Bengal tiger portrait (Panthera tigris tigris) Bandhavgarh NP, Madhya Pradesh, India

जयपुर। राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने सवाई माधोपुर के रणथंभौर बाघ अभ्यारण्य के दो जोन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर देने की राज्य सरकार की मंशा पर गहरी नाराजगी जताई है। डूडी ने चेताया है कि, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बाघों के बसेरे को बाजार में नहीं बदलें। मुख्यमंत्री को यह स्मरण होना चाहिए कि टाइगर रिजर्व सेंचुरी कोई सर्कस नहीं है। सरकार इसका निजीकरण करने में तुली है। यदि सरकार ने ऐसा किया तो रणथंभौर बाघ अभ्यारण्य पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा। सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया जाएगा। डूडी ने कहा कि नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) की अनुमति लिए बिना राज्य सरकार रणथंभौर बाघ अभयारण्य के दो जोन का बाजारीकरण करने पर आमदा है। यह अभयारण्य बाघ और दूसरे वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास है और राष्ट्रीय धरोहर है, लेकिन मुख्यमंत्री इसका भी निजीकरण करने पर तुली हुई है। जिन पर वन और वन्यजीव बचाने की जिम्मेदारी है, वे ही लोग इसे बेच रहे हैं। सरकार एक ऐसी मुनाफ ाखोर लॉबी के दबाव में है जिसकी वनों व वन्यजीवों के प्रति कोई हमदर्दी नहीं है। वन विभाग के कुछ बड़े अफसर भी सरकार को गलत राय देते हैं। डूडी ने कहा कि जब वे समाचार पत्रों में यह तस्वीर देखते हैं कि बाघ को चारों तरफ से पर्यटकों से भरी जिप्सियां घेर लेती हैं तो उन्हें दिल से पीड़ा पहुंचती है। वन्यजीवों की सुरक्षा और उनकी स्वतंत्रता सबसे पहले है और यदि वन्यजीव इन अभ्यारण्यों में ही सुरक्षित व सुकून में नहीं रहेंगे तो इन अभ्यारण्यों के निर्माण का उद्देश्य ही खतरे में पड़ जाएगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के वन्यजीव अभ्यारण्यों के प्रति बिल्कुल संजीदा नहीं है। सरिस्का टाइगर रिजर्व राज्य सरकार की उपेक्षा का शिकार हो रहा है। वहीं, जयपुर से सटे जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य को सरकार भूल ही गई है।

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