंजूरी दे दी जाए।

हालांकि किसान कर्ज माफी का ज्यादा असर मालवा क्षेत्र में पडऩा है, लेकिन कांग्रेस को गुरदासपुर उप चुनाव में भी इसका लाभ मिल सकता है। कांग्रेस की स्थिति इस बात को लेकर भी मजबूत होगी कि उसके पास यह कहने को होगा कि सरकार ने किसान कर्ज माफी का जो वायदा किया था उसे सात माह में ही पूरा कर दिया।  अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी मनजीत सिंह नारंग का कहना है कि सरकार कोई नई अधिसूचना जारी नहींं कर सकती है। मुख्य रूप से आचार संहिता गुरदासपुर व पठानकोट में लागू है। सरकार अगर कोई अधिसूचना जारी करने के लिए इजाजत मांगती है तो चुनाव आयोग को प्रस्तावित करती है। यदि सरकार अपने स्तर पर कोई अधिसूचना जारी करती है और इस पर आपत्ति आती है तो भी आयोग को मामला भेजा जाएगा। मुख्य रूप से देखना यह है कि सरकार के किसी भी फैसले से संबंधित क्षेत्र के मतदाताओं पर कोई प्रभाव न लड़े।

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