सहकारी बैंकों के सीमान्त एवं लघु अवधिपार किसानों को होगा लाभ, प्रथम चरण में 30 नवम्बर, 18 को 2 लाख रुपये तक के बकाया अवधिपार ऋणों को किया जायेगा माफ
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली प्रदेश की सरकार ने किसानों को एक और राहत देने का निर्णय किया है। इस निर्णय से जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक एवं प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों से मध्य कालीन या दीर्घ कालीन कृषि ऋण लेने वाले ऐसे सीमान्त एवं लघु किसानों को लाभ होगा जो आर्थिक संकट में हैं और अपने ऋण को नहीं चुका पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में ऐसे किसानों को योजना के दायरे में लाया गया है जिनकी ओर 30 नवम्बर, 2018 की स्थिति में 2 लाख रुपये तक का अवधिपार कृषि ऋण बकाया है।

सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने बताया कि हमारा उद्देश्य छोटे और मझले किसान भाइयों को अधिक से अधिक आर्थिक संबल प्रदान कर उन्हें संकट से बाहर निकालना है। इसके लिये हमने अवधिपार श्रेणी में वर्गीकृत सीमान्त एवं लघु किसानों को अल्पकालीन फसली ऋण माफी के लिये लागू की गई योजना ‘‘राजस्थान कृषक ऋण माफी योजना, 2019’’ के साथ-साथ इस योजना का लाभ देने का निर्णय किया है। उन्होंने बताया कि कोई भी पात्र किसान सरकार द्वारा की गई ऋण माफी के लाभ से वंचित नहीं रहे और कोई भी अपात्र किसान किसी पात्र किसान की राशि को नहीं हड़प सके इसके लिये बैंक द्वारा पात्र किसान का आधार आधारित सत्यापन करवाया जायेगा।

उन्होंने बताया कि इसके लिये किसान के पास आधार नम्बर एवं आधार से लिंक मोबाइल नम्बर होना जरूरी है। यदि किसी किसान के पास आधार नम्बर नहीं है तो उसे परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। हमारे ऐसे किसान भाई नजदीकी आधार केन्द्र पर जाकर अपना आधार के लिये पंजीयन करवा लें और आधार केन्द्र द्वारा जारी पंजीयन आईडी को बैंक शाखा पर प्रस्तुत करने पर ऐसे किसान को उनकी पात्रता के अनुसार इस योजना में शामिल कर लिया जायेगा।

आंजना ने बताया कि योजना के दायरे में आने वाले किसान से योजना की पात्रता पूर्ण किये जाने के संबंध में सादे कागज पर स्वप्रमाणित शपथ पत्र लिया जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश के किसानों के व्यापक हितों के मद्देनजर सरकार द्वारा किसान द्वारा दिये जाने वाले शपथ पत्र को राजस्थान स्टाम्प अधिनियम, 1998 के तहत स्टाम्प शुल्क से मुक्त कर दिया है।

उन्होंने कहा कि कई किसानों द्वारा सहकारिता के सिद्धान्तों का अनुसरण करते हुये मिल कर कृषि ऋण लिये थे और वे विषम भौगोलिक व सामाजिक परिस्थितियों तथा गत सरकार की गलत नीतियों के कारण उनका समय पर चुकारा नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे लिये गये संयुक्त कृषि ऋण में सीमान्त एवं लघु श्रेणी के किसान के साथ-साथ अन्य श्रेणी या अपात्र किसान की भागीदारी होने के बावजूद भी 30 नवम्बर, 2018 को अवधिपार होने पर ऋण खाता को योजना के दायरे में लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा साफ है कि किसी विशेष संयोग मात्र से कोई भी पात्र किसान लाभ से वंचित नहीं होना चाहिये।

LEAVE A REPLY