जयपुर। स्वतंत्रता दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सेना और अद्र्धसैनिक बलों के 112 कर्मचारियों को इस साल वीरता पुरस्कारों की घोषणा की तो राजस्थानवासियों का सीना एक बार फिर गर्व से उस समय चौड़ा हो गया।

जब इन पुरस्कारों की श्रेणी में प्रदेश के कोटा निवासी और सीआरपीएफ की 45वीं बटालियन के कमांडेंट चेतन चीता का नाम सामने आया। कमांडेंट चेतन चीता को कीर्ति चक्र से नवाजे जाने की घोषण की गई। यूं तो कमांडेंट चेतन चीता अपने अदम्य साहस के लिए पहचाने जाते हैं। लेकिन फिर भी उनका नाम एक बार फिर उस समय सुर्खियों में आ गया। जब 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर के बांदीपौरा सेक्टर में आंतकियों से साथ हुई मुठभेंड में सैन्यबलों का नेतृत्व अपने कांधे पर लिया। इस दौरान चेतन चीता आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर तत्काल अपने हथियार उठाकर उनके छिपे होने के ठिकाने पर जा पहुंचें।

-9 गोलियां लगी, फिर भी कर दिया ढेर
अचानक हुई इस फायरिंग के दौरान चेतन चीता को एकाएक सुरक्षित स्थान नहीं मिल सकता तो वे पेड़ की ओट में चले गए। जहां से आतंकियों ने उन्हें पूरी तरह अपने निशाने पर ले लिया। आतंकियों ने उन्हें निशाना बनाकर उन पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग दी। जिससे उनको 9 गोलियां लगी। इसके उपरांत भी चेतन चीता ने अपने नाम के अनुरुप ही साहस का परिचय दिया और 16 राउंड गोलियां चलाते हुए लश्कर के कमांडर अबू हारिश को ढेर कर दिया। चेतन चीता को सिर व आंख में गोली लगने से वे कोमा में चले गए। लेकिन उन्होंने मौत को भी मात देते हुए एम्स से स्वस्थ होकर सकुशल घर लौट आए।

-‘I am ROCKING’
कोटा निवासी चेतन चीता की शिक्षा वहीं के सेंटपाल स्कूल में हुई और गर्वमेंट कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। चेतन अपनी पत्नी उमा और बच्चों दुष्यंत व बेटी रिनय के साथ दिल्ली में रहते हैं। दो माह तक जिंदगी और मौत के बीच जंग जीतकर वे अस्पताल से डिस्चार्ज हुए तो पत्रकारों ने उनसे पूछा आप कैसे हैं, तो तत्काल जवाब दिया I am ROCKING। मैं अभी जिंदा हूं, मेरा काम पूरा नहीं हुआ है, अभी तो बहुत कुछ करना है। चेतन चीता ने कहा कि वे वापस कोबरा बटालियन में शामिल होना चाहते हैं। इसके साथ ही वापस कश्मीर जाकर वहां सेवा देने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। वहां के युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। जिन्हें समझाकर सही रास्ते पर लाना जरुरी है। वहां आज भी 70 फीसदी लोग भारत समर्थक है। महज 30 फीसदी ही घाटी का माहौल बिगाड़ रहे हैं।

-माता-पिता को किया सम्मानित किया
इधर जहां चेतन चीता को कीर्ति चक्र से नवाजा जाएगा। वहीं मंगलवार को कोटा के उम्मेद सिंह स्टेडियम में आयोजित जिला स्तरीय समारोह में चेतन चीता के पिता रामगोपाल चीता और मां सुमित्रा चीता को प्रशस्ति पत्र देकर नावाजा गया। जब पिता रामगोपाल व मां सुमित्रा को सम्मानित किया तो बेटे के साहस पर दोनों की आंखें भर आई। उन्होंने कहा कि आज उन्हें बेटे की हिम्मत और साहस पर गर्व है।

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