Coal quarry allocation case: Ranjit Sinha to submit status report in case: Supreme Court directs SIT

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के खिलाफ कोयला खदान
आबंटन प्रकरण की जांच प्रभावित करने के आरोपों की जांच के लिये गठित विशेष जांच दल को आज निर्देश दिया कि वह इस मामले में प्रगति रिपोर्ट पेश करे। शीर्ष अदालत ने विशेष जांच दल को निर्देश दिया कि इस मामले में अब तक की जांच की प्रगति के ब्यौरे की स्थिति रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर सीलबंद लिफाफे में पेश की जाये। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
‘‘जांच ब्यूरो के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा के मामले में विशेष जांच दल द्वारा अब तक की जांच की स्थिति रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाये।’’ पीठ ने यह आदेश उस वक्त दिया जब गैर सरकारी संगठन कामन काज के वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि विशेष जांच दलके गठन को कई महीने हो चुके हैं और अब उसे जांच के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिये कहा जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने 23 जनवरी को जांच ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एम एल शर्मा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी जिसे जांच ब्यूरोके पूर्व निदेशक के खिलाफ कोयला खदान आबंटन मामलों की जांच को प्रभावित करने के प्रयास के पहली नजर में आरोपों पर गौर करनाथा।इस मामले में आज सुनवाई के दौरान कोयला खदान प्रकरण में शीर्षअदालत द्वारा नियुक्त विशेष लोक अभियोजक आर एस चीमा नेन्यायालय को सूचित किया कि इस प्रकरण से संबंधित आठ मामले जांच एजेन्सी के सर्वोच्च प्राधिकारी के समक्ष लंबित हैं। इस पर भूषण ने कहा, ‘‘ये मामले सर्वोच्च प्राधिकारी के समक्ष क्यों लंबित रखे जा रहे हैं? ये राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील मामले हैं।’’हालांक, पीठ ने जांच ब्यूरो के निदेशक को इन आठ मामलों को 15 जनवरी, 2018 से पहले ही अंतिम रूप देने का निर्देश दिया।चीमा का कहना था कि जांच ब्यूरो ने पश्चिम बंगाल सरकार से राज्य में कोयला खदानों के आबंटन से संबंधित कुछ दस्तावेज देने काअनुरोध किया था परंतु जांच एजेन्सी को ये दस्तावेज अभी तक नहीं मिले हैं।पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुये यह सूचित करने का निर्देश दिया कि जांच ब्यूरो को संबंधित रिकार्ड क्यों नहीं दिया गया है।ये नोटिस जारी करने के अलावा न्यायालय ने इस मामले में अन्य लोगों द्वारा दायर आवेदनों पर भी विचार किया।न्यायालय को इससे पहले बताया गया था कि जांच ब्यूरो के पूर्व विशेष निदेशक एम एल शर्मा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन कियागया था जिसने पाया था कि रंजीत सिन्हा की इस घोटाले के कुछ पहुंच वाले आरोपियों के साथ मुलाकातों से पहली नजर में संकेत मिलता हैकि यह जांच को प्रभावित करने का प्रयास था। न्यायलय ने सात दिसंबर, 2015 को सीबीआई के पूर्व निदेशक के आधिकारिक निवास की मूल आगंतुक डायरी शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति को सौंपी जाये।

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