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-राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय की नवाचारी पहल
जयपुर. 8 जुलाई, 2021. कोरोना महामारी के दौर में हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद ने फिर अपनी महत्ता सिद्ध की है। पहली व दूसरी लहर के मुकाबले के लिए बूंदी जिले में आयुर्वेदिक काढ़े का प्रमुखता से उपयोग हुआ। अब तीसरी लहर और इसमें बच्चों के प्रभावित होने की आशंका के चलते आयुर्वेद की इम्यूनो बूस्टर डोज के बल पर कोरोना से मुकाबले की तैयारी है। इसके लिए जिला आयुर्वेद चिकित्सालय में विशेष ‘इम्युनिटी क्लीनिक‘ की शुरूआत कर नवाचार किया गया है।

इम्युनिटी क्लिनिक की शुरूआत कर पहले चरण में 883 बच्चों का रजिस्ट्रेशन कर विशेष तौर पर तैयार इम्यूनोबूस्टर डोज दी जा रही है। सितोपलादि चूर्ण, आयुष क्वाथ, गिलोय घनवटी, अश्वगंधा, मुलैठी, अमृतधारा वटी, अणुतेल आदि का किट तैयार कर पंजीकृत बच्चों को दिया जा रहा है। इन बच्चों को 15 दिन के अन्तराल पर परीक्षण के लिए बुलाया जाता है और परिणामों का संकलन किया जा रहा है। आयुर्वेद चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. सुनील कुशवाह ने बताया कि 15 दिवस के अंतराल पर बालकों के स्वास्थ्य परीक्षण पर उत्साहजनक परिणाम आ रहे हैं। भूख की कमी, थकान चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की कमी जैसी समस्याओं में कमी आ रही है।
– खुद तैयार कर रहे दवाएं

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इम्युनिटी क्लिनिक के लिए जो दवाएं तय की गई हैं उनमें कुछ दवाएं स्थानीय स्तर पर ही तैयार की जा रही हैं। बूंदी जिले में विभिन्न स्थानों पर पाई जाने वाली जड़ी बूटियों को एकत्र कर या खरीदकर आयुर्वेद चिकित्सालय द्वारा अपने स्तर पर पीस, छानकर पैक किया जाता है। इससे लागत भी कम आती है और शुद्धता एवं प्रभाव की दृष्टि से भी श्रेष्ठ रहती हैं।
सोलह संस्कारों में एक स्वर्णप्राशन स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण संस्कार है। स्वर्णप्राशन को शुद्ध स्वर्ण भस्म, गोघ्रत, ब्रह्मी, शंखपुष्पी, मधुयष्टि, शहद एवं अन्य औषधीय द्रव्यों के मिश्रण से तैयार किया जाता है और बच्चों को दिया जाता है। एक तरह से बालकों के टीकाकरण का यह प्राचीन रूप कहा जा सकता है। बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने की दृष्टि से यह संस्कार किया जाता है। पुष्य नक्षत्र में इस संस्कार का विशेष महत्व है। इसी को ध्यान में रखते हुए आयुर्वेद चिकित्सालय में प्रत्येक पुष्य नक्षत्र को निशुल्क स्वर्णप्राशन किया जाता है। इस अभियान के लिए भामाशाह बढ़-चढ़कर सहयोग कर रहे हैं।
-3 लाख को पिला चुके काढ़ा

जिला आयुर्वेद चिकित्सालय बूंदी में कोरोना संक्रमणकाल में लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर स्वस्थ रखने के लिए 12 मार्च 2020 से लगातार इम्यूनोबूस्टर काढ़े का वितरण किया जा रहा है। अब तक 15 क्विंटल से अधिक जड़ी बूटियों का उपयोग करके 3.56 लाख यूनिट काढ़े का वितरण किया जा चुका है। काढ़े के लिए अधिकांश जड़़ी बूटियां स्थानीय एवं ताजी ही काम में ली जाती हैं। राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय में बड़े पात्र में सुबह से शाम लगातार काढ़ा बनता एवं वितरित होता है।

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